Skip to main content

जुकरबर्ग_की_पीड़ा World Book fair 2020 31 Dec 2019

और हाँ, एक आखिरी बात ध्यान से गाँठ बांध लें - ठीक समय से दस मिनिट पहले आकर लड़के को टिक करवा देना कि आप सही लेखक की किताब का लोकार्पण करने आ गए है, अगर टैंम पर नही आये तो दूसरे लेखक की क़िताब का विमोचन नही करने दूँगा, भाषण नही देने दूँगा, पेड़ा भी नही और हाँ - पानी तो आप जानते है ना बहुत महंगा है , और यार दोस्तों को घेरकर लाये तो चाय का पैसा भी आप देंगे हम नही
क्या है ना भाई साहब एक दिन में 37 किताबों का विमोचन है, दस दिन में 228 किताबों को निपटाना है साला, छाप ली थी और फिर दिल्ली में सब महान लेखक ही है और सब विमोचन में आएंगे, अब घर में काम रहता नही कोई , तो आ जाते है मेट्रो में सौ पचास लगाकर ... हम भी परेशान है इनकी थेथरई से पर क्या करें
जी, जी मैं आ जाऊँगा अकेला ही, पानी घर से ले आऊंगा ... एकदम समय पर आऊंगा , बस बता देना किताब किसकी है और बोलना क्या है, आपके लड़के को कहना कि फेसबुक पर फोटो डालें तो टैग कर दें मुझे - हीहीहीहीही...
2
कैसे है संदीप जी
जी, ठीक हूँ, क्या हुआ आपका फोन आया 26 जनवरी 19 के बाद, सब ठीक है ना ...
जी, जी सब ठीक है - आप आ रहें है ना 5 से 15, हम इंतज़ार करेंगे आपका , सभी मित्र भी आ रहें ना , मैं परांठे लाऊंगी आपके लिये, वही प्रगति मैदान में बैठकर खाएंगे सब मिलकर
ओह, पुस्तक मेला आ भी गया क्या, तभी यह फोन...
दूर चलबोले पर मादक हंसी सुनाई दे रही थी और किताब छपने की खुशबू भी आ रही थी
3
किताबें कहाँ मिलेंगी,
गूगल करो - सब मिलेगी
नही तो अभी दिल्ली में किताबों का हाट लग रियाँ है , किलो से मिलेगी, खरीद लाओ
या मंगवा लो किसी से , कोई दिलजला तो जाएगा ही
बेहतर है चले ही जाओ, एक एक प्रकाशक एक एक दिन में एक एक सौ किताबों का विमोचन करवा रियाँ है - बड़े बड़े बल्लम किताबों का केशलोचन, ओह सॉरी लोकार्पण करेंगे दिन भर - जो किश्तों में आएंगे और रखें हुए सूखे पेड़े ख़ाकर जाएंगे या बापड़ा लेखक फ्रेश मिठाई ले आयें, वो भी मिल जायेगी
तो मल्लब जाने में फायदा है
नही गुरु , तंज भी नही समझते, तुम साला साहित्य पढ़ना - समझना ही छोड़ दो , अबे इत्ती सारी किताबें कोई छापता है क्या और पढ़ता है क्या - सब माया है
4
एक जज, प्रशासनिक अधिकारी या आईपीएस यदि खराब शायर या कवि हो जायें तो खराब राष्ट्रवादी वक्ता बन ही जाता है जो विवेकानंद के बहाने "माँ भारती पुकारती" टाईप कविताओं को पेल देते है भाषणों में और तालियाँ बटोरकर थोथी लोकप्रियता ले जाते है

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...