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Post of 15 July 15



इटारसी में पिछले एक डेढ़ माह से रेलवे का आवागमन बन्द है रोज देश से लेकर रेलवे का करोडो का नुकसान हो रहा है। लाखों यात्री परेशान है बस वाले होशंगाबाद भोपाल का दो सौ रूपये तक ले रहे है पर कही कोई आवाज नही, मीडिया में सन्नाटा, और प्रदेश के लोकप्रिय व्यापम में व्याप्त मामाजी के राज में चार छह बस अतिरिक्त नही चल सकती यह इस उन्नत प्रदेश का हाल है। 3000 लोग इस इटारसी के स्टेशन को सुधारने का काम चौबीसों घण्टे कर रहे है पर अभी एक डेढ़ माह तक यह ट्रैक चालु होने की कोई उम्मीद नही है। 
और देश के प्रधानमन्त्री पूरी बेशर्मी से दुनिया के सामने "डिजिटल इंडिया" का यशगान कर रहे है। क्या ख़ाक डिजिटल इंडिया , एक रेलवे ट्रैक तीन माह में सुधरेगा तो !!!


सीधा गणित है भैया , निजीकरण कर दो इस सुविधा का भी - दे दो अम्बानी और अडानी को, इसी की तैयारी कर रही है सरकार , इससे ज्यादा और क्या कर सकती है..........
शर्म मगर उनको आती नहीं है.........

NDTV पर नमक घोटालें की खबर है अभी स्पेशल कार्यक्रम आ रहा है, पिछले साल जब मैंने एक अध्ययन किया था उसमे इस बात को बहुत तल्खी से उठाया था कि किस तरह से काला नमक और स्तरहीन नमक सार्वजनिक राशन की दुकानों से नमक बेचा जा रहा है.
जय सरकार राज और जय छग सरकार
कब तक बचाओगे मोदी जी रमण सिंह, वसुंधरा और शिवराज को?



देवास में जनवादी लेखक संघ का उम्दा आयोजन 






देवास में मप्र जन वादी लेखक संघ ने आज दिनांक 15 जुलाई को इंग्लिश ट्युटोरियल में घटते संसाधन और बढ़ती जन संख्या विषय पर एक विचार प्रसंग का उम्दा आयोजना किया. इस प्रसंग में प्रसिद्द कार्यकर्ता और गांधीवादी विचारक चिन्मय मिश्र को वक्ता के रूप में बोलने के लिए आमंत्रित किया , कार्यक्रम में आकाशवाणी इंदौर से राजीव पाठक और प्रवीण जी भी उपस्थित थे. चिन्मय ने अपनी बात की शुरवात करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के लूट की शुरुवात क्रिस्टोफर कोलंबस ने की थी जिसने संसाधनों की लूटमार शुरू की. चिन्मय ने विभिन्न उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह से अब पर्यावरण के मुद्दे सिर्फ सतही तौर पर नहीं सुलझाए जा सकते अब इन्हें एक बड़े जनांदोलन में तब्दील करने की जरुरत है. कार्यक्रम में देवास शहर के कई बड़े साहित्यकार, प्रबुद्धजन, मीडिया कर्मी और छात्र उपस्थित थे. मनीष वैद्य ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया. देवास शहर में इस तरह के कार्यक्रम दर्शाते है कि जन चेतना के लिए अभी भी लोग सामूहिक रूप से जुटते है और चर्चा करते है. 

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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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