मित्रों, सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि सन 2015 का प्रतिष्ठित हिन्दी कहानी केलिए वागेश्वरी पुरस्कार मेरे संकलन "नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाएं" को और कविता के लिए मित्र Bahadur Patel के संकलन को मिला है. यह देवास के लिए गर्व की बात है कि एक साथ कहानी और कविता के लिए पुरस्कार मिला. आभारी हूँ डा प्रकाशकांत जी का जिनके सानिध्य में मैंने अक्षर ज्ञान सीखा और लिखना भी.
यह सिर्फ खबर नहीं बल्कि एक आश्वस्ति है मेरे लिए और एक स्वीकार्यता कि मेरे लिखे को नयी भाषा, कथ्य और स्वरुप में प्रस्तुत करने के पर भी कहानी माना गया और व्यापक स्तर पर स्वीकारा गया.
यह पुरस्कार सभी मित्रों, अपने पाठकों को समर्पित है, एक का नाम लेकर मै किसी को छोटा नहीं करना चाहता, यह प्यार और संबल ही मेरी कसौटी और चुनौती भी है. दिल से आभारी हूँ और सच में शुक्रगुजार हूँ Palash Surjan जी और उनकी टीम का, निर्णायकों का जिन्होंने मुझे इस लायक समझा. अंत में इस सारी यात्रा में मेरे अपने घर के लोग, मेरे बच्चे जो मेरा जीवन और सम्पत्ति है, नहीं होते तो मै शायद कुछ भी नहीं कर सकता था.
सवाल पुरस्कार का नहीं है एक गैर हिन्दी भाषी व्यक्ति और उसकी अभिव्यक्ति को हिन्दी के विशाल संसार में स्वीकार करके मान्यता देने का है. मेरी कोशिश होगी कि अब सिर्फ और सिर्फ अच्छी कहानियां आपके लिए लेकर आऊ, एक ऊर्जा और ताकत मिली है , यह मेरे जैसे छोटे और "अअकादमिक" आदमी (Non Academic Person) केलिए बहुत बड़ा भरोसा है.
मेरी स्वर्गीय पिताजी - माँ और पिछले साल गुजर गए भाई को आज बहुत याद कर रहा हूँ और यह बेचैनी इन्ही तीन मौतों से उपजी है जिन्हें मैंने तिल तिल मरते देखा है और मै कुछ नहीं कर पाया.
पुनः शुक्रिया और आभार.
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