ये है प्रदीप कुशवाह, मात्र सत्रह साल के है पर असली मर्द, युवा और दिलेर हिन्दुस्तानी है. गोल पहाड़िया, राजा का गैस गोदाम बस्ती, ग्वालियर से है. आज प्रशिक्षण में इनकी कहानी बताई गयी तो मेरा सर गर्व से उठ गया.
प्रदीप के पिता को जमीनी झगड़ों में फंसा कर तीन साल पहले जेल में बंद कर दिया गया था, परिवार में प्रदीप के अलावा माँ और तीन बहनें थी , एक बहन की शादी पिताजी कर चुके थे, प्रदीप ने मेहनत की काम किया पेंटिंग का प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का और शाम शाम को घर घर जाकर गैस सिलेंडर बांटी, फिर दूसरे नंबर की बहन की शादी की, माँ ने भी काम किया, आज भी प्रदीप पढ़ रहे है और काम भी कर रहे है.
पूछने पर प्रदीप ने बताया कि पिता जी का जन धन खाता भी खुल गया, माँ का भी खुला है परन्तु रुपया एक भी नहीं है उसमे, कहने को बी पी एल कार्ड है पर कोई सुविधा नहीं मिलती है - ना राशन का सामान मात्र अठारह किलो गेंहूं मिलता है बस, बाकी कोई मदद नहीं , पर प्रदीप के हौंसले बुलंद है. मेहनत करके उसने पचास हजार इकठ्ठे कर लिए है, और अब तीसरी बहन की शादी करने वाला है,
प्रदीप कहता है - "फिर बचेगी एक और बहन तो उसकी भी शादी कर दूंगा दो साल बाद, हम गरीब है और पिताजी के कोर्ट की फीस भी वकील लूटकर हमसे ले लेता है विधिक सहायता से कोई मद्द नहीं मिलती पर हम हारेंगे नहीं. मै काम भी करता हूँ और पढ़ भी लेता हूँ, पिताजी की जिम्मेदारी निभा रहा हूँ पर अच्छा लग रहा है, और सीख रहा हूँ दुनियादारी"
जब पूछा कि अच्छे दिन क्या है तो बोला वो तो मुझे नहीं पता पर हमारे जो खाते खुले है जन धन के उसमे कम से कम सौ रूपये तो सरकार डलवा दें तो सरकार क्या है मै मान जाऊं !!! सरकार भले ही अच्छे दिन ना लायें पर मेरी जिन्दगी में मेरी मेहनत से अच्छे दिन जरुर आयेंगे, यह मेरा वादा है. प्रदीप की बात सुनकर मै द्रवित हो गया और जी भरकर आशीर्वाद दिए कि जा बच्चे तेरी वाचा फलें और मेरी उम्र भी तुझे लग जाए.
1
सही है, देश में दलित कम थे जो अब इन नामुरादों को भी आरक्षण चाहिए? यानि कि इस कर्नल को शर्म भी नही आती जो गुर्जर सबसे ज्यादा जमीन देश की लेकर बैठे है उन निकम्मों को भी आरक्षण चाहिए. गोली मार दो सबको इसी रेलवे लाईन पर जो विकास के पापा की राह में रोड़ा बने हुए है।
मेरा फिर से कहना है कि सभी प्रकार का आरक्षण अब बंद होना चाहिए, बहुत हो गया चुतियापा ! और जो मांगे उसे खुले आम चौराहे पर फांसी दे दो !!!
2
चलो आखिर आजादी के इतने सालों बाद "राज्यपाल " नामक बेचारे घोर उपेक्षित नामर्द को मोदी सरकार ने वयस्क यानि "मर्द" घोषित किया.
काश वो बेचारी गुजरात की राज्यपाल भी जो एक बुजुर्ग महिला थी, अपने आपको राज्यपाल समझ पाती जिसने सूचना आयुक्त की नियुक्ति की थी और इसी मोदी ने उसका जीना हराम कर दिया था पांच सालों में !!!
अरविन्द और तमाम कम्बख्तों अब खेलो कबड्डी !!!!
3
अच्छे दिनों की प्रसव पीड़ा , फुल टर्म हो गया अब क्या करें - नॉर्मल डिलीवरी का इंतज़ार या सीजेरियन , पर नर्सिंग होम का खर्च कौन देगा- अम्बानी, अडानी, अजीम प्रेम, टाटा, जिंदल या NRHM से आएगा ???
4
और महान आश्चर्य !!!!
अभी टीवी ऑन किया और सोनी लगाया तो.......
"सी आई डी" नही आ रहा है। हे भगवान, संसार में सब ठीक है ना ????
5
गुजरात से लेकर तमिलनाडु तक भारत एक है
6
इधर सरकार का एक साल पूरा उधर अम्मा के अच्छे दिन, आज से ही राज्य की महारानी बनी!
सब नदी नाव संयोग है प्रभु !!!
7
इस निर्जन में कभी लगता था कि कोई पहुंच नही पायेगा
सूरज की रश्मि किरणों से पूछ लेता तो बेहतर बता देती.
Comments