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भाई कुमार अनुपम हिन्दी के विलक्षण कवि है - जिन्होंने बारिश में अपना घर बनाकर एक विशेष पहचान बनाई है और बहुत ही सहज और सरल स्वभाव के कुमार से मिलना अपने आप में एक उपलब्धि है. इस कवि कुमार का आज जन्म दिन है, अपने जीवन के पड़ाव का एक और सार्थक महत्वपूर्ण दिन, भाई कुमार को लम्बे रचनात्मक जीवन की अशेष शुभकामनाएं...उनकी ही एक कविता "शुक्रिया बसंत" के साथ..
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जहाँ का अन्न जिन-जिन के पसीनों, खेतों, सपनों का
पोसा हुआ
जहाँ की ज़मीन जिन-जिन की छुई, अनछुई
जहाँ का जल जिन-जिन नदियों, समुद्रों, बादलों में
प्रथम स्वास-सा समोया हुआ
जहाँ की हवा जिन-जिन की साँसों, आकांक्षाओं, प्राणों
से भरी हुई
अब, नसीब मुझे, ऐन अभी-अभी पतझर में ......
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दुनिया मुझे ढूंढे , मगर मेरा पता कोई ना हो
ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहां कोई ना हो
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