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Drisht Kavi and other 9 Jan 2020

सर्दी बहुत है
जी, सही कह रही आप
धूप में मन लगता है, देर तक बैठी रहूँ और मटर छीलती रहूँ
जी, कब बैठती है आप, मैं भी आ जाता हूँ
आपकी नौकरी....
अरे कालेज का क्या है , कह दूँगा मतदान का ट्रेनिंग है और स्थानीय निकाय के काम शुरू होंगे ही
आप तो एक काम करिये कालेज में ही मटर ले जाइए दो किलो , शाम को याद से दें देना, दिल्ली जा रही हूँ कल इंटरसिटी से पुस्तक मेले में - वहाँ फलाने जी, जिज्जी को और अमके - ढमके प्रकाशक को मटर की कचौड़ियाँ बहुत पसंद है , सो बनाकर ले जाऊंगी, ढाई किलो गाजर किस सकते है क्या - मुस्कुराकर कवियत्री बोली
जी, आज तो सम्भव नही, नैक की टीम आ रही है ...अंग्रेजी का प्रोफेसर उर्फ बूढ़ा कवि कुतिया, छिनाल मन ही मन बोलते बड़बड़ाते हुए निकल गया कवियत्री के घर से
***
पुस्तक मेले में छपी किताबों के केश लोचन समारोह उर्फ लोकार्पण देखकर एनजीटी को प्रकाशकों के ख़िलाफ़ सख्त कदम उठाना चाहिये
प्रकाशक हिसाब दें कि कितनी छपी, कितनी बिकी और कितनी शेष और कागज़ पर सब्सिडी बंद हो, एक राष्ट्रीय समिति तय करें कि क्या छपने योग्य है क्या नही, जो आता है वह किताब छपवा लेता है - पति अफसर तो पिछड़े जिले में भ्रष्टाचार करके अपनी पेज थ्री तितली का घटिया माल छपवा लिया रुपये देकर या खुद नौकरी ना जाकर या नौकरी पर रहकर कवि कहानी के कुकर्म कर पोथा बना लिया
पर्यावरण तो हमारा बिगड़ रहा - तुम 25 - 50 हजार देकर रद्दी इकठ्ठी कर रहें हो और प्रदूषण देश का बढ़ रहा, प्रकाशक चांदी काट रहें है रॉयल्टी तो दूर ससुरे बताते भी नही कि किताब का हुआ क्या - मरघट में कंडो की तरह तो नही बेच दी
" अंजू मंजू सीता गीता अनिता सुनीता और रामलाल बाबूलाल छेदीलाल मुन्नालाल के गैंग " के कचरे को छपाने में कितने पेड़ कटे होंगे - और होगा क्या इतना कचरा छापकर - रंगा बिल्ला के एक बयान से सारे बुद्धिजीवी हकलाकर बिल में घुस जाएंगे , मूर्ख जनता झंडा पकड़कर CAA के समर्थन जुलूस में "चोली के पीछे क्या है" गाने पर नाचेगी और हिंदी के कायर लेखक प्राध्यापक वीसी बनने के चक्कर में बीबियों के पल्ले में मुंह छुपाकर वाट्सएप पर जिज्जी और साड़ी की तारीफ करते रहेंगे
शर्म मगर इनको आती नही
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भोर के सपने झूठे नही होते
नरेंद्र मोदी 24 तक पीएम बने रहेंगे यह लगता नही अब- छबि खराब ही नही खत्म हो गई है , सबसे बड़े फेल्योर रहें हैं आजाद भारत के और भाजपा का यह इक्का अब गेम नही जीत सकता, बड़बोले और जुमलेबाजी से देश को मुक्ति मिलेगी पर बड़ा हिटलर आएगा 2024 तक के लिए यह दुखद है
अमित शाह अगले 6 माह में पीएम और 2024 के बाद घर, लम्बी विदाई
इधर संघ को भी समझ आया है कि गैर चित पावन बामणों को सत्ता देने से कितना कबाड़ा होता है, और इन दोनों ने बर्र के छत्ते में हाथ डालकर 2024 में संघ की 100 वीं जयंती वर्ष और हिन्दू राष्ट्र का कितना नुकसान कर दिया है
कश्मीर, मन्दिर, हिन्दू मुस्लिम, पाकिस्तान के मुद्दे अब पीछे है - अस्मिता की लड़ाई ही जीवन है और यहाँ अमित शाह भी फेल हो गया है, देश के 55 % युवाओं ने नकार दिया है
कल्लू मामा, गोली मार भेजे में - भेजा शोर करता है
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