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Posts between 2 to 5 May 15 Lucknow Visit

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पन्ना में हुआ हादसा प्रदेश के परिवहन विभाग के लिए एक वार्निंग है। जिस प्रदेश में सत्ता की सांठ गाँठ से घटिया बसे चलती हो, आर टी ओ और कलेक्टर को हफ्ता देकर गुंडे मवाली बसें चलाते हो और यात्रियों को जानवर समझकर व्यवहार करते हो उस प्रदेश में क्या करें कोई ???
मामा जागो अब तो या और मौतों का इन्तजार है ???

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कहते है जेठ के माह में हनुमान श्रीराम से मिले थे किसी मंगलवार को। लखनऊ में जेठ माह के हर मंगलवार को भण्डारे सजाये जाते है जहां 2000 से लेकर 5000 तक लोग भोजन निशुल्क करते है।
सारे अखबारों की लीड स्टोरी है आज। वाह गजब के अच्छे मंगलवार उत्तर प्रदेश में !!!
हर पचास कदम पर आपको ये भंडारे मिल जाएंगे। गरीबों के साथ सभी लोग यहां स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ़ लेते है। गजब का राज है। बड़े आलीशान मकान वाले 20 से 25 हजार इसमें खर्च कर देते है।
अभी एयरपोर्ट आते समय सड़कों पर जगह जगह ऐसे टेंट देखे और जानकारी का प्रामाणिक स्रोत अपने Deonath Dwivedi जी और Mukesh Bhargava जी, है ही।
महीने भर के सभी मंगलवार को मजे ही मजे। गरीब लोग दिन भर में तीन चार दिन का भोजन संग्रहित कर लेते है तब आ जाता है अगला मंगलवार।
जय श्रीराम और जय हनुमान !!!!
वैसे आज मार्क्स की जयंती है क्यों Swatantra Mishra भिया जीमा रिये हो क्या तहलका भंडारे में रास्टरपति भबन में , माफी दई दो सरकार !!!
बात है 1797 इस्वी के आसपास की अवध में रानी छत्रकुंवर (मलका ऐ ज़मानी) बहु बेगम ने मन्नत मांगी थी की उनके बेटे सआदत अली खाना नवाब बने तो वो हज़रत अली (अ.स.) के नाम पर एक बस्ती बसाई जाएगी और उसमें ही हनुमान जी का मंदिर भी बनेगा, सआदत अली खान अवध के नवाब बन गये, लिहाज़ा हज़रत अली (अ.स.) के नाम पर बस्ती कायम हुई उसे अली गंज के नाम से जाना जाता है और अलीगंज में ही हनुमान जी का मंदिर बना जिसे अब हनुमान जी के पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है इस जगह को अब मेहदी टोला के नाम से जाना जाता है ,यहाँ मंदिर के अलावा गुरुद्वारा,मस्जिद भी कायम हुई. सआदत अली खान की पैदाइश मंगल के दिन हुई इसलिए उनकी माँ उन्हें मंगलू कहती थी मन्नत पूरी हो चुकी थी मंदिर भी बन चुका था इस मंदिर पर"चाँद तारा" आज भी कायम है ,उसी दौरान जेठ महीने के पहले मंगल को यहाँ पहले मेले का आयोजन हुआ और कर्बला वालों की याद में सरकार की तरफ से लखनऊ जगह -२ सबील (प्याऊ) लगी और प्रसाद बाटा गया,इसके बाद सरकार ने जेठ महीने के पहले मंगल को बड़ा मंगल घोषित किया और सरकारी छुट्टी का एलान कर दिया तब से लेकर आज तक इस आदेश का पालन होता है और जेठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को पुराने हनुमानजी के मंदिर के साथ नए हनुमान मंदिर (जिसकी तामीर राजा जाट मल ने करवाई थी ) लखनऊ शहर के सभी हनुमान जी मंदिरों के अलावा जगह सबील (प्याऊ) लगतें हैं और प्रसाद बंटता है .अवध की गंगा जमुनी तहज़ीब की यह मिसाल आज भी कायम है लखनऊ में जेठ माह के आज आखिरी मंगल के दिन इस पुरानी परम्परा को निभाया जा रहा है

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इस सबके बीच नामुराद गरीब और नालायक किसान हमारे फोकस से धकेल दिया गया है। और फेंकू के एक साल पूरा होने की खुशी में ये दोनों ससुरे जो कलंक है देश के नाम पर, सरकार ने रिजेक्ट करके सुसंस्कृत, सभ्य और शिक्षित शालीन मध्यवर्ग को अपना टारगेट बनाया है। चाहे वो मोदी हो या अखिलेश या कोई और। अब इस वर्ग को खुश किये बिना 17 या 19 के चुनाव जीते नही जा सकते । और साले बी पी एल कार्ड वालों के पास ट्रेक्टर है और दलित आरक्षण में मद मस्त है। रहा सवाल आदिवासियों का तो इन सालों को महुआ पीने दो और नाचने दो।
मध्यम वर्ग को फंसा दो- इनको मेट्रो से लेकर सस्ते मकान तक का झुनझुना दो - साले भक्ति करेंगे और वोट तो इनका बाप देगा और फिर अम्बानी - अडानी को भी पढ़े लिखे सभ्य मजदूर चाहिए।

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ए दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहां कोई ना हो
मुकेश भाई और देवनाथ जी के साथ एक सुहानी सुबह।
कुकरैल में मॉर्निंग वाक - घड़ियाल केंद्र के दर्शन । शुक्र है कि बहनजी की निगाह से यह बच गयी वरना दूसरी बार आ जाती तो यहां चिड़ियाघर ले आती और अभी वाले चिड़ियाघर में एक आम्बेडकर पार्क बना देती।
ये जो अंतिम फोटो में पेड़ों के पीछे गेस्ट हाउस देख रहे है वह वो जगह है जहां सहारा श्री सुब्रत रॉय सपा सरकार की मेहरबानी से यहां चार दिन रुके थे फिर बेचारे तिहाड़ जेल की तीर्थ यात्रा पर गए।


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एक राजा था जिसकी प्रजा हम भारतीयों की तरह सोई हुई थी ! उस राजा ने लोगों को तरह तरह के प्रलोभन,झूठे वादे,बड़े बड़े कार्पोरेट घरानों से सांठ गाँठ के बाद सत्ता हासिल की थी ।सत्ता मिलते ही वह हर बात ,वादे से मुकर गया था । उस राजा को प्रजा का नाम मात्र का ध्यान नही रहता था।वह विदेश भ्रमण का शौकीन था।वह अपने हर कार्यकलाप से कार्पोरेट घरानों पूँजीपतियों को लाभ पहुंचाता था. बहुत से लोगों ने कोशिश की प्रजा जग जाए .. अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध करे, लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था !राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये. प्रजा चुप रही. राजा ने अजीबो गरीब टैक्स लगाए प्रजा चुप रही राजा ज़ुल्म करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही
एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई उसने एक अच्छे-चौड़े रास्ते को खुदवा के एक पुल  बनाया ..जबकि वहां पुल की कतई  ज़रूरत नहीं थी .. प्रजा फिर भी चुप थी किसी ने नहीं पूछा के भाई यहा तो किसी पुल की ज़रूरत नहीं है आप काहे बना रहे है ?
राजा ने अपने सैनिक उस पुल पे खड़े करवा दिए और पुल से  गुजरने वाले हर व्यक्ति से टैक्स  लिया जाने लगा फिर भी किसी ने कोई विरोध नहीं किया ! फिर राजा ने अपने सैनिको को  हुक्म दिया कि जो भी इस पुल  से गुजरे उसको 4 जूते मारे जाए . और एक शिकायत पेटी भी पुल  पर रखवा दी कि किसी को अगर  कोई शिकायत हो तो शिकायत  पेटी मे लिख कर डाल दे लेकिन प्रजा फिर भी चुप ! राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल  कर देखता की शायद किसी ने कोई विरोध किया हो लेकिन 
उसे हमेशा पेटी खाली मिलती ! कुछ दिनो के बाद अचानक एक  एक चिट्ठी मिली .. राजा खुश हुआ के चलो कम से 
कम एक आदमी तो जागा ,,,,, जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे लिखा था - "हुजूर जूते मारने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए ... 
हम लोगो को काम पर जाने मे देरी होती है !
-भाई दिनेश कुशवाह (रीवा) की लघु कथा और हम आप सबका साझा चरित्र।

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जिंदगी में अच्छे और सही दोस्त ना होते तो मेरे जैसा आदमी पता नही क्या करता, कहाँ जाता और क्या करता? वैसे ही अक्ल है नही और फिर पता नही। खैर, देश - विदेश में फैले हुए सभी दोस्तों का एहसानमंद हूँ वरना अगरचे ये ना होते तो बस अपना बैंड बज जाता .

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With two best friends of my life.
A wonderful eve with delicious food at Deonath ji's house. Old sweet memories. What an eve just amazing.





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मोहस्नीन का क्या अर्थ होता है मित्रो..
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साला वर्क आउट करना है, जिम बहुत बढ़िया है, पर समय और ऊपर से आदत और माशा अल्लाह ये आलसपन.............और ये हल्की फुल्की काया !!
हाय कोई सुधारों मुझे...............सुबह उठकर जाना .........
क्या यह संविधानिक आग्रह नहीं हो सकता कि हर शख्स को दो घंटे रोज वर्क आउट करना होगा, 45 मिनिट ब्रिस्क वाकिंग करना होगा, और कठोर खाने का परहेज, किसी भी हालत में और आठ दिन नागा करने पर सजा ए मौत .

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सिर्फ साथ होने से साथ नहीं हो जाता 
सिर्फ दूर होने से दूरी भी नहीं हो जाती 
होना, और सिर्फ होना, होना नहीं है ना !!

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लम्बी दूरी तय करना हो तो सर पर वजन कम रखकर चलो............
तथागत की एक कहानी की सीख.
सभी को बुद्ध पौर्णिमा की बधाई.


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और मीडिया को नेपालियों ने वापिस कर दिया वे समझ गए कि ये सारे बल्लम फेंकू के सिद्धहस्त खिलाड़ी है।
लौट आओ शेरो, तुम्हारे सवालों के जवाब लालू, ममता ,नितीश, मुलायम, मायावती, उमा भारती या नितिन गडकरी टाइप ही दे सकते है।
अरे यार जब सरकार से सब मिल रहा है तो काहे इत्ती दूर जाते हो ?

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ना यादें है, ना रास्ते, ना साँसे
इस निर्जन में अकेला हंस 
लगता है एक सूखे पत्ते सा 
उड़ती धूल, आवारा बादल
लौटती लहर, सरकती रेत
धंसती जमीन, जलते जंगल
बस यही सब कुछ है आगे
जिंदगी कैसे यहां आ गयी ?

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किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फा है तो ज़माने के लिए आ.
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.
तुम्हारे लिए .............सुन रहे हो..................... ना कहाँ हो तुम......

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जितना भद्दा मंत्री नेता और ब्यूरोक्रेट्स बोलते है उतनी अश्लीलता तो किसी भाषा में नही होती.

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मोदी जी दुनिया भर में भारत की बुराई करें पचास साल गड़े मुर्दे उखाड़े तो कुछ नही और ग्रीनपीस की प्रिया पिल्लई आदिवासियों के विस्थापन और दर्द की कहानी लेकर देश के बाहर जाए तो उसे प्लेन से उतार दो , ग्रीनपीस के साथ 2000 एनजीओ का FCRA रद्द कर दो!!!
वाह रे सरकार और चाटुकार अफसरशाही, जवाब नहीं तुम्हारा।
चलो एक काम करो या तुममे कूबत हो तो निकालो इतना रुपया ग्रांट के रूप में और दो एनजीओ को काम करने के लिए या कुछ काम करके दिखाओ अपनी कूप मंडूक संस्थाओं से या फिर गधो घोड़ों की भीड़ में खो जाओ।
परोसो सारे पुरस्कार और लिख दो सारे अक्षर उन चापलूस दलालों के नाम जो सरकारी रोटी खाकर भी तुम्हारी ही निंदा पुराण में लिप्त है और आत्ममुग्ध होकर घूम रहे है मदमस्त से।

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