स्मरण : आज छायावादोत्तर काल के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवियों में से एक भवानीप्रसाद मिश्र (1913 - 1985) का सौवां जन्मदिन है . आज से उनका जन्मशती वर्ष प्रारंभ हो रहा है . प्रस्तुत है उनकी एक कविता :
उठो !
बुरी बात है
चुप मसान में बैठे-बैठे
दुःख सोचना , दर्द सोचना !
शक्तिहीन कमज़ोर तुच्छ को
हाज़िर नाज़िर रखकर
सपने बुरे देखना !
टूटी हुई बीन को लिपटाकर छाती से
राग उदासी के अलापना !
बुरी बात है !
उठो , पांव रक्खो रकाब पर
जंगल-जंगल नद्दी-नाले कूद-फांद कर
धरती रौंदो !
जैसे भादों की रातों में बिजली कौंधे ,
ऐसे कौंधो ।
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