Skip to main content

हम सब मुर्दाबाद 5 Jan 2020

हम सब मुर्दाबाद
Police is the worst system in free India . It is important to reiterate here that failure of Govt especially Modi and Shah , is being replaced by brutality of police and the students are being victim
Govt should feel shame on acts and controlling the Human in the guise of Police. A failure govt has only this way to divert things and focus from poverty, hunger, malnutrition, children's death across the country including Gujrat and mismanagement of finance
Why don't they Resign and leave.

***
कैसे राष्ट्र भक्त और समझ वाले लोग है - एक इंदौर को जला देने की बात करता है , 30 - 40 गुंडे मवाली विवि में जाकर छात्रों और शिक्षकों को मार आते है रात में , नपुंसक छात्रा पर हाथ उठाते है जो देवी के नाम की माला जपते है, एक दहाड़ता है कि जेएनयू को नेस्तनाबूद कर देंगे, गृह विभाग का मुखिया राहुल प्रियंका को दंगे के लिए जिम्मेदार ठहराता है , एक CAA है ही नही जैसा कह कर देश को बरगलाता है
हर मोर्चे पर असफल , लगातार खोते जा रहें राज्य और विदेशों में खराब होती इमेज और अपने ही लोगों का भरोसा खो चुके ये लोग अपनी ही जननी जन्म भूमि और जग सिरमौर भारत को कबाड़ा में बेच रहे है 138 करोड़ जनमानस को बेवकूफ बनाकर
अभी तो 138 करोड़ लोगों को घर घर मे घुसकर मारेंगे , पुलिस को तो नपुंसक बना ही दिया है, प्रशासन को गुलाम और मीडिया तो रखैल है ही - रहा सवाल ... सवाल है ही कहाँ शेष
हमने ही चुना है कुपढ़, अपढ़, नाजियों को अब हम ही भुगतेंगे
हम सब मुर्दाबाद
***
जेएनयू के वीसी को सड़क पर लाया जाए और देशभर के उन सब हरामखोर प्राध्यापकों को भी जो छात्रों के बजाय अपढ़ गंवार और जाहिल लोगों के आदेश मानते है और वहशत फैलाने के नाम पर छात्रों को निशाना बना रहे है
इन नालायकों को यह नही समझ रहा कि ये भी कल मारे जाएंगे - धर्म और शिक्षा का अर्थ और भेद नही मालूम तो इन को सबसे पहले जूतों की माला पहनाकर बाहर करो , सबसे ज़्यादा गन्द वीसीज़ और प्राध्यापकों ने इस समय मचा रखी है
***
जग सिरमौर बनेंगे 2020 में
अपना स्तर देख लो -कितना और नीचे गिरोगे बै
***
कांग्रेस 60 बरसों में इतनी डरपोक नही थी कि निहत्थे छात्रों और शिक्षकों पर हमला करती
अनपढ़, गंवारों और कुपढ़ों से और क्या उम्मीद कर सकते है
हर मोर्चे पर जब असफल हो गये और कुछ ना बना तो छात्रों पर और विद्या के मंदिरों पर टूट पड़े - कमअक्ली की यही निशानी है, सारे देश को कबाड़ बनाकर रख दिया है
और अब लिख लो कि तुम्हारे दिन लद रहें है दिनोंदिन हारते हुए चुनाव परिणामों से समझ नही आ रहा कि क्या औकात रह गई है
***
जेएनयू में जो कुछ हो रहा है वह इस देश के कायर, डरपोक और सत्ता के दलाल बुद्धिजीवियों की वजह से हो रहा है
ये लोग वो कौम है जो आत्म मुग्ध है और चुप रहकर वाट्सएप समूहों में या सोशल मीडिया पर छिछोरी हरकतें करके चर्चा में बने रहना चाहते है
2014 से ये सब संगठित रूप से इस अपराध में शामिल है और अपनी दलाली कमाते हुए , सरकारी नौकरियों को बचाते हुए बकैती में लगे है - सेमिनार से लेकर देशाटन इनका पेशा बन गया है
विद्यार्थियों को सरकार को नही इन चूहों , गिरगिटों, भेड़ियों को बिलों से निकालकर सड़कों पर धोना चाहिये प्रेम से पहले - ताकि इन्हें इनकी औकात समझाई जा सकें
धिक्कार है इनकी थोथी, घटिया और चाटुकारिता की समझ पर - ये सब मुर्दाबाद है
***
दिल्ली में आज से चुनाव प्रचार आरम्भ हुआ और आज ही जेएनयू निशाने पर आया
अभी इनकी नापाक हरकतें और बढ़ेंगी लिखकर रख लें - चुनाव जो है
सबसे बड़ी फ़ौज वाली और ताकतवर सरकार कायरों की भांति युवा छात्रों पर हमले कर रही है - शर्मनाक है
हम सब ज़िम्मेदार है कि हमने इनको चुना है - हम सब मुर्दाबाद है
समय आ गया है जब या तो भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था को भंग कर दिया जाये या फिर दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार के अधीन कर दिया जाये
जिस देश में छात्रों पर हमले हो वहां के 138 करोड़ लोग सिर्फ झुनझुने है और दो कौड़ी के वोट
अफ़सोस सुप्रीम कोर्ट में सन्नाटा पसरा है और राष्ट्रपति भी चुप है यह गम्भीर और घातक है देश के वर्तमान के लिए

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही