मेरे जैसे लोग आरक्षण के बारे में कुछ लिख दें तो यहाँ जनता मेरा खून करने पर उतर आती है और फोन पर बदतमीजी करने लगती है और मप्र में सिंहस्थ में 12 मई को राज्य प्रायोजित समरसता स्नान और भोज सिर्फ और सिर्फ दलितों के लिए अलग से उज्जैन में आयोजित किया जा रहा है, जिसमे अमित जी भाई शाह दलितों के साथ डूबकी भी लगायेंगे नर्मदा, क्षिप्रा और शहर के गंदे नालों से मिले हुए सीवेज के (आज की ताजा खबर है कि शहर का पूरा गंदा जल क्षिप्रा में मिल गया और प्रशासन की चाक चौबंद व्यवस्थाएं मिट्टी में मिल गयी, हाय मेला, हाय मेला और हाय- हाय मैला) मिश्रित गंगाजल में और भोजन भी करेंगे तो कोई कुछ बोल क्यों नहीं रहा और मजेदार नाम आज भास्कर में पढ़ा "शबरी स्नान" , वाह जैसे प्रभु राम ने शबरी ट्रीटमेंट किया था वैसे ही आधुनिक सरकार के उद्धारक अमित जी दलितों को ट्रीटमेंट देंगे.
वैसे धर्म के जानकार और हिन्दू धर्म के ज्ञानी - ध्यानी मुझ जैसे सवर्ण बदमाश की जिज्ञासा शांत करेंगे कि सिंहस्थ में यह परिपाटी पुरानी है या परम पूज्य सरकारानन्द हिन्दू क्षत्रप इसे आरम्भ कर रहे है ? राज्य प्रायोजित भेदभाव और छुआछूत का इससे अचूक उदाहरण कहाँ मिलेगा ?
अरे, अभी समय है महामहिमों - जाओ - हाईकोर्ट जाओ, सुप्रीमकोर्ट जाओ और सरकार को खुले रूप में भेदभाव करने और अजा, अजजा एक्ट के तहत कटघरे में खडा करो, नहीं जी, हम क्यों करें हम तो सुविधाएं लेंगे आरक्षण की, और फिर डूबकी भी लगायेंगे इससे स्वर्ग मिलेगा, उससे सुविधाएं यथा नौकरी, शिक्षा के लिए सीट, प्रमोशन और बाकि भोजन का क्या है - वह तो मिल ही रहा है, सरकारों के तलवे तो चाटते आये है हम सन 47 से, भाड़ में जाए डा आम्बेडकर जिन्होंने कभी नहीं कहा कि शिक्षित बनकर संगठित हो और आरक्षण लो, नहान करो और प्रमोशन लो !!! तभी तो आज हम अपने होने की दुहाई देते है, नाश हो इन वामपंथियों का जो हम भोले भाले सज्जन भोले दलितों को हमारी चुनी हुई प्यारी सरकार के खिलाफ भडकाते है. अब कई राज्यों खासकरके हमारे रामजी के उत्तर प्रदेश में चुनाव है तो क्या , हम वहाँ भी अजुध्या में जाकर, सरयू में जाकर सरकार के साथ शबरी स्नान करेंगे और शम्बूक भोज करेंगे ( "शम्बूक भोज" मेरा दिया नाम है, यदि सरकार इसे इस्तेमाल करें तो मुझे कॉपी राईट दें दस करोड़ का !!!)
जय हो दलित, जय हो सरकार, जय हो महाकाल और सबकी जय जय - समझ रहे है ना.?
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नितीश या लालू, ममता या मायावती और कैलाश या जेटली इस समय दुर्भाग्य से देश में कोई नेता नही है इसलिए मोदी को लोग ढो रहे है क्योकि मैदान जब खाली हो तो कोई क्या करें। असल में ऊपर जो नाम लिखें है वे भी मोहल्ले के पार्षद या एक गाँव के सरपंच से ज्यादा औकात नही रखते, मोदी को गुजरात से निकालकर देश सौंप देने के गम्भीर परिणाम संघ, भाजपा और सबसे ज्यादा लोग भुगत ही रहे है इसलिए नितिश, ममता या शिवराज के लिए अब कोई उम्मीद नही है।
इस समय 125 करोड़ लोगों का देश गम्भीर नेतृत्व के संकट से गुजर रहा है। शासकीय कर्मचारियों से लेकर आम लोग, दूरदराज के आदिवासी भी गहरे सकते और सदमे में है और मोदी और अमित शाह के कारण भाजपा में विश्वास खो चुके है यहां तक कि भक्त भी हैरान है पर बोल नही पा रहे।
क्या इस गम्भीर नेतृत्व की कमी से जूझते देश में कोई संभावना नजर आती है कही, या कुछ और ? मित्रों उजबकों की तरह जवाब देने के बजाय वहाँ से सोचें जहां से मैं बात कर रहा हूँ । विकल्प के अभाव में हम फिर एक घटिया स्व केंद्रित व्यक्ति को 2019 में ले आएंगे और घुटते रहेंगे।
देश के बारे में सोचिये जिस आदमी को फर्जीवाड़ा करके डिग्री बनवाना पड़े रोज झूठ पर झूठ बोलना पड़े और नित नए रूप बहरूपिये की रूप तरह धरना पड़े वह क्या करेगा। नितीश या बाकी सारों में भी कोई जुदा नही है इस नोटँकीबाज से।
यह मुश्किल समय है जब विपक्ष भी जोकर से ज्यादा औकात नही रखता चाहे कांग्रेस हो या वाम दल जो जमीन ही खो चुके है वे क्या देश का सोचेंगे और ये कुछ कर भी नही पाएंगे। अरविंद भी एक विकल्प हो सकते थे पर जिस तरह के वोटर उन्हें चाहिए वे देश के पास नही है। और अरविन्द भी मोहल्ले की किसी समिति के अध्यक्ष हो सकते है पर नेता तो हरगिज नहीं। मोदी का प्रयोग एक बड़ा फेल्युवर है भाजपा को और इसे आज नही तो पांच साल बाद भुगतना पडेगा।
भारत उदय जैसे कार्यक्रमों में जाकर जमीन से एक गरीब से बात करके देखिये वह बताएगा मोदी, शिवराज या भृष्टाचाट के सबब और फिर बात करिये। ये लोग अगस्टा डील की बात करके ध्यान भटका रहे है, कितने लोगो को हवाई जहाज से लेना देना है, शर्म करो नीच लोगों, मनरेगा और रोटी की बात करते तुम्हारी नानी मरती है और इस बहस में सब पूरी कमीनगी के साथ संसद में समय बीता रहे है, इन्हें शर्म आती है या नही ? जब ये घटिया जनता के पैसे इटली पर बर्बाद करेंगे तो देश की समस्या क्या इनके बाप हल करेंगे, और ये सब तय शुदा स्क्रिप्ट के तहत हो रहा है और सब इस पाप में शामिल है,कमाल है कि वामपंथी भी वहाँ बैठकर भड़ैती कर रहे है, डूब मरो नालायकों ।
नेतृत्व की , नेता और देश की बात कीजिये, और जब तक हम लोग इन्हें नही खीचेंगे ये कमीन सिंहस्थ से लेकर राम मन्दिर और इटली, अमेरिका और पाकिस्तान में घूमाते रहेंगे। देश की बात कब करोगे ?
घटिया मानसिकता की उल्टी यहां नहीं करें।
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टेगडो से परेशान हो गया हूँ।
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