#shivrajchouhanCM lost his hold on administration in MP. My late brother's wife nt getting mercy job for last one year. Shame shame.
मप्र शासन के मुख्यमंत्री #शिवराजसिंहजी #ShivrajSinghChouhanCMMP सुन रहे है , मेरे भाई की मृत्यु को इस 27 सितम्बर को एक साल हो जाएगा, और उसकी बेवा को आपके भ्रष्ट राज्य में अभी तक अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिली है. लगता है हमें भूख हड़ताल करना पड़ेगी या बड़ा आन्दोलन क्योकि आपके अधिकारी सिर्फ और सिर्फ कागज़ चलाना जानते है. आपके नाम पर चल रही हेल्प लाइन में दुनिया का सबसे बड़ा झूठ और मक्कारी है जिसका कोई ना असर होता है ना फ़ायदा, काहे के मुख्यमंत्री है आप ???
जितनी ऊर्जा मैंने लगाई है उसके देयक लेने में और अनुकम्पा नियुक्ति लेने के लिए उससे एक नए संसार की रचना की जा सकती थी.
बहुत गर्व और शर्म से बता रहा हूँ कि जितने आवेदन मैंने लिखे है और प्रदेश के मुख्य सचिव से लेकर आपको, संभागायुक्त, विभाग के सचिवों को और जिला कलेक्टर - देवास को उससे तो कम लकड़ी में मेरे भाई की चिता जल गयी थी शिवराज जी.
आपको और आपके अधिकारियों को ना हिन्दी आते है ना अंगरेजी इतने बेहूदा, निकम्मे और गैर जिम्मेदार अधिकारी मैंने कही नहीं देखे तभी तो आपके जैसे लोग व्यापमं करने में सफल हो जाते है और टीनू जोशी और अरविन्द जोशी लोग संपोले बन जाते है. शर्म आती है मुझे यह कहते हुए कि सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश सिर्फ और सिर्फ दिखावे के अलावा कुछ नहीं है और आपकी ना प्रशासन पर पकड है ना शासन पर.
पर अफसोस ना शर्म किसी में बाकी है ना किसी में इतनी तमीज कि जवाब भी दे दें और आपको तो फुरसत नहीं कि कुछ ध्यान दें...........
सवाल ये है कि इन सारे अधिकारियों के या राजनेताओं के मर जाने पर इनकी बेवायें कहाँ से कागज़ लायेगी?
"संदीप जी अगर बच्चे ना होते तो मै ये नौकरी छोड़ देता और सड़क पर खड़े होकर अंडे बेच देता, आये दिन पार्टी के विधायकों का, सांसदों का फोन आता है कि इतने बड़े पद पर बैठे हो, तो क्या दो चार लाख चन्दा नहीं दे सकते, और तो और क्या अधिकारी हो, गालियाँ धमकी और बदतमीजी ...........बहुत दुःख है मुझे कि इस शासन व्यवस्था में इमानदारी की सजा यह है कि दो साल में सात बार स्थानांतर किये गए मेरे और अब फिर कहाँ जाना है, कब यहाँ से भी भगा दें - पता नहीं इसलिए मै अपने साथ एक ब्रीफकेस में दो जोड़ी कपडे और साबुन ब्रश तैयार रखता हूँ."
मप्र के एक ब्लाक में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का रोते हुए बयान जिसने आज बातचीत में मुझसे कहा इस शर्त पर कि उनका नाम जग जाहिर नहीं होने दूंगा वरना उनकी नौकरी चली जायेगी.
और मेरे साथ इस बातचीत के चार गवाह भी है. बताईये कि हम कहाँ जा रहे है और क्या पाना चाहते है. कितना शर्मनाक है इस शासन व्यवस्था में यह सब सुनना. बहुत दुखद और सारा ध्यान सिर्फ व्यापमं पर केन्द्रित हो जाता है जबकि "और भी गम है जमाने में मोहब्बत के सिवाय"
आओ बनाए मध्य प्रदेश ...
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