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Khari Khari, Drisht Kavi, Kuchh Rang Pyar ke, Dhyanimani and other posts from 26 to 29 March 2022

महेश मांजरेकर और अश्विनी भावे के उत्कृष्ट अभिनय से पकी फ़िल्म 'ध्यानिमनी" मराठी फिल्म देख डालिये, मनोविज्ञान और जीवन की सच्चाई से अवगत कराती यह फ़िल्म रोंगटे खड़े कर देगी
अमेजॉन प्राइम पर है
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फोन आया लाईवा का -"नौकरी छोड़ रहा हूं मैं 'वीसीआर' ले रहा हूं और एक नए वेरिएंट की स्विफ्ट डिजायर आई है - वही कार खरीद लूंगा"
" अभी कहां हो" - मैंने पूछा
"चप्पल की दुकान पर हूं, सैंडल खरीद रहा हूं - वुडलैंड का अच्छा डिजाइन आया है, इसको पहनने से मेरे पांव का फेसकट अच्छा हो जाएगा, बस इधर से आपके घर ही आउंगा - आप घर पर मिलेंगे ना" - लाइव बोला
मैंने कहा - "नहीं बाबा, मैं बस 5 मिनट में बाहर निकल रहा हूं तीन माह पहाड़ पर , अब जुलाई में ही आऊंगा"
इसकी कविताएं सुनने से अच्छा है शहर छोड़ कर भाग जाओ, कमबख्त वीआरएस को वीसीआर कहता है, नए मॉडल को वैरीयन्ट कहता है और पांव का फेसकट क्या होता है बै
साला अंग्रेजी की हत्या करने में इससे बड़ा कोई खिलाड़ी नहीं देखा - हद है इन हिंदी के कॉपी पेस्ट प्रतिभाशाली कवियों की भाषा
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टीना डाबी शादी करें, तलाक दें, पुनः शादी करें
हम लोगों को उसके निजी जीवन मे दखल देंने का या उस पर गप्प करने का अधिकार किसने दिया
सँविधान के अनुच्छेद 12 से 36 तक पढ़ लीजिये एक बार - हद है मल्लब, कितनी बेशर्मी से हम फोटो पोस्ट कर रहें है उन दोनों के बगैर इजाज़त के और भद्दे मज़ाक बना रहे है
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"सर, पुस्तक मेले से आपके तीनों कविता संकलन खरीद लिए" - लाईवा था, बड़ा चहक रहा था
"अबै ओ, मैं इतनी गर्मी में एक भी कविता नही सुनूँगा, और घर आया तो टाँग तोड़ दूँगा , साला वैसे ही दिमाग़ भन्ना रहा है, ऊपर से फोन करके जगा दिया भर दोपहरी में " - डांट कर फोन रख दिया
फिर सोचा वैसे भगवान ने इज्जत रख ली, आज तक कविता की एक भी किताब खाते में नही है, शुक्र है मौला तेरा
भगवान जाने कितनी हिम्मत से वो जीते होंगे जिनकी 70 - 80 छप गई
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आज नगद कल उधार
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◆ बस स्टैंड पर खड़ा हूं टिकट का पैसा नहीं है
◆ रेलवे स्टेशन पर हूं आरक्षण का रुपया दे दो छठ पर घर जाना है, नानी मर गई - अबै कितनी बार मारोगे, एक साल में 12 बार तो मैं ही RIP लिख चुका हूँ
◆ पेट्रोल पंप पर खड़ा हूं ₹90 ट्रांसफर कर दो, सायकिल भी नही है तुम्हारे पास वर्धा में
◆ d-mart पर खड़ा हूं, ₹ 3000 का सामान ले लिया पर खाते में बैलेंस खत्म हो गया है प्लीज़ भैया ट्रांसफर कर दो
◆ कॉलेज में फीस भरने की आज आखिरी तारीख है, अगले महीने पिताजी भेजेंगे तो धीरे - धीरे कर किश्तों में चुका दूँगा
◆ आप तो अकेले हो दो - चार की परीक्षा फीस तो भर ही सकते हो, मेरी भी भर दो, नौकरी लगने के बाद लौटा दूँगा, प्लीज़ भैया भर दो ना
◆ मोबाइल का रिचार्ज डलवा दो नेटफ्लिक्स पर फ़िल्म देख रहा था
◆ बच्चे को लेकर अस्पताल आया हूं - जांच करवानी है पैसे नहीं है
◆ पत्नी को लेकर बाजार आया हूं ससुराल वालों के लिए कुछ गिफ्ट लेना है ₹ 2000 ट्रांसफर कर दो
◆ पत्नी की डिलीवरी हो गई अचानक से अब नर्सिंग होम में सीज़र ऑपरेशन है ₹ 25000 दे दो उधार ( हे संतति उत्पादक ब्रह्मा , डिलीवरी प्लान्ड एक्टिविटी है 9 महीने भाड़ झोंक रहे थे क्या या तुम्हे भी अभी मालूम पड़ा )
◆ दारू के ठेके पर हूँ - आज "टीचर्स" लेने की इच्छा हो रही है, ₹ 900 कम पड़ रहे है ट्रांसफर कर दो दादा प्लीज़
अरे बाबा, तुम हजार किलोमीटर दूर बैठे हो, मुझे क्या मालूम कि तुम सच बोल रहे हो या झूठ और यह कोई तरीका नहीं है - रुपए मांगने का या उधार मांगने का, अगर जेब में रुपया नहीं है तो बाहर निकले क्यों घर में बैठे रहते
फेसबुक की दोस्ती को आधार मानकर आये दिन उधार माँगने वाले स्वतः फेसबुक की सूची से निकल जाये - देख रहा हूँ कि इस तरह की प्रवृत्तियां दिनों दिन बढ़ रही है और इसमें युवा मित्र, छात्र ही नही बल्कि वरिष्ठ साहित्यकार, बुजुर्ग मित्र और जाने - माने लोग शामिल है
यहाँ नाम लिख दूँ तो आप यकीन नही करेंगे कल मित्र Bahadur से भी लम्बी बात हुई और हमने एक नियम बनाया - अब जो भी यह हरकत करेगा , उसे सूची से निकालकर ब्लॉक किया जाएगा और नाम को यहाँ सार्वजनिक किया जाएगा
बेशर्मी की हद है, हिम्मत कैसे होती है मतलब, इस समय पूरी दुनिया जब आर्थिक संकट से जूझ रही है और विपदा में है, ठीक है कि आपके बीबी - बच्चे है, मकान किराया, किराना, दूध, पेट्रोल के रुपये लगते है तो क्या यह सब हमारे भरोसे है, कुछ तो सरकारी नौकरी करने वाले है - वो भी जब बेशर्मों की तरह गिड़गिड़ाते है तो अपराध बोध होने लगता है
मुआफ़ कीजिये आपकी बीबी, आपके बच्चे और आपकी पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ आपका है (और 3 -4 बच्चों में तो बिल्कुल भी नही मेरा रोल ) - इसमें ना हमारी कोई भूमिका है और ना जवाबदेही
समझ आ रहा है, अभी 9 लोगों को ब्लॉक किया है - आगे से नाम साझा करूँगा कृपया सतर्क रहें
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|| वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है ||

आने वाले दिन बहुत भागदौड़ थी, रास्ते में मिलने वाला जाम, रेलवे फाटक - उसके बाद भी भागते - दौड़ते एयरपोर्ट पहुंचा, प्रदीप इंतजार कर रहा था - प्रदीप से 2011 से दोस्ती है जब वह टाटा सामाजिक संस्थान में पढ़ रहा था, कई दिनों तक नौकरियां करने के बाद प्रदीप ने अपना काम झारखंड में शुरू किया है और अब लंबे समय वह वही टिककर कुछ - कुछ शुरू कर रहा है और खूब बड़ा - बड़ा करने वाला है
जल्दी में हुई मुलाकात, पर अच्छा लगा - लगभग 10 साल बाद हम मिले, दोनो मोटे ताजे हो गए थे दस साल में - एक बुढऊ और दूसरा पूर्ण वयस्क, खूब सारी बातें हुई - खूब सारी योजनाएं बनी, अब देखो आगे क्या क्या होता है
लखनऊ में जब था तो प्रदीप से मिलना होता था, लखनऊ एक दिन बाइक से घूमाया था पूरा लखनऊ और वह दिन मेरी स्मृति में हमेशा ताजा रहता है, बहुत शुक्रिया प्रदीप आने के लिए मिलने के लिए - उम्मीद है हम जल्दी ही फिर मिलेंगे
Rashmi Sharma जी से मिलने का वादा था उनके लिए मैंने इलायची का पौधा लिया था, और ठेठ गांव से 2 किलो रागी जिसे वहाँ मड़िया कहते है पर ट्रैफिक, गाड़ी वाले का देरी से आना, रास्ते का जाम और कुल मिलाकर सब कुछ धराशायी हो जाना मतलब कहते है योजना बनाओ और अपने प्रभु जी की कुछ और ही मर्जी होती है ख़ैर, अगली बार एक दिन राँची के लिए रहेगा ख़ालिस दोस्तों के लिए
कवि और कहानीकार बहना Vineeta Parmar से भी लम्बी बात हो पाई , राँची की मिठाई देने वाली थी पर सब रह गया हाँ, फोन पर हमने युवा साहित्यकार और नवोदय के माड़साब वत्स आलोक रंजन की खूब जमकर बुराई की
🤣🤣🤣🤣
अगली ट्रिप की बकेट लिस्ट में यह सब रहेगा


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अब / कब कहाँ चुनाव है
कोई हमको भी राशन दे दें 6 माह का
80 करोड़ गरीब काँग्रेस ने ही बनाये होंगे, 140 से से 60 करोड़ तो भाजपा ने अम्बानी बना ही दिए है 2014 से अब तक
तो मित्रों, 2024 में इनको ही जिताओ ताकि सब अम्बानी बन जाये 2029 तक
जमीनी हालात बहुत खराब हैं, इतनी मक्कारी बढ़ गई है कि कोई काम नही करना चाह रहा, सब फ्री देकर अच्छा कल्चर बना दिया बै ,मध्यम वर्ग को बकरा बना रखा है मणिशंकर अय्यरों ने - मल्लब गजब का रायता है , जियो हो गुजरात के लल्लू
अजीब बेवकूफी है ये राशन दे रहें उधर 20 लाख नौकरियां, कही समान आचार संहिता और कही कुछ
बस स्वर्ग का टिकिट और बोर्डिंग पास दे दो कम्बख्तों - बस कुछ नही चाहिये और
पेट्रोल डीज़ल के भाव बढ़ाओ, वैक्सीन का रुपया, राशन का रुपया, नई लोकसभा का रुपया , तुम्हारी अय्याशियों का रुपया, चुनाव का रुपया यानी तुम्हारे सुलभ काम्प्लेक्स का रुपया भी ले लो हमसे, हम बेवकूफ है जो टैक्स भी दें, मेहनत भी करें और वोट देकर आत्महत्या भी करें
अब हँसी ही आती है मूर्ख और गंवारों पर , किन चुतियो को देश दे दिया झुंड है झुंड इन उजबकों का
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