जंगल
मे कमोबेश सब साक्षर हो चुके है पर जो ठीक जंगल के बीचोबीच पशु साक्षरता
सदन बनाया गया था वहाँ अब बकरियां रमती है, गधे बिचरते है और सांड मद मस्त
होकर भांग घोटे मे पड़े रहते है, परिसर मे कबूतर की गुटर गूं सुनाई देती है
और कुत्ते बिल्लियों और बकरियों की लेंडीयाँ स्पष्ट रूप से देखी जा सकती
है. सारा दिन कुछ शाने कौवे, लोमड़ी और तीतर-बटेर सारे जंगल मे शिकार खोजते
रहते है कि कही से कोई मुर्गा आ जाये और फ़िर
ये लोग उसे नोच लें. बहुत सभ्य तरीका है नोचने का कि वे बाकायदा लिखकर,
प्रवचन देकर और अनुसंधान करके रूपया ऐंठते है इससे दो फायदे होते है- एक तो
नाम की भूख खत्म होती है दूसरा रूपया कमा लेते है. बस दुखी है तो सांड जो
पहले भी किसी काम का नहीं था और ना अब है. बस सारा दिन पानी मे पड़े-पड़े सड
गया है उसके वंश मे एकाध ही होगा जो शायद उसके नाम का रोना रो लेगा पर जंगल
मे सारे छोटे-मोटे जीव जंतु उससे बेहद घृणा करते है. सांड जो किसी काम का
नहीं बचा है पता नहीं किस गुरुर मे अभी तक टिका है पर अब जंगल छोडने का
मतलब भी नहीं है ना- क्योकि जो भांग यहाँ मिल रही है उसे प्राप्त करने के
लिए तो उठना पडेगा और चमड़ी घिसना पड़ेगी, बेहतर है कि यही मरा जाये, काहे
खोपडा खराब किया जाये. पिछले दिनों एक छरहरी लोमड़ी चली गई दूर देश के जंगल
मे, जाने के पहले उसने बाकायदा अपना जुलूस निकलवाया और बैंड बाजा बरात की
तर्ज पर निकली धूम मचाने, पर अफसोस पहुँच गई वो एक वृद्धाश्रम मे, जहाँ उसे
एक बाबू बनाकर रख दिया गया सुना है वो वहाँ नरभक्षी हो गई है. इस
बुद्धिहीन सांड ने एक बारगी सोचा तो सही कि निकले इस जंगल से फ़िर बाहर का
डर लगा, पर फ़िर उसने सोचा कि यही ठीक है मुफ्त की भांग और शरीर भी घिस नहीं
रहा और दिमाग तो अपने पास पहले भी नहीं था तभी तो ज्ञान दान करते करते
पुरे जंगल मे शिक्षा का कबाडा करने के लिए उसे नोबल पुरस्कार से नवाजा गया.
यह जंगल बड़ा अजीब है मधुमख्खी की कहानी सुनी है ना आपने....रानी और प्रजा
बस वैसे ही है- ठीक, पर अब जंगल उजड रहा है और जीव जंतु चिंता मे है कि
क्या होगा कैसे होगा और सबसे ज्यादा बौराया है सांड ..........आईये सांड
वदना करें..........सांड के लिए प्रार्थना करें.
जब तक कुछ जगहों पर बूढी बिल्लियाँ बैठी है तब तक शेर और चीते अपना शिकार नहीं कर सकते, ये बिल्लियाँ अपने चूहों को हर जगह सेट करने मे लगी है और इन्हें शर्म भी नहीं आती कि इससे जंगल की व्यवस्था खराब हो रही है इसलिए शेरों ने और चीतों ने इन बिल्लियों को सबक सीखाने का फैसला ले लिया है अब जंगल मे भी सूचना का अधिकार क़ानून आ गया है. दुर्भाग्य से ये खिसियानी बिल्लियाँ लोमड़ियों और गधों के सहारे से अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहती है. जंगल के अस्पताल और इससे जुडी व्यवस्था मे ऐसी ही बिल्लियाँ जगह जगह अपने पंजे और नाखूनों से गधों के पर क़तर रही है और सब जगह विराजमान है अब क्या करें ............क्यों
जब तक कुछ जगहों पर बूढी बिल्लियाँ बैठी है तब तक शेर और चीते अपना शिकार नहीं कर सकते, ये बिल्लियाँ अपने चूहों को हर जगह सेट करने मे लगी है और इन्हें शर्म भी नहीं आती कि इससे जंगल की व्यवस्था खराब हो रही है इसलिए शेरों ने और चीतों ने इन बिल्लियों को सबक सीखाने का फैसला ले लिया है अब जंगल मे भी सूचना का अधिकार क़ानून आ गया है. दुर्भाग्य से ये खिसियानी बिल्लियाँ लोमड़ियों और गधों के सहारे से अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहती है. जंगल के अस्पताल और इससे जुडी व्यवस्था मे ऐसी ही बिल्लियाँ जगह जगह अपने पंजे और नाखूनों से गधों के पर क़तर रही है और सब जगह विराजमान है अब क्या करें ............क्यों
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