Skip to main content

Posts of 27 May 15



Preeti Nigam​ बहुत पुरानी साथी , दोस्त और परिवार की सदस्य ही है. प्रीती से बहुत पुरानी मित्रता है मेरी. प्रीती की बड़ी बहन प्रभा निगम मेरे साथ देवी अहिल्या बाई विवि में शोधरत थी जब शिक्षा संस्थान के विभागाध्यक्ष डा बी के पासी हुआ करते थे, प्रभा और साधना खोचे मेरे साथ ही थी और वे नए शुरू हुए इंदौर पब्लिक स्कूल में पढ़ाती थी. प्रीती ने सोशल वर्क में मास्टर किया और समाज सेवा के क्षेत्र में आई , तब से कही ना कही काम के दौरान मिलना जुलना होता रहा, भारतीय ग्रामीण महिला संघ, राऊ में हम तीन साल तक साथ काम किये मै भोपाल चला गया और प्रीती NRHM उज्जैन में पर मिलने का सिलसिला जारी रहा. आज जब मै मप्र में काम करने वाली सोशल वर्कर महिलाओं को पलटकर देखता हूँ तो पांच या छः महिलाए नजर आती है जिन्होंने बाकायदा नौकरी ही की है अपने एनजीओ नहीं खोले - जबकि चाहती तो ये खोल सकती थी - इनमे से प्रीती एक है, बाकी प्रज्ञा, सविता, आरती आदि और मित्र है. फिर प्रीती लेप्रा में आ गयी इंदौर और फिर भोपाल. फिर किसी पारिवारिक कारण की वजह से वह इंदौर में आकर सुरक्षित शहर पहल के काम को नेतृत्व दे रही थी. हाल ही में प्रीती ने इस्तीफा दिया है और अपनी गृहस्थी बसा रही है. लन्दन के श्री अनिल निगम के साथ उनका विवाह 6 जून को संपन्न होने जा रहा है यह हम सबके लिए बड़ी खुशी की बात है.


आज दफ्तर में हमने एक छोटा सा अनौपचारिक कार्यक्रम शाम साढे पांच बजे रखा था जिसमे सबने प्रीती के धैर्य और सिखाने के हूनर की तारीफ़ की और बताया कि कैसे पुरी टीम को विपरीत परिस्थिति में बांधकर रखा और लगातार छः माह तक वेतन ना मिलने के बाद भी सोलह लोगों की बड़ी टीम को प्रीती ने काम में लगाकर रखा और उनके हर सुख दुःख का एक टीम लीडर होने के नाते ध्यान रखा. बड़े भावुक माहौल में आज प्रीती ने जो चंद शब्द कहे उसे रिकॉर्ड करके रखा जाना था जिसमे उन्होंने बताया कि कैसे कोई प्रोजेक्ट कमी और अच्छाई के बीच झूलता है और बंधनों के बीच स्वतन्त्रता को मेंटेन करके चलना पड़ता है. संस्था, सरकारी कामकाज और टीम का मोटीवेशन लगातार बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है. प्रीती ने वसीम, हिमांशु, अंशुल, लोकेन्द्र, मनीषा तेलंग और मेरा जिक्र करते हुए कहा कि इन सबके सहयोग बिना यह महत्वपूर्ण कार्य असंभव था. जब प्रोजेक्ट ख़त्म हो जाएगा तो हम याद करेंगे कि कैसे एक बड़े मुश्किल समय में हम सबने चुनौतियों को स्वीकारते हुए कितना काम किया और कितना सीखा. प्रीती ने बड़े आत्मविश्वास से कहा कि नए साथियों के लिए यह एक बड़ा मौका था जब उन्होंने अपनी पहली नौकरी में वसीम, हिमांशु और संदीप सर या मेरे साथ काम किया और दिल - दिमाग और हिम्मत से विकेन्द्रित तरीके से नया करने की हिम्मत जुटाई. आज का यह वक्तव्य एक समाज सेवी महिला के लगभग पंद्रह सालों का सारांश था जो प्रीती ने बहुत सहज तरीके से व्यक्त किया, मेरे लिए यह सब सुनना कौतुक भरा और सीखने लायक था कि कैसे एक सहजता से अपनी बात कोई रख सकता है यह बहुत दुष्कर कार्य है.


अंत में प्रीती ने बड़ी अच्छी बात कही कि जीवन की लम्बी दुःख भरी यात्रा में जब हम सब ओर जगहों और प्रयासों से हार चुके होते है और बहुत कठिन डगर पर चलना आरम्भ करते है तो परमात्म हमारे साथ बहुत चुपके से यादों की एक पोटली रख देता है और नितांत दुखों और पराजय के मुश्किल क्षणों में यह स्मृतियों की पोटली अपने आप खुल जाती है और ये ही यादें जीवन में आगे बढाती है, ताकत देती है और लड़ने का माद्दा पैदा करती है, बस हमें अपनी पोटली बचाए रखना है.

बहुत याद आओगी प्रीती हम सबको, एक नई दुनिया में जा रही हो हमारी शुभकामनाएं और बहुत स्नेह तुम्हारे साथ सदैव है, बस आज की तरह अपना हौंसला और अपनी बात कहने का साहस - तमाम धैर्य और सहिष्णुता के साथ बनाए रखना, यही हम सबकी भी ताकत है और हिम्मत . अशेष शुभकामनाएं.

इस कार्यक्रम का समापन हिमांशु के गाये एक गीत से हुआ "आने वाला पल जाने वाला है.......एक बार वक्त से लम्हा गिरा कही , वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कही नहीं ........" 


Waseem Iqbal​  Manisha Sharma Telang​  Kírtí Díxít​   Vinod Nahar​    Lokendra Jadhav​  Arti Pandey​  Anshul Chaturvedi​   Himanshu Choudhary​




1
बिकना जरुरी है 

खरीददार तलाश कर लो 

बाजार, प्यार, बहाव में 
बिकना जरुरी है मित्रों 
दोस्ती, यारी और आशिकी 
व्यवसायिकता के बीच 
मै, आप और हम सब 
महज एक माल है 
तय है कीमते हम सबकी 
समय आने पर बिकेगा 
सब बिकेगा और जो नही 
बिकेगा वो फेंक दिया जाएगा 
जो धरती के व्योम तक 
ऐसा फेंका जाएगा कि फिर
क्रन्दन सुनाई नही देगा 
भीड़, बाजार तंत्र के बीच 
याद रखे और तैयार करें अपने को
कि इस बाजार में बिकना 
महज एक स्वाभाविक 
प्रक्रिया है और सहज भी 
आईये बिके हम भी 
आईये खरीदो मुझे 
इंतजार है जनाबे आली

Comments

टीम भावना से किया जाने वाला काम हमेशा याद रहता है। । बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
अच्‍छे कार्य और अच्‍छी मंशा से कि‍ए कार्य को सभी याद रखते हैं।
Asha Joglekar said…
Pretty ji kee Tarah ke log hee late hain priwartan.

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही