संसार में सबको दुःख होता है
और
अपना दुःख सबसे बड़ा लगता है.
- रांगेय राघव
संज्ञा ने आज यह खूबसूरत चित्र भेंट किया............एक पोस्ट के बाद, तो सच में सुकून मिला. शुक्रिया Sangya Upadhyaya
*********************************************************************************
और वो तीन लोग जिन्हें कल मिस किया और अब जीवन भर करता रहूंगा शायद अब कोई त्यौहार मना ना पाऊं कभी भी इस जीवन में, मेरे लिए वैसे भी त्यौहार कभी त्यौहार रहे ही नहीं, पर अब तो सब ख़त्म हो गया है मानो और एक गहरा नाता अंधेरों और बियाबानों से जुड़ गया है.
माँ, पिताजी और छोटा भाई, जिन्हें तिल- तिल मरते और अंत में खत्म होते देखा और अपने तई बचाने की भरसक कोशिश की पर बचा नही पाया और सारा जीवन एक अफ़सोस बनकर रह गया है....
*********************************************************************************
हमारे तीन दिए जिनसे रोशन है हमारा जहां और दो वो दिए जो तिमिर, तम, ताप और तृप्ति के प्रतीक है..........
सीखा यही और बच्चों के भी यही सिखाया कि जीवन में सुख मिले तो उसे खूब बांटो और फैलाओ और दुःख मिलें तो अपने अन्दर धंसा लो, अपनी जड़ों में डालो ताकि अपना अस्तित्व मजबूत हो ताकि जब जड़ें मजबूत होंगी तो सुख आयेगा और उसे फ़ैलाने से चहूँ ओर समृद्धि आयेगी.
*********************************************************************************
एक दूसरे से करते है प्यार हम, एक दूसरे के लिए बेकरार हम...................
Comments