मोती यह गलत बात है, पहले चारु और अब तुम धोखा देकर गुजर गए........यानी राजस्थान में अब हमारा कोई संगी साथी नहीं रहा?
बारां जैसे पिछड़े जिले के मामोनी और किशनगंज जैसे भयानक पिछड़े इलाके में तुम काम कर रहे थे. मुझे याद है सन 1991 में हम पहली बार किशनगंज में मिले थे अनिल बोर्डिया, बजरंग लाल, अदिति मेहता आदि के साथ डा बी शेखर उस समय मसूरी से आकर लोक जुम्बिश ज्वाईन ही किये थे. रात के अँधेरे में जब हम सब संकल्प संस्था पहुंचे तो वहाँ एक टपरा था मुझे हंसी आई कि ये साली कोई संस्था है पर सहरिया आदिवासियों के बीच तुमने और चारु ने जिस प्रतिबद्धता से तीस चालीस साल काम किया, देशी विदेशी शिक्षाविदों को ज्ञान पिलाया और अदभुत काम करके अपनी देशव्यापी और विदेशों तक पहचान बनाई वह शायद ही कोई और कर पायेगा.
अभी लगता है तुम दाढी खुजाते हुए आओगे और कहोगे "यार संदीप ये लिख दो........साला ये लिखना मुझसे होता नहीं अब और अब यही सब चलता है". चारु की दुखद मृत्यु के बाद जयपुर में हम मिले थे, फिर अनिल बोर्डिया जी के श्रद्धांजली में, फिर अभी उस दिन बात की थी जब मै शिवपुरी में था और मैंने मजाक में कहा था कि नौकरी खोज रहा हूँ तो तुमने कहा था "आ जाओ यह सब सम्हाल लो, मुझसे नहीं होता ....."
हम जानते है कि चारु की मृत्यु के बाद तुम एकदम अकेले पड़ गए थे, सब संगी साथी छुट गए थे और तुमने लोक जुम्बिश, दूसरा दशक के काम भी विचारों में परिवर्तन और काम करने के तरीकों को लेकर छोड़ दिए थे, क्योकि इन संस्थाओं में अब ज्ञानवान लोग आ गए थे जो काम नहीं सिर्फ रपट चाहते थे. पर इस तरह से उस पूरे काम को एकाएक छोड़कर जाना ठीक नहीं है मोती........हम लोगों ने जो एक दशक से ज्यादा राजस्थान के मामोनी कसबे में लंबा काम किया वह सब तो ख़त्म हो गया ना...........तुम गए, चारु गयी, लवलीन गयी, खैरुलाल गया, भुर्जी उर्फ़ गोपाल भाई गए, नीलू का कुछ पता नहीं कि वो कहाँ है आजकल है भी या नहीं?
मोती यह ठीक नहीं हुआ ...........बहुत याद आओगे तुम अब संकल्प जाने पर कौन मिलेगा और कौन मोटी रोटियाँ खिलाएगा और शिक्षा पर हमारे फंडे साफ़ करेगा.............? मोती लाल छाबडा यही नाम था ना तुम्हारा, पर अब कौन याद रखेगा इस नाम को......भारत की शिक्षा के इतिहास में तुम्हारा नाम भले ना हो पर हजारों लाखों बच्चों के लिए तुम हमेशा एक आदर्श पुरुष और रोल मॉडल बने रहोगे.......सहरिया समुदाय को तुम पर हमेशा नाज रहेगा कि : गुरूजी ने हमारे लिए कितना काम किया है"
आज संकल्प का इतना बड़ा कैम्पस है कि उसमे पूरी दुनिया समा सकती है पर जब तुम नहीं, चारु नहीं तो अब जाने का मन ही नहीं है...........वापिस आ जाओ मोती, यार हम लोग फिर से गायेंगे, रचेंगे और नया कुछ बुनेंगे...........आ जाओ प्लीज़..........
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