Skip to main content

Posts of 8 Nov 15


बिहार चुनाव के बाद प्रतिक्रियाएं 
अपने शिष्य की ओर से गुरु को जन्मदिन पर बेहतरीन तोहफा
‪#‎आडवानीजी‬ का जन्मदिन और बिहार चुनाव परिणाम.

जन्मदिन की शुभकामनाएं, लम्बी रचनात्मक उम्र जिये , लालकृष्ण आडवानी जी.
बिहार में चुनाव जीतने में ‪#‎रविशकुमार‬ की भी बड़ी भूमिका थी जब एक ओर चैनल्स बकर कर रहे थे तब रविश कोने कचड़े में बिहार की पॉजिटिव तस्वीरें और नितीश का किया हुआ बेहतरीन काम दिखा रहे थे और इसी ने यकीन मानिए बिहारियों को प्रभावित किया और उन्होने खुलकर वोट दिया.
Long Live ‪#‎Ravishkumar‬..............I just Love you man, you are a real light house in the garbage of Journalism....
कोई रजत शर्मा और सुधीर चौधरी को आत्महत्या करने से बचाओ.
मैं सहिष्णु नही हूँ ना ही अनुपम खैरात वाला। मेरी वाल पर कमेंट्स अपनी रिस्क पर करें.
230 रूपये किलो तुअर की दाल की कीमत मालूम पड़ी मोदीजी कि अभी पिक्चर देखना बाकि है ?
लोक जुम्बिश का अर्थ समझे क्या या बताउँ ?
आज मन की बात ना हुई , रविवार गुजर गया.
क्यो रे नरेन्दरवा काहे कबाड़ा कर दिया हमरी बीजेपी का।
एक ठो ललुआ और नितिश्वा से निपट नही सका और नवाज शरीफ से निपटने की बात करता है, और दाऊद को भारत लाएगा।
अरे बिटवा काहे ई अमित का फेर में पड़ा है उ बदमास है ,साला कल्लू मामा है शकुनि है ।
चल रो मत , अब सो जा, जा गुजरात जा, बा के पास और फोटु खिंचा। जाता है कि नही !!!!
नही तो ओबामा के पास चला जा डिप्रेशन की गोली दे देगा उ कलूटा, बहुत खिलाये ओके तुम और उ अम्बानी और अडानी कहाँ मर गए ससुर ?


सुना कि कल मोदी और अमित शाह भूखे पेट अपने डी एन ए टेस्ट करवाएंगे और इसके लिए दोनों ने अरविन्द से दिल्ली के अस्पतालों में "मुख्य मंत्री"सहायता कोष से दीनदयाल उपचार योजना में राशि माँगी है।
कहते है फडणवीस, रमण सिंह ने मना कर दिया अपने राज्यों में टेस्ट करवाने से कि दीवाली में अपशगुन नही और शिवराज ने ऑफर किया तो मोदी और शाह ने मना कर दिया बोले कि व्यापमं राज्य में भरोसा नही और फिर पूर्व वित्त मंत्री का डर !!! इन सबसे तो दिल्ली का अरविन्द केजरीवाल ही ठीक है।
अब दोनों जिंदल , बैंगलोर में जाकर प्राकृतिक चिकित्सा भी करवाएंगे। अरविन्द ने सुषमा के कहने पर सदाशयता दिखाते हुए एक एक लाख और स्लीपर से आने जाने का किराया स्वीकृत किया है।

सारी बुराईयाँ और अच्छाईयां एक तरफ रखकर मेरे कुछ बुद्धिजीवी दोस्तों ने और शिष्यों ने जब बिहार चुनाव पर मजदूर सस्ते मिलते रहेंगे, जंगल राज बना रहेगा और लालू नितीश की जोड़ी को देश और बिहार के लिए खतरनाक बताया, तो मुझे बहुत दुःख हुआ,  साथ ही बिहार के इस व्यापक जनमत को मूर्खतापूर्ण बताना भी करोड़ों मतदाताओं का अपमान है और नेतृत्व का अपमान. यह बेहद दुखी करने वाली मानसिकता है कि लोग आज यह कह रहे है कि अभी भी बिहारी मजदूर सस्ता रहेगा और मिलता रहेगा, दिल्ली में बिहारी गन्दगी फैलाते रहेंगे, सत्तू खाकर उल्टियां करते रहेंगे और सारे देश में गलत सलत अंग्रेज़ी बोलते रहेंगे. 

यह भक्ति भाव नहीं बल्कि एक तरह का दिमागी "रेसिसिज्म" है जो सवर्ण मानसिकता को दर्शाता है. मेरे इनबॉक्स में आकर लोगों ने बिहारियों को माँ बहन की गालियों से नवाजा और कई दोस्तों को आज अपनी लिस्ट से मुझे हटाने का निर्णय लेना पडा. यह मानसिकता कितनी खतरनाक है कि जो लोग बरसों से अमेरिका चले गए विहिप और भाजपा को चन्दा देते है, वे बिहार के जमीनी हालातों के बारे में बताते नहीं अघाते जो घटिया मीडिया परोसता है. 

साथ ही मीडिया के कुछ दोस्तों को भी ब्लाक किया जो छदमी पत्रकार निकले जिनका उद्देश्य एक राज्य को टार्गेट बनाकर सिर्फ बदनाम करना था, यह अगर मीडिया की हकीकत है तो शर्मनाक है खासकरके माखनलाल पत्रकारिता विवि, भोपाल से निकले छात्र जिन्हें अपने पैजामे का नाड़ा बांधना भी अभी नहीं आता और अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे. ये बच्चे घटिया अखबारों और टटपूंजिए चैनलों में काम करके अपने को प्रभाष जोशी या राहुल बारपुते के बाप समझ रहे है, को भी निकाल बाहर किया अपनी लिस्ट से. 

चुनाव में पार्टियों का जीतना - हारना लगा रहता है, प्रतिक्रिया आना भी स्वाभाविक है, मजाक भी चलता है पर इस बहाने से आप एक मेहनतकश कौम की अस्मिता पर सवाल करके और बजाय उनके बेहतर जीवन, मजदूरी और सुरक्षा की बात करने के आप मखौल उड़ा रहे है. कितना घटियापन है,  क्यों पढ़े लिखे इतना आप कि आप अपने माँ बाप की मेहनत को भूल गए, अपने पुरखों की मजदूरी को भूल गए, आपके बाप-दादा अमेरिका में पैदा नहीं हुए, इन्ही खेतों और जमीन पर काम करके आपको इस लायक बनाया कि आप कमा खा सको, पर आप तो कुलपापी  और गद्दार निकले . 


अब समय है सब भूलकर लोगों का श्रम का सम्मान करना सीखें और यदि बिहार का कोई बंधू दिखाई दें तो उसे पर्याप्त समय देकर उसके साथ बात करें और अपने दिमाग के जाले साफ़ करें, वरना याद रखें कि कल अमेरिका में आपको भी मजदूर ही कहा जाएगा कि भारत के सूचना प्रौद्योगिकी में दक्ष और कौशल से परिपूर्ण चूतिये और सस्ते मजदूर के रूप में आ जाते है हम गोरों के तलुए चाटने..............!!!


Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही