Skip to main content

डिजिटल इंडिया की दीवानगी मुबारक Posts of 28 Spet 15

भारत में यह मोदी पहला प्रधानमंत्री है जो विश्व व्यापार के चतुर सुजानों को आमंत्रित करके यहाँ के अर्थ व्यवस्था, घरेलू काम धंधों और निजी जानकारियों को भी विश्व फलक पर ले जाने और बेचने के लिए बेताब है. मन मोहन सिंह ने तो सन 1991 पैरेस्त्रोईका और ग्लास्नोस्त के फार्मूले पर सिर्फ मिश्रित अर्थ व्यवस्था को ख़त्म किया था, सोना गिरवी रखा था, और कर्ज लिया था देश हित में परन्तु यह आदमी देश को नीलाम करने निकला है और हर बार निवेश के नाम पर एक सौदा करके आता है.

क्या आपको लगता है कि आई आई टी भारत में पढ़ने वाला और ब्रेन ड्रेन का सशक्त उदाहरण सुन्दर पिचाई सच में देश भक्त है यदि होता तो अपनी मेधा से यही रहकर कुछ कर लेता जैसे हमारे पंजाब के अनपढ़ किसानों ने जुगाड़ बनाया और आज वह हर जगह काम आ रहा है, या छोटे लोगों ने तकनीक से अपना दिमाग लगाकर देश और समाज हित में काम किया.

विश्व बाजार का भारतीय सुन्दर पिचाई विश्व बाजार का नया मोहरा है, जिसे गूगल ने हाल ही में भारत में बाजार और स्टेशन से लेकर हर जगह सत्ता कायम करने के लिए नियुक्त किया है या यूँ कहें कि जिसके सहारे हमारे बाजार और विश्व के दो नंबर के जनतंत्र पर कब्जा करना चाहता है अमेरिका, यह ठीक वैसा है जब 91- 95 में सौन्दर्य में हमारी एश्वर्या रॉय या अन्य काली लड़कियां साजिश के तहत विश्व सुंदरियां बनाई गयी थी और आज दूर दराज के आदिवासी गाँवों में ब्यूटीफुल होना एक परम्परा है.

मार्क, सुन्दर, मर्डोक, सत्या नडेला, जॉन चेम्बर्स, पौल जैकब्स अरबों रूपये के पॅकेज वाले ये लोग हमारे मित्र नहीं बल्कि वे उन देशों के गुलाम और लुभावने सेल्समन है जो भारत की सत्ता पर काबिज होना चाहते है. ये दुनिया के बड़े लूटेरे है.

ध्यान रहे मित्रों अब लड़ाई हथियारों से नहीं, पानी और भाषा से नहीं बल्कि सूचना प्रोद्योगीकी से लड़ी जानी है और हम सब अब गुलाम है फेस बुक से लेकर वाट्स अप पर, तमाम तरह के उपकरण और तकनीकी से हम अब एंड्राइड तक. बेरोजगारी, किसान समस्या, कुपोषण, आत्महत्या, बलात्कार, साम्प्रदायिकता जैसी विकराल समस्याएं कैसे हल होंगी यह तो नहीं मालूम परन्तु ग्लोबल व्यू में यकीन करने वाले हम गरीब लोग कब तक कैसे लड़ेंगे यह भी नहीं मालूम परन्तु देश जिस ओर भी जा रहा है और चमक दमक के सहारे सारे इतिहास को धो पोछकर अपना ब्रांड बनाने की जो हरकतें है निदा पुराण करके, और आत्ममुग्ध होकर वह शर्मनाक है.

अब तक हम टाटा, अजीम प्रेम, जिंदल, अम्बानी और अडानी से जूझ रहे थे, और अब सतर्क रहिये नए वेश में नए सुन्दर और आई टी में दक्ष और कौशल से परिपूर्ण "सेक्सी" लूटेरे आ रहे है जो अपनी निजी जिन्दगी में ताक झाँक भी करेंगे और आपके बेडरूम से लेकर आपके खातों पर भी टेढ़ी नजर रखेंगे, और ये सब राज्याश्रय वाले ठग होंगे और आप कुछ कर भी नहीं पायेंगे - क्योकि जो इस समय इनके खिलाफ बोलेंगे वो सब मारे जायेंगे.

सारा सोशल मीडिया नया पड़ोस है पर अपने घर में हम इरोम शर्मिला को मार डालेंगे जैसे पानसरे, दाभोलकर या कलमुर्गी को मारा था। जो इस डिजिटल इंडिया में शामिल नही होंगे या फेसबुक पर चित्र नही बदलेंगे , मारे जाएंगे। आपको क्या याद है कि ये वही स्टाइल है जिसमे मार्क ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फेसबुक को रंगीन किया था ?


सूचना तकनीक वाले मित्र या भक्त बता पाएंगे कि मप्र के व्यापमं और कुपोषण से कैसे मापेंगे श्रद्धेय मोदी जी के डिजिटल इंडिया में ?

खैर , डिजिटल इंडिया की दीवानगी मुबारक।

Comments

बेरोजगारी, किसान समस्या, कुपोषण, आत्महत्या, बलात्कार, साम्प्रदायिकता जैसी विकराल समस्याएं कैसे हल होंगी यह तो नहीं मालूम परन्तु ग्लोबल व्यू में यकीन करने वाले हम गरीब लोग कब तक कैसे लड़ेंगे यह भी नहीं मालूम परन्तु देश जिस ओर भी जा रहा है और चमक दमक के सहारे सारे इतिहास को धो पोछकर अपना ब्रांड बनाने की जो हरकतें है निदा पुराण करके, और आत्ममुग्ध होकर वह शर्मनाक है...
सटीक सामयिक चिंतन ..
shashi purwar said…
सार्थक सामायिक पोस्ट है , सटीक चिंत्र किया है उम्दा सवाल उठाये गएँ है, बदलाव की उम्मीद सभी को है, देशहिट के लिए उचित दिशा में कार्य करना आवश्यक है। बधाई सुन्दर लेखन हेतु
आपका सपने पर स्वागत है - [पढ़े डिजिटल इंडिया --
http://sapne-shashi.blogspot.in/
shashi purwar said…
सार्थक सामायिक पोस्ट है , सटीक चिंत्र किया है उम्दा सवाल उठाये गएँ है, बदलाव की उम्मीद सभी को है, देशहिट के लिए उचित दिशा में कार्य करना आवश्यक है। बधाई सुन्दर लेखन हेतु
आपका सपने पर स्वागत है - [पढ़े डिजिटल इंडिया --
http://sapne-shashi.blogspot.in/

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही