यश फफूनकर और सार्थक सँगमनेरकर मेरे भान्जे है, दोनो युवा है और बीई कर रहें है, पर यह परिचय अधूरा है दोनो संगीत के सिद्धहस्त खिलाड़ी है गायन और वादन दोनो शैली के युवा उस्ताद है
आज देवास में कोजागिरी पौर्णिमा के अवसर पर एक निजी महफ़िल में आये और अपने युवा मित्रों के साथ ढाई तीन घण्टों की अदभुत प्रस्तुति दी, इनके साथ थे बेहद प्रतिभाशाली गायक तन्मय बोबड़े, वेदांत लकरस, डॉक्टर सलोनी शर्मा और अन्य दो तीन मित्र
यश और सार्थक की माँये भी सगी बहनें है पर इन दोनो में जो सामंजस्य है - यानी यश और सार्थक में, और आपसी समझ है वह गहरी और गम्भीर है ; सभी युवा मित्र जो "प्रयोग" नामक बैनर के तले काम करते है, सब हँसमुख परन्तु गायन - वादन में बेहद गम्भीर अनुशासन का पालन करने वाले है, शास्त्रीय संगीत के साथ इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने वाले ये प्रतिबद्ध युवा शानदार गायक है, ये सभी स्थानीय से लेकर राज्य स्तर तक संगीत के लिए पुरस्कृत है और आसपास इनके बड़े चर्चे रहते है
बस एक बात कि यदि "प्रयोग" समूह को आगे बढ़ना है तो अपने एंकर को बदलना होगा, जिसे ना एंकरशिप आती है - ना बोलना, अन्यथा इन सबके गुण और गायन - वादन मिट्टी में मिल जायेगा, दूसरा यश और सार्थक से एक स्थाई नाराजी रहेगी कि फरमाइश करने पर भी एक ठुमरी नही गाई जो वे बहुत बढ़िया गाते है, समय निकल जाता है और स्मृतियाँ रह जाती है और यह टींस संवेदनशील कलाकार ही समझ सकता है
बहरहाल, यहाँ कुछ चित्र इन युवा मित्रों के और यश - सार्थक का एक युगल गीत जो राग मल्हार में निबद्ध है - तबले पर संगत कर रहें हैं सुयोग्य और बेहद प्रतिभाशाली कलाकार वेदांत लकरस
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