भारत में यह मोदी पहला प्रधानमंत्री है जो विश्व व्यापार के चतुर सुजानों को आमंत्रित करके यहाँ के अर्थ व्यवस्था, घरेलू काम धंधों और निजी जानकारियों को भी विश्व फलक पर ले जाने और बेचने के लिए बेताब है. मन मोहन सिंह ने तो सन 1991 पैरेस्त्रोईका और ग्लास्नोस्त के फार्मूले पर सिर्फ मिश्रित अर्थ व्यवस्था को ख़त्म किया था, सोना गिरवी रखा था, और कर्ज लिया था देश हित में परन्तु यह आदमी देश को नीलाम करने निकला है और हर बार निवेश के नाम पर एक सौदा करके आता है.
क्या आपको लगता है कि आई आई टी भारत में पढ़ने वाला और ब्रेन ड्रेन का सशक्त उदाहरण सुन्दर पिचाई सच में देश भक्त है यदि होता तो अपनी मेधा से यही रहकर कुछ कर लेता जैसे हमारे पंजाब के अनपढ़ किसानों ने जुगाड़ बनाया और आज वह हर जगह काम आ रहा है, या छोटे लोगों ने तकनीक से अपना दिमाग लगाकर देश और समाज हित में काम किया.
विश्व बाजार का भारतीय सुन्दर पिचाई विश्व बाजार का नया मोहरा है, जिसे गूगल ने हाल ही में भारत में बाजार और स्टेशन से लेकर हर जगह सत्ता कायम करने के लिए नियुक्त किया है या यूँ कहें कि जिसके सहारे हमारे बाजार और विश्व के दो नंबर के जनतंत्र पर कब्जा करना चाहता है अमेरिका, यह ठीक वैसा है जब 91- 95 में सौन्दर्य में हमारी एश्वर्या रॉय या अन्य काली लड़कियां साजिश के तहत विश्व सुंदरियां बनाई गयी थी और आज दूर दराज के आदिवासी गाँवों में ब्यूटीफुल होना एक परम्परा है.
मार्क, सुन्दर, मर्डोक, सत्या नडेला, जॉन चेम्बर्स, पौल जैकब्स अरबों रूपये के पॅकेज वाले ये लोग हमारे मित्र नहीं बल्कि वे उन देशों के गुलाम और लुभावने सेल्समन है जो भारत की सत्ता पर काबिज होना चाहते है. ये दुनिया के बड़े लूटेरे है.
ध्यान रहे मित्रों अब लड़ाई हथियारों से नहीं, पानी और भाषा से नहीं बल्कि सूचना प्रोद्योगीकी से लड़ी जानी है और हम सब अब गुलाम है फेस बुक से लेकर वाट्स अप पर, तमाम तरह के उपकरण और तकनीकी से हम अब एंड्राइड तक. बेरोजगारी, किसान समस्या, कुपोषण, आत्महत्या, बलात्कार, साम्प्रदायिकता जैसी विकराल समस्याएं कैसे हल होंगी यह तो नहीं मालूम परन्तु ग्लोबल व्यू में यकीन करने वाले हम गरीब लोग कब तक कैसे लड़ेंगे यह भी नहीं मालूम परन्तु देश जिस ओर भी जा रहा है और चमक दमक के सहारे सारे इतिहास को धो पोछकर अपना ब्रांड बनाने की जो हरकतें है निदा पुराण करके, और आत्ममुग्ध होकर वह शर्मनाक है.
अब तक हम टाटा, अजीम प्रेम, जिंदल, अम्बानी और अडानी से जूझ रहे थे, और अब सतर्क रहिये नए वेश में नए सुन्दर और आई टी में दक्ष और कौशल से परिपूर्ण "सेक्सी" लूटेरे आ रहे है जो अपनी निजी जिन्दगी में ताक झाँक भी करेंगे और आपके बेडरूम से लेकर आपके खातों पर भी टेढ़ी नजर रखेंगे, और ये सब राज्याश्रय वाले ठग होंगे और आप कुछ कर भी नहीं पायेंगे - क्योकि जो इस समय इनके खिलाफ बोलेंगे वो सब मारे जायेंगे.
सारा सोशल मीडिया नया पड़ोस है पर अपने घर में हम इरोम शर्मिला को मार डालेंगे जैसे पानसरे, दाभोलकर या कलमुर्गी को मारा था। जो इस डिजिटल इंडिया में शामिल नही होंगे या फेसबुक पर चित्र नही बदलेंगे , मारे जाएंगे। आपको क्या याद है कि ये वही स्टाइल है जिसमे मार्क ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फेसबुक को रंगीन किया था ?
सूचना तकनीक वाले मित्र या भक्त बता पाएंगे कि मप्र के व्यापमं और कुपोषण से कैसे मापेंगे श्रद्धेय मोदी जी के डिजिटल इंडिया में ?
खैर , डिजिटल इंडिया की दीवानगी मुबारक।
Comments
सटीक सामयिक चिंतन ..
आपका सपने पर स्वागत है - [पढ़े डिजिटल इंडिया --
http://sapne-shashi.blogspot.in/
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