शहरों को इतनी तेजी से बदलते हुए देखकर बहुत खुशी भी होती है और दुःख भी क्योकि इस विकास में बहुत लोगों के आंसू छुपे है और चकाचौंध के पीछे हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों की दास्तान कही ख़त्म कर दी गयी है.
सिवानी ऐसा ही एक शहर नजर आता है आज से चार साल पहले यानी सन 2008-10 तक मै इस शहर में इतना आया हूँ कि यह अपना सा लगने लगा था पर आज जब कदम यहाँ पड़े तो लगा कि कितना बदल गया है और कितनी जल्दी........पता नहीं पर अच्छा लग रहा है.
रोमांचित हूँ , मंडला से बेहतर और काफी मॉडर्न होता यह ठंडा सा शहर आज धड़क रहा है बाजार,, भीड़, दुकानें और ब्रांडेड सामान की दुकानें, चौराहों पर ट्राफिक सिग्नल और खूब चौड़ी सड़कें वाह.........दिल करता है यही बस जाऊं !!
आजकल ना जाने क्यों हर शहर से गुजरता हूँ तो वही बस जाने को दिल करता है - नए लोग, नए विचार, नई कल्पनाएँ और नई उम्मीदें .........तो क्या हम उम्मीदविहीन समय में रह रहे है? खैर ..............
एक जुग बीत गया तुम्हारी याद में और तुम तो कोलावरी डी को भी भूल गए , इतनी जल्दी सब कुछ भूलकर कैसे जी लेते हो और यहां तो अभी दिल जलता है तो जलने दे ही अंदर घुमड़ रहा है । बरसात की बूँदें जम सी गई है शुष्क त्वचा पर और चहूँ ओर एक आवाज के शोर में मैं डूबता जाता हूँ...तुम्हारे लिए.....सुन रहे हो ना ......कहाँ हो तुम ???
आप किसी को अपने दोस्तों की सूची में इसलिए मत जोड़िये क्योकि वह मेरी सूची में है. कृपया सोच समझकर दोस्त बनाएं
( आज किसी के साथ कुछ हो गया तो उसने मुझे कहा कि वह तुम्हारा दोस्त था)
मेरी सूची में अब 5000 दोस्त है जिसमे से 95% आभासी दुनिया के लोग है और मैं उन्हें सिर्फ इस माध्यम पर जानता हूँ. सावधानी ही बचाव है मितरोँ ।
फिर नर्मदा के किनारे .......घने जंगल और भोले लोग
ये मन की बात कब खत्म होगी और देश की बात शुरू ?
मन ने कहा कि सबै भूमि गोपाल की तो मितरोँ मैं आप सबसे भूमि लेना चाहता था, पर गोपाल नाराज ना हो जाएँ इसलिए मन ने कहा कि मत छीनो वरना 19 में पाँव के नीचे की जमीन खिसक जायेगी इसलिए मितरोँ अब नही लूंगा पर छोड़ूंगा नही एक इंच भी, थोडा खुश हो लो कुछ और नाम दूंगा इस प्यार को !!!
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