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Amey's New Bullet and other Posts from 7 to 9 Oct 2021

 #LittleThings - Series in Hindi English language

A beautiful story of the Mumbai couple who are in Live in Relation - not yet married, serving in different jobs but when you watch, you feel you are part of their life. So honest, so realistic and true to the best
One must see, in order to realise the young generation, their aspirations, feelings, behavior, relations, fights, pure love, difference of opinions, attitudes, simplicity and the way they involve you in their each second.
Superb.
Available on Netflix
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पुस्तक मेले की खबर सुखद पर अभी से दिल घबरा रहा है कि फिर रोज़ 100 - 150 लोकार्पण, शोधार्थियों को अपने गाइड को कांधे पर बेताल की तरह लेकर घूमना, उनके भाषणों को रोज यहाँ पेलना, ना पढ़ने और किताबें ना बिकने की व्यर्थ बहस, बापड़े पाठकों के फ़जीते और प्रकाशकों का भयानक किस्म का दुष्चक्र और फंसते पाठक, लग गए लोग धड़ाधड़ छापने में 25 हजार लेकर - लिखो बै 5551 कविताएँ रोज और छपवाओ, कवयित्रियाँ साड़ियां रोल प्रेस करबाने में लग गई, एनजीओ वाले मूल काम छोड़कर प्रकाशन के धंधे में आ गए - जय माता दी कर रहें चुनरी चढा रहें है
बहरहाल
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घर रहेंगे
हमीं उनमें न रह पाएँगे,
समय होगा
हम अचानक बीत जाएँगे
◆ कुँवरनारायण
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कितनी सच्ची और मन की बात, इधर यह बहुत तेजी से घटित होते दिख रहा है और इससे ना मात्र आश्वस्ति है बल्कि सुकून भी है कि "एक दिन मर जाओगे - सब ठीक हो जाएगा" या बकौल अज्ञेय कि " मैं मरूँगा सुखी मैंने जीवन की धज्जियाँ उड़ाई है "
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हमारे छुटकू ओजस उर्फ Amey Sangeet Naik बीई हो गए सिविल इंजीनियरिंग में, अपना काम भी शुरू कर दिया है, लिहाज़ा गिफ्ट तो बनता था, बुलेट बुक की थी जुलाई में, पर भारी बुकिंग होने से गणपति उत्सव में गाड़ी मिल नही पाई, लगातार पीछे पड़ - पड़कर आखिर डीलर ने आज अभी गाड़ी दी - नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त पर नई गाड़ी घर आई खुशी की बात है, तीन एक्टिवा, एक बाइक और दो कार है ही अभी, पर परिवार में यह पहली बुलेट है
बहरहाल, मुबारक अमेय बाबू अब घोड़ा आ गया है - दुनिया नापो और खूब यश कमाओ ; बच्चे बड़े हो कर जवान हो गए है, उनके जीवन के सपने और शौक पूरा करने में हमारा योगदान यदि थोड़ा भी हो सके तो करना ही चाहिये



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सावधान इन डेवलपमेन्ट प्रोफेशनल्स से
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2011 में देशभर के डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स ने राज्यों के योजना आयोगों में काम करने का तय किया था, टाटा सामाजिक संस्थान में हम सबका आवासीय प्रशिक्षण हुआ, देश के नामी लोगों से हमने चर्चा की, सीखा और अपने अनुभव बाँटे, बाद में हम लोगों ने अलग अलग राज्यों में काम किये, जबसे यह योजना आयोग नीति आयोग बना मैंने उसमे काम नही किया और तब से दिहाड़ी कर रहा हूँ क्योंकि नीति आयोग का फोकस ही बदल गया था और बेहद संकीर्ण हो गया था
हम सब अभी तक जुड़े है और एक वाट्सएप समूह के माध्यम से हाल चाल लेते रहते है, पर दुर्भाग्य कि दलित वंचित और गरीबों के लिए डेढ़ से ढाई लाख रुपये प्रतिमाह पर काम करने वाले देश विदेश में कार्यरत ये डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स कितने घटिया है - कह नही सकता, ब्राह्मण और ऊंची जाति के ये अधिकांश विशुद्ध नीच है, इसमें से अधिकांश लोग बेहद साम्पदायिक और उन्मादी है, आये दिन गाय, गोबर, गौ मूत्र से लेकर चौबीसों घण्टे समूह में हिन्दू - मुस्लिम करते रहते है और दो कौड़ी के वाट्सअप विवि के वीडियो डालते रहते है, उड़ीसा, बिहार, मप्र और राजस्थान के ये तथाकथित सम्भ्रान्त इन दिनों यूनिसेफ, UNICEF , UNFPA या NHM आदि में कार्यरत है - कमाल यह है कि मुस्लिम और दलित - वंचितों के प्रति इनमे इतना जहर भरा है कि लिखने में भी शर्म आती है
और इस सबमे लड़कियाँ, महिलाएं भी कम नही - वे तो मानो बारूद लेकर आग लगाने को बैठी है, उदाहरण के लिए मप्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में काम करने वाली दो तीन मक्कार एवं भयानक किस्म साम्प्रदायिक लोग है जिनका काम सुरक्षित प्रसव खासकरके दलित - वंचित परिवारों के लिए सुनिश्चित करना है, दो तीन बामन टाईप के लोग जो हर समय मुस्लिमों के ख़िलाफ़ जहर उगलते रहते है, भी शामिल है
सवाल यह नही है कि वे ऐसे क्यों है, सवाल यह है कि इनके नियोक्ता जो देश में बदलाव और सौहार्द का ध्वज थामे बैठे है, समता मूलक समाज की बात करते है, यूनिसेफ जैसे संस्थान के लोग क्या अप्रेजल के दौरान यह सब नही देखते या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं क्या यह सब करने के लिए इन्हें यह रुपया बांटती है
बेहद शर्मनाक है, संघ - भाजपा से कोई दिक्कत नही पर सिस्टम में जो लोग बैठे है यदि वे यह सब करेंगे तो विकास, समता और भेदभाव का क्या होगा
अंततः आज एक लंबी सिर फोड़ू बहस के बाद उस ग्रुप से निकल आया और कान पकड़े कि इन घोर साम्प्रदायिक लोगों से कोई सम्बन्ध नही रखना - ना सच्चा हिन्दू चाहिये, ना देशभक्त और ना कट्टर मुस्लिम या ईसाई लिस्ट में, सिर्फ मनुष्य हो जो सबका भला चाहता हो और संविधानिक मूल्यों में यकीन रखता हो
सबसे ज़्यादा जरूरत इस समय देश भर में फैले इन तथाकथित डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स को पहचानकर सबके सामने नंगा करने की जरूरत है और पिछले 35 वर्षों में यह सब बहुत सीखा है, आसपास के एनजीओ भी इस सबमे बेहद पारंगत है भले ही वो संविधान का काम करें या अन्य विकास के - पर उनके साम्प्रदायिक और जाति पाँति के नाम पर भेदभाव वाले एजेंडे बहुत साफ है और लोगों को भरमा रहें है केंचुआ बने ये लोग मलाई के अलावा कुछ नही खाते
अनपढ़, गंवारों या मूर्खों को आप समझा सकते है पर इन पढ़े लिखें लोगों के भूसे से आप नही निपट सकते - ये सबसे ज़्यादा मौका परस्त, अपराधी, भ्रष्ट और संगठित कौम है - जिनसे पार पाना मुश्किल है, आज फेसबुक से इन्हें भी चलता करूँगा, अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के लोगों पर कड़ी निगाह रखिये - ये लोग सौहार्द नही साम्प्रदायिकता, सवर्ण - दलितों में खाई बढाने का काम कर रहें है

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