Skip to main content

स्वास्थय की दुर्गति और माधुरी बहन की नाजायज गिरफ्तारी.


A file picture of Gandhian activist Madhuri Krishnaswami who was arrested for fighting against the injustice meted out to adviasis in Madhya Pradesh.
माधुरी बहन को मप्र शासन के नुमाइंदों ने गिरफ्तार किया. बडवानी मे मनरेगा का बदला लेने के लिए बेताब जिलाधीश और शासन को आखिरकार एक ऐसा मौका मिल ही गया कि वे माधुरी बहन को गिरफ्तार कर लें. एक झूठे मामले मे उन्हें गिरफ्तार करके डरा हुआ प्रशासन क्या साबित करना चाहता है. जननी सुरक्षा के इतने बुरे हाल है कि सडकों पर प्रसुतियाँ रोज हो रही है और सरकारी अस्पताल कुछ नहीं कर रहें. हाल ही मै मैंने एक अध्ययन समाप्त किया तो पाया कि नगद राशि के प्रलोभनों की स्थिति बहुत खराब है खासकरके स्वास्थय विभाग मे. मेरे अध्ययन के दौरान ही सागर के जच्चा वार्ड मे दो नवजातों की मृत्यु हो गई थी, दोनों सद्य प्रसूताओं ने बताया था कि अस्पताल मे डाक्टर ड्यूटी पर होते हुए भी नहीं पहुंचे थे वार्ड मे, जब मैंने सम्बंधित अधिकारी और ड्यूटी डाक्टर से कहा और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थय मिशन के नियमों का हवाला देते हुए "डेथ आडिट" का पूछा तो बताया गया कि जब वो नवजात बीमार था तो सम्बंधित महिला डाक्टर आपरेशन वार्ड मे तीन महिलाओं के आपरेशन कर रही थी और शिशु रोग विशेषग्य अपनी सीट पर नहीं थे. बाकि जच्चा वार्डों की हालत बहुत खराब है, आपरेशन टेबल पर एक साथ दो दो महिलायें मुँह उलटाकर लेटी रहती है और डिलेवरी करवा रही है जिला स्तर के अस्पतालों मे जहाँ तीन डेढ़ सौ से लेकर दो सौ पचास तक की डिलेवरी रोज हो रही है जिसमे से पचास साठ आपरेशन होते है सीजेरियन के, वहाँ क्या हालत है यह सोचना ही भयानक है. एड्स, सेप्टिक, एक्स्क्लेमाशियाया मिर्गी की  महिला पेशेंट भी सामान्य महिला वार्ड मे रह रही है, अलग से व्यवस्थाएं नहीं है, आपरेशन थियेटर मे मूल सुविधाएँ मसलन डिस्पोसेबल चीजें नहीं है, आटोक्लेव,  गर्म पानी की सुविधा, वजन मशीन, स्वच्छ चादरें, एम्ब्यु बेग, डस्टबीन, जनरेटर, पीने का पानी, सफाई, आक्सीजन सिलेंडर या ऐसी अन्य जरूरी जैसी सुविधाएँ भी हमें खरीदने के लिए विदेशी एजेंसियों का मुँह ताकना पड़ रहा है, बावजूद इसके कि एनआरएचएम मे मे इफरात रूपया है. इन्दौर का एमवाय हो या देवास, सीहोर, सागर, सतना, मंडला हो या डिंडौरी सभी जगह की एक ही कहानी है. आये दिन ड्यूटी डाक्टरों द्वारा नाजायज रूपयों की मांग करना एक आम बात है, हाल ही मे देवास मे ऐसा मामला पकड़ मे आया है. डाक्टरों की कमी से जूझता प्रदेश जहाँ महिला डाक्टर नहीं के बराबर है सिर्फ एक - दो या तीन महिलायें अस्पताल चला रही है. डिंडौरी मे एक ही महिला डाक्टर सब काम करती है और इसमे भी यदि जिला कलेक्टर की बीबी डाक्टर हो तो वो आती भी नहीं है और घर बैठे तनख्वाह लेती है, तो क्या हालत होगी. जननी वाहन का जितना प्रचार किया जाता है वह भी शोचनीय है कॉल सेंटर पर बैठे संविदा के कर्मचारी बेचारे डाक्टरों और स्टाफ को घर से लाते ले जाते है जननी वाहन से, और फर्जी इंट्री करते है कि प्रसूता को लाया गया. ऐसे मे मूल सवालों पर ध्यान देने के बजाय प्रशासन की यह एक तरफा कार्यवाही कई प्रकार के शक पैदा करती है. बडवानी जिले मे प्रशासन वैसे भी जागृत आदिवासी मुक्ति संगठन से नाराज है और यहाँ के शेखीखोर अफसर पहले भी माधुरी बहन को जिला बदर की कार्यवाही मे फंसा चुके है जिसमे उन्हें मुँह की खानी पडी थी. अब यह एक प्रकार का बदला है जो प्रशासन बहुत ही घृणित तरीके से लेना चाह रहा है. सरकार को चाहिए कि इस जिले मे काम कर रही एजेंसियों को सख्ती से पहले पूछे कि उनका क्या योगदान है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर से मोटा रूपया उगाकर यहाँ पसारा फैलाकर बैठे है और बडवानी की गरीबी बेचकर अपना भला कर रहे है, दूसरा जिले मे सड़क पर हुई डिलेवरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को घेरे मे लेकर उन्हें निलंबित करें फ़िर अपने तंत्र को मजबूत करें और अविलम्ब माधुरी बहन को छोड़े, वरना जिले मे आदिवासियों के लिए और उनके भले के लिए काम करने वाला कोई नहीं रहेगा. उल्लेखनीय है यह वही माधुरी बहन है जिन्होंने इसी जिले के पाटी ब्लाक मे सरकारी पीएचसी की काली कमाई की परतें खोली थी और स्वास्थय विभाग के ढीलपोल की रपट सार्वजनिक की थी संगठन ने जब अध्ययन करना शुरू किया तो पता चला कि अस्पताल और डाक्टर मरीजों को वह दवाएं नहीं देते थे और हैं, जो बीमारी के मुताबिक़ हों; सबको अस्पताल में उपलब्ध दवाओं के हिसाब से वितरण होता था....लगभग ७० प्रतिशत मामलों में बीमारी के मुताबिक दवाएं नहीं दी गयी हैं...इसीलिए लोग ठीक नहीं होते हैं और फिर सरकारी अस्पताल में जाना छोडकर निजी डाक्टर के पास जाते हैं.और इसके अलावा बडवानी देश का पहला जिला बना था जहाँ मनरेगा मे माधुरी बहन की पहल पर और आंदोलन के बाद आदिवासियों मे बेरोजगारी भत्ता बंटा था क्योकि प्रशासन ने लोगों को काम नहीं दिया था. मनरेगा के काले कारनामों की आड़ मे कई अफसरों को पिछले दिनों यहाँ निलंबित किया गया है और करोड़ों का घपला पकड़ा गया है. यह सब मुद्दे है जिनके चलते माधुरी  बहन को सुनियोजित तरीके से गिरफ्तार किया गया है इसमे स्पष्ट साजिश है सन 2008-09 का प्रकरण मात्र एक बहाना है असली उद्देश्य जागृत आदिवासी मुक्ति संगठन की गतिविधियों को ठप्प करना है क्योकि आदिवासियों मे अब चेतना आ रही है. हाल ही मे एम्स दिल्ली के  ड़ा हीरा अलावा और उनके मित्रों ने आदिवासी युवाओं को 16 मई को इकठ्ठा किया था पर प्रशासन ने उन्हें भी बहुत परेशान किया कि वे की युवाओं का सम्मलेन कर रहे है. चुनावों के करीब आते ही यह सब होना लाजिमी है क्योकि कोई भी पार्टी जन चेतना नहीं चाहती और हर इस तरह की गतिविधि को खत्म कर अपना 'सुशासन' लागू करना चाहती है.

Comments

Unknown said…
लगता हे अघोषित रूप से AFSPA मध्य प्रदेश में भी लागू हे !

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही