Preeti Nigam बहुत पुरानी साथी , दोस्त और परिवार की सदस्य ही है. प्रीती से बहुत पुरानी मित्रता है मेरी. प्रीती की बड़ी बहन प्रभा निगम मेरे साथ देवी अहिल्या बाई विवि में शोधरत थी जब शिक्षा संस्थान के विभागाध्यक्ष डा बी के पासी हुआ करते थे, प्रभा और साधना खोचे मेरे साथ ही थी और वे नए शुरू हुए इंदौर पब्लिक स्कूल में पढ़ाती थी. प्रीती ने सोशल वर्क में मास्टर किया और समाज सेवा के क्षेत्र में आई , तब से कही ना कही काम के दौरान मिलना जुलना होता रहा, भारतीय ग्रामीण महिला संघ, राऊ में हम तीन साल तक साथ काम किये मै भोपाल चला गया और प्रीती NRHM उज्जैन में पर मिलने का सिलसिला जारी रहा. आज जब मै मप्र में काम करने वाली सोशल वर्कर महिलाओं को पलटकर देखता हूँ तो पांच या छः महिलाए नजर आती है जिन्होंने बाकायदा नौकरी ही की है अपने एनजीओ नहीं खोले - जबकि चाहती तो ये खोल सकती थी - इनमे से प्रीती एक है, बाकी प्रज्ञा, सविता, आरती आदि और मित्र है. फिर प्रीती लेप्रा में आ गयी इंदौर और फिर भोपाल. फिर किसी पारिवारिक कारण की वजह से वह इंदौर में आकर सुरक्षित शहर पहल के काम को नेतृत्व दे रही थी. हाल ही में प्रीती ने इस्तीफा दिया है और अपनी गृहस्थी बसा रही है. लन्दन के श्री अनिल निगम के साथ उनका विवाह 6 जून को संपन्न होने जा रहा है यह हम सबके लिए बड़ी खुशी की बात है.
आज दफ्तर में हमने एक छोटा सा अनौपचारिक कार्यक्रम शाम साढे पांच बजे रखा था जिसमे सबने प्रीती के धैर्य और सिखाने के हूनर की तारीफ़ की और बताया कि कैसे पुरी टीम को विपरीत परिस्थिति में बांधकर रखा और लगातार छः माह तक वेतन ना मिलने के बाद भी सोलह लोगों की बड़ी टीम को प्रीती ने काम में लगाकर रखा और उनके हर सुख दुःख का एक टीम लीडर होने के नाते ध्यान रखा. बड़े भावुक माहौल में आज प्रीती ने जो चंद शब्द कहे उसे रिकॉर्ड करके रखा जाना था जिसमे उन्होंने बताया कि कैसे कोई प्रोजेक्ट कमी और अच्छाई के बीच झूलता है और बंधनों के बीच स्वतन्त्रता को मेंटेन करके चलना पड़ता है. संस्था, सरकारी कामकाज और टीम का मोटीवेशन लगातार बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है. प्रीती ने वसीम, हिमांशु, अंशुल, लोकेन्द्र, मनीषा तेलंग और मेरा जिक्र करते हुए कहा कि इन सबके सहयोग बिना यह महत्वपूर्ण कार्य असंभव था. जब प्रोजेक्ट ख़त्म हो जाएगा तो हम याद करेंगे कि कैसे एक बड़े मुश्किल समय में हम सबने चुनौतियों को स्वीकारते हुए कितना काम किया और कितना सीखा. प्रीती ने बड़े आत्मविश्वास से कहा कि नए साथियों के लिए यह एक बड़ा मौका था जब उन्होंने अपनी पहली नौकरी में वसीम, हिमांशु और संदीप सर या मेरे साथ काम किया और दिल - दिमाग और हिम्मत से विकेन्द्रित तरीके से नया करने की हिम्मत जुटाई. आज का यह वक्तव्य एक समाज सेवी महिला के लगभग पंद्रह सालों का सारांश था जो प्रीती ने बहुत सहज तरीके से व्यक्त किया, मेरे लिए यह सब सुनना कौतुक भरा और सीखने लायक था कि कैसे एक सहजता से अपनी बात कोई रख सकता है यह बहुत दुष्कर कार्य है.
अंत में प्रीती ने बड़ी अच्छी बात कही कि जीवन की लम्बी दुःख भरी यात्रा में जब हम सब ओर जगहों और प्रयासों से हार चुके होते है और बहुत कठिन डगर पर चलना आरम्भ करते है तो परमात्म हमारे साथ बहुत चुपके से यादों की एक पोटली रख देता है और नितांत दुखों और पराजय के मुश्किल क्षणों में यह स्मृतियों की पोटली अपने आप खुल जाती है और ये ही यादें जीवन में आगे बढाती है, ताकत देती है और लड़ने का माद्दा पैदा करती है, बस हमें अपनी पोटली बचाए रखना है.
बहुत याद आओगी प्रीती हम सबको, एक नई दुनिया में जा रही हो हमारी शुभकामनाएं और बहुत स्नेह तुम्हारे साथ सदैव है, बस आज की तरह अपना हौंसला और अपनी बात कहने का साहस - तमाम धैर्य और सहिष्णुता के साथ बनाए रखना, यही हम सबकी भी ताकत है और हिम्मत . अशेष शुभकामनाएं.
Waseem Iqbal Manisha Sharma Telang Kírtí Díxít Vinod Nahar Lokendra Jadhav Arti Pandey Anshul Chaturvedi Himanshu Choudhary
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बिकना जरुरी है
खरीददार तलाश कर लो
बाजार, प्यार, बहाव में
बिकना जरुरी है मित्रों
दोस्ती, यारी और आशिकी
व्यवसायिकता के बीच
मै, आप और हम सब
महज एक माल है
तय है कीमते हम सबकी
समय आने पर बिकेगा
सब बिकेगा और जो नही
बिकेगा वो फेंक दिया जाएगा
जो धरती के व्योम तक
ऐसा फेंका जाएगा कि फिर
क्रन्दन सुनाई नही देगा
भीड़, बाजार तंत्र के बीच
याद रखे और तैयार करें अपने को
कि इस बाजार में बिकना
महज एक स्वाभाविक
प्रक्रिया है और सहज भी
आईये बिके हम भी
आईये खरीदो मुझे
इंतजार है जनाबे आली
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