पर हम पुस्तक मेले में आत्म मुग्ध होकर अपनी किताबें बेचते रहेंगे और सेल्फी चैंपते रहेंगे
हम बेशर्म हिंदी के प्रकाशक, लेखक , घर से फुरसती बूढ़े नाकारा लोग और किटी पार्टी वाली पेज थ्री की बेशर्म तितलियां
क्यों ना सब पुस्तक मेले का बहिष्कार कर बाहर आ जाये और एकजुट होकर इस फांसीवादी सरकार के ख़िलाफ़ दुनिया को इनका चाल चरित्र बताएं
नही जी, हमें तो "अंजू मंजू सीता गीता अनिता सुनीता" और अलाने - फलाने, घटिया और टुच्चे के साथ मिलना है फोटो खींचने का है ना
अरे महाधूर्त घटिया लेखकों और बुद्धिजीवियों जब शिक्षा के मंदिर बचेंगे तभी ना, पढ़ने - लिखने वाले पैदा ही होंगे नही तो तुम्हारी किताबें क्या मुर्दों को जलाने के काम आएंगी
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Completely failed Govt on all Fronts, time to change the same with immediate effect. instead of feeling shame change them and get rid from....
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Police is the worst system in free India . It is important to reiterate here that failure of Govt especially Modi and Shah , is being replaced by brutality of police and the students are being victim
Govt should feel shame on acts and controlling the Human in the guise of Police. A failure govt has only this way to divert things and focus from poverty, hunger, malnutrition, children's death across the country including Gujrat and mismanagement of finance
Why don't they Resign and leave.
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कैसे राष्ट्र भक्त और समझ वाले लोग है - एक इंदौर को जला देने की बात करता है , 30 - 40 गुंडे मवाली विवि में जाकर छात्रों और शिक्षकों को मार आते है रात में , नपुंसक छात्रा पर हाथ उठाते है जो देवी के नाम की माला जपते है, एक दहाड़ता है कि जेएनयू को नेस्तनाबूद कर देंगे, गृह विभाग का मुखिया राहुल प्रियंका को दंगे के लिए जिम्मेदार ठहराता है , एक CAA है ही नही जैसा कह कर देश को बरगलाता है
हर मोर्चे पर असफल , लगातार खोते जा रहें राज्य और विदेशों में खराब होती इमेज और अपने ही लोगों का भरोसा खो चुके ये लोग अपनी ही जननी जन्म भूमि और जग सिरमौर भारत को कबाड़ा में बेच रहे है 138 करोड़ जनमानस को बेवकूफ बनाकर
अभी तो 138 करोड़ लोगों को घर घर मे घुसकर मारेंगे , पुलिस को तो नपुंसक बना ही दिया है, प्रशासन को गुलाम और मीडिया तो रखैल है ही - रहा सवाल ... सवाल है ही कहाँ शेष
हमने ही चुना है कुपढ़, अपढ़, नाजियों को अब हम ही भुगतेंगे
हम सब मुर्दाबाद
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जेएनयू के वीसी को सड़क पर लाया जाए और देशभर के उन सब हरामखोर प्राध्यापकों को भी जो छात्रों के बजाय अपढ़ गंवार और जाहिल लोगों के आदेश मानते है और वहशत फैलाने के नाम पर छात्रों को निशाना बना रहे है
इन नालायकों को यह नही समझ रहा कि ये भी कल मारे जाएंगे - धर्म और शिक्षा का अर्थ और भेद नही मालूम तो इन को सबसे पहले जूतों की माला पहनाकर बाहर करो , सबसे ज़्यादा गन्द वीसीज़ और प्राध्यापकों ने इस समय मचा रखी है
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जग सिरमौर बनेंगे 2020 में
अपना स्तर देख लो -कितना और नीचे गिरोगे बै
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