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और आखिर आ गयी आज। डा कलाम को सच्ची श्रद्धांजलि और प्रेरणा अनुज Priyam Tiwari की। बस अपुन, सायकिल और व्यायाम ।
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कुछ कर नही पा रहा था और शरीर बेढब हो चला था - बीमारियों का घर, मधुमेह और ना जाने क्या क्या. काम की व्यस्तता देर रात तक जिलाए रखती है और सुबह उठकर घूमना हो नहीं पाता अब कम से कम दस किलोमीटर सायकिल रोज चलेगी तो शायद कुछ फर्क पड़े कम से कम हड्डियां तो मजबूत हो बाकी तो खुदा जाने............
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शुक्रिया प्रियम एक अच्छी सीख देने के लिए तुमसे वादा किया था ना कि जैसे ही घर पहुंचूंगा ले लूंगा सो आज ग्वालियर से आते ही खरीद लाया और चार किमी चलाकर लाया थोड़ा अजीब लगा पर फिर एकदम बेफिक्र होकर मस्त हवाओं से टकराता और भीगता घर लौट आया और एक नजर का टीका लगाया. मजा आ गया.
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IBN Khabar 7 पर कलाम की यादों से सराबोर हुआ सोशल मीडिया… में अपनी भी एक छोटी सी टिप्पणी
जरुर पढ़े, बहुत मार्मिक टिप्पणियाँ है डा कलाम को लेकर.
http://khabar.ibnlive.com/blogs/publicview/dr-apj-abdul-kalam-former-president-2-394682.html
दूसरा दुखद यह लगा कि कुछ लोगों ने कलाम साहब के बहाने से कुछ मित्रों के व्यक्तिगत जीवन में ताक झाँक की कोशिश की और रंग भेदी नस्लीय टिप्पणी की जोकि बहुत ही खेदजनक है , यहाँ तक की लिख दिया कि काले रंग के चेचक के दाग वाले, अपनी बीबी को धता बताकर कमसिन लड़कियों के पीछे पड़े है ये कौनसी मानसिकता है? यह सही है कि हिन्दी में कवि स्कैंडल बनाने में माहिर है और कुंठित भी और लडकियां उनकी कमजोरी भी है, जहां भी जाते है पाने अपराध बोध छुपाने के लिए वे वो सब करते है जो अश्लीलता की श्रेणी में आता है और बदचलनी का इल्जाम सही भी हो सकता है पर आज के इस दुखद मौके पर यह टिप्पणी ठीक नहीं थी.
कुछ मित्रों की कविता को किसी ने कही लगा दिया तो वे सारा दिन परेशान होते रहे और यहाँ वहाँ मेसेज कर कोसते रहे...........
एक पूर्व राष्ट्रपति की मौत हुई, एक लोकप्रिय इंसान की मौत हुई, एक जन नेता की मौत हुई और सबसे बढ़कर एक वैज्ञानिक की मौत हुई .....क्या इतना पर्याप्त नहीं है , अब जबकि शख्स ज़िंदा नहीं है तो मूल्यांकन करने का अधिकार आपको दिया किसने? शर्म उनको तो आती नहीं आप भी बेचकर खा गए क्या हिन्दी के कुंठित साहित्यकारों.......................???
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