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लोकसभा में कितने घटिया लोग है जो अपने आरोपों पर जवाब देने के बजाय किसी के परिवार पर आक्रमण करते है कायर और मक्कार सांसद भाजपा के है और जवाब के बजाय घटिया कुतर्क करते है, लोकसभा अध्यक्ष महोदया जो इतनी अनुभवी और संस्कारित होने का दावा करती है क्या इसलिए वहाँ बैठी है कि ये सब घटियापन चलने दें इससे तो बेहतर मीराकुमार थी जो बैठ जाईये, बैठ जाईये तो चिल्लाती थी इनसे तो बहुत बेहतर ही थी. ये सुमित्रा ताई भी क्या करें - है तो उसी जड़ मानसिकता की ना - जो लठैत और फासीवादी है और इंदौर जैसे शहर को प्रतिनिधित्व देती है, जहां लठैत राजनेता ही रहते है और जब आती है उन्ही से घिरी रहती है काम तो कुछ करती नहीं, और लड़ाई भी लठैतों से ही है इंदौर में टुच्चीवाली तो आखिर ये सब संस्कार जायेंगे कहाँ ???
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मप्र में लग रहा है मानो कांग्रेस का शासन चल रहा है पिछले कुछ दिनों में जो हालत हुए है, शिवराज मामाजी ने जो भी अनिर्णय की स्थिति में खुद को रखा है और प्रदेश का नुकसान किया है उससे सहसा दिग्विजय सिंह की याद हो आती है.
इस बात को मै पुरी गंभीरता से कह रहा हूँ और यह सब होना स्वाभाविक भी है वही चमचे, वही मुख्यमंत्री, वही मक्कार ब्यूरोक्रेट्स और वही भ्रष्टाचार और काम करने के एडहोक तरीके.
शिवराज मामाजी भी एक ही रोल में उकता गए है यह उनकी बॉडी लैंगवेज से लगता है विश्वास ना हो तो देख लें अब सिर्फ वे खानापूर्ति कर रहे है. बेहतर है कि वे सत्ता किसी और को सौंप दें और वन की ओर प्रस्थान करें.
"कहते है ना अति सर्वत्र वर्जयेत"
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राजू और जया जैसे लोगों को सजा माफ़ और सलमान बाहर
देश में राम राज्य आया है, स्वागत करो और न्यायपालिका को अब कार्यपालिका और विधायिका से सीधा जोड़ दो..........
कोई आश्चर्य नहीं होगा कि रिटायर्ड न्यायमूर्ति भी अब चुनाव लड़े अगली लोकसभा में और राज्यसभा से सीधे बेकडोर इंट्री करें ..
तो बोलो, पार्टी का नाम बोलो - कौनसी पार्टी होगी.............? बोलो बोलो, शरमाओ मत, डरो मत बोलो .....
क्या कहा था इकबाल चचा ने "तेरे सनमकदों के बुत हो गए पराये............."
3.
जब जीवन में दो अमृत और एक आशीष हो तो दोस्ती शब्द के मायने कुछ स्वर्गिक भी हो जाते है। और फिर अमृत को अमृत से मिलाने का पुण्य भी लगता है।
भास्कर भोपाल में Amrit Sagar अमृत सिंह और दो पाटन के बीच में आशीष महर्षि.
छोटी सी अद्भुत और यादगार मुलाक़ात। शुक्रिया।
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Amrit Sagar हमारे मप्र के भोपाल में। मजा आ गया। पर अखर यह गयी कि हमारी मेजबान इस समय दिल्ली में सोशल नेटवर्क पर अपने काम में व्यस्त है।
जिन्हें यहां होना चाहिए वो दिल्ली में। अब ये दो बेचारे कहाँ जाए, क्या खाये पीये, कोई सुनने वाला नहीं। हे भगवान् कोई मदद करें
दो बेचार बिना सहारे , देखो पूछ पूछ कर हारे
बिन ताले की चाभी लेकर फिरते मारे मारे !!!!
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और हमारे कार्तिक मियाँ बंध गए विवाह के पवित्र बंधन में। Kartik Abhas and Arti Parashar
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