दस बजे आ रहा है उछाल - भूचाल और अपने मुंह मियाँ मिठ्ठू बनने आ रहा है - बस आशाओं से लेकर डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को बधाई देकर अपना गुणगान करेगा - अहं ब्रहासमि दूजो ना भवो तो कूट कूट कर भरा है इसमें - देश और जनता जाये भाड़ में
अगर हिम्मत है तो महंगाई, पेट्रोल - डीजल के भाव, किसान आंदोलन , लखीमपुर की हत्याओं, दलितों की हत्याओं की, अपने हत्यारे मंत्री के इस्तीफ़े की, जम्मू - कश्मीर में हो रही नरसंहारों की बात करें - नही तो "थोथा चना बाजे घना" होने को नही मंगता अपुन को
इस आदमी ने दो साल में दस बार भाषण देकर देश बेचा है और बर्बाद किया है और त्योहार की बधाई दें तो पूछना कि चूल्हा कैसे जलाये - हुजूर - महंगाई डायन नही, राक्षस हो गई है इस सरकार में तो
थोड़ा लिखा - ज्यादा समझना और नही समझ आये तो बजाओ फिर झाँझ, मजीरे या थाली और ताली - इसी लायक हो भारत के जन गण मन
#खरी_खरी
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इस देश में अरुण वाल्मीकि होने का अर्थ क्या है, उसकी पुलिस हिरासत में मौत हम सबके भीतर बैठी मनुष्यता की मौत है, यूपी पुलिस इन दिनों हत्यारी हो गई है जो हर किसी की हत्या करने पर तुली है और आशीष मिश्रा जैसे कमीनों को बचाने में लगी है, नवीन कुमार का यह वीडियो सुनिए रोंगटे खड़े हो जायेंगे
कहाँ है हमारे दलित नेता, साहित्यकार और अंबडेकरवादी, दलित पैंथर और तमाम झंडाबरदार - एक सवाल है कि क्यों अरुण वाल्मीकि के किसी भी परिजन को आरक्षण का लाभ नही मिला, क्यों वह सरकारी नौकरी में नही था और क्यों वह थाने में झाड़ू लगाने जाता था और परिवार पालता था - कारण स्पष्ट है कि आरक्षण की मलाई पाँचवी पीढ़ी खा रही है उन्ही की जिन्हें हथकंडे मालूम है
असली हक़दार तो आज भी सड़क पर मैला ही ढो रहें है या गटर साफ करके अपनी जान गंवा रहें है - मिर्ची तो लगेगी साहब आपको पर सच्चाई यही है कि आपको तो छोड़ना नही है यह सुविधा, आपके बच्चे आरक्षित कोटे से सेंट स्टीफेन्सन दिल्ली पढ़कर ब्यूरोक्रेट बन जाएंगे पर असली हक़दार मैला ही ढोते रहेंगे - धिक्कार है आप पर और पूरी व्यवस्था पर
आरक्षण को लेकर मेरी समझ पर सवाल उठाने से पहले अपने गिरेबान में झाँक लेना, अपना बैंक बैलेंस, संपत्ति, अपनी निकम्मी औलादों को लाभ दिलवाने के तमाम प्रयास सोच लेना फिर बात करने आना
"यदि तुम्हारे एक कमरे में आग लगी हो तो
यदि तुम्हारे देश के 40 लोग मर जाये आपदा में
यदि एक राज्य के लोग सो नही पा रहें
प्रजा भूख से बिलबिला रही हो तो
तुम कैसे कोई इवेंट कर सकते हो
कैसे भाषण पेल सकते हो
कैसे चुनाव के लिए वोट मांग सकते हो..."
◆ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी से माफी सहित
[ मित्रों ये मंगल ग्रह के चित्र है और अपने को इनसे कोई मतलब नही है ना होना चाहिए, आईये दीवाली की तैयारी करें ]
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