एकला चलो रे
नए साल में अपनी जिन्दगी जियो, और वो सब करो जो करने से खुशी मिलती है, जब तक अपने भीतर का डर नहीं निकलेगा तब तक कुछ नहीं हो सकता. दुनिया बहुत बड़ी है- नौकरी, समाज और आसपास के तनाव और फ़ालतू लोगों की चार बातें सुनने से बेहतर है कि अपना काम और अपना ध्यान अपनी रचनात्मकता पर लगायें. किसी और के सपनों के लिए नहीं किसी और की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि अपना जीवन जीने और अपने हिसाब से सब करने के लिए जियें आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
जब तक आप नौकरी, समाज, साहित्य के (अगर मुगालते है कि आप महान कवि, कहानीकार या उपन्यासकार आलोचक है तो) तनाव झेलते रहेंगे, घटिया किस्म के मूर्ख लोगों की उजबक किस्म की बातें सुनते रहेंगे और उलजुलूल विचारों को और दूसरों को सपनों को पूरा करने के लिए अपने को मारेंगे, या इन घटिया लोगों से मान्यता लेने के लिए घिसते रहेंगे कागज़ - क़लम, अपने लिए लिखें - तब तक आप कुछ सार्थक नहीं कर पायेंगे. जिन्दगी बहुत बड़ी होती है और अपने आसपास के लोगों से परे भी दुनिया में अच्छे लोग है- इस बात को ध्यान में रखें.
खूब पढ़े, लिखें, मनन करें, अपने परिजनों को, बच्चों को, अपने लोगों को, सच्चे दोस्तों को समय दें, सबसे महत्वपूर्ण अपने खुद के लिए अपने जीवन से समय निकालें और वो सब सोचे विचारे जो आप करना चाहते है.
हमेशा अपने आप को अपडेट रखें, नया कौशल सीखें, पुराने दोस्तों को छुट्टा छोड़ दें, पानी भी एक समय के बाद सड़ जाता है, बल्कि नए दोस्त बनाएं, नई जगह घूमें, नए लोगों से मिलें और उनसे सिर्फ प्यार से चार बातें कर लें, यकीन मानिए जिन्दगी में बहुत ज्यादा मजा आयेगा, बजाय किसी को कोसने और दुत्कारने के नए लोगों के साथ समय लगाए, आप देखेंगे कि कैसे एक आम आदमी संघर्ष करके भी जिंदा रहने की पुरजोर कोशिश करता है, उसके लिए दुनिया रोज बनती है, अपने भीतर वो ताकत पैदा रोज होती है कि जिन्दगी मुश्किल दौर में भी चल सके और चला सके, और यही वो ताकत है जो आपको हमेशा कुछ गढ़ने की और सार्थक करने की ऊर्जा देगी. साथ कोई नही देगा यह याद रखें - अपने लोग ही सबसे पहले आपको डसेंगे और ओछेपन की हदें पार करेंगे इसलिए समय रहते पानी बदलते रहें, मिट्टी को खोदकर उलट पुलट करने से जमीन में हवा पानी और सूरज की रोशनी जड़ों तक पहुंचती है
अगर नए साल में हम सिर्फ एक बार जिन्दगी जीने का प्रयास करें तो हम बहुत कुछ कर पायेंगे. याद रखिए वो सिर्फ फिल्म नहीं थी एक फलसफा था जीवन का ...."जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा" पर इसके लिए अपनी ही बनाई वर्जनाएं तोड़ना होंगी और दायरों से निकलकर जीना होगा - दुनिया को जूते की नोक पर रखते हुए जियें - किसी को किसी की जरूरत नही होती, सब स्वार्थ और मोहमाया है
नया साल मुबारक और आप एक भरी पुरी जिन्दगी जी पायें इस हेतु शुभकामनाएं.......
[ विनम्र निवेदन - मेहरबानी करके वाट्सएप या मैसेंजर में नए साल के संदेश ना भेजें, आप यदि मेरे मित्र है तो आपकी शुभ कामनाएं साथ ही है - कचरा, फूल - पत्ती या निहायत ही घटिया कॉपी - पेस्ट वाले मोटीवेशनल सड़कछाप पोस्टर भेजकर मेरे मोबाइल को स्वच्छता अभियान की कचरा गाड़ी ना बनायें ]
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