और कविराज ऐन चेहरा दिखाने के वक्त इस समय घर से बहुत दूर करवा चौथ की सुहानी रात को सात रुपये वाले गोदरेज के काले रंग के पैकेट से रँगे बालों वाली माशूका से अपनी छाती के सफ़ेद बालों पर दिल के दर्द के लिए बाम लगवा रहे है और मैच देखने का आनंद ले रहे है, और उनकी सगी पत्नी घर में अर्थात सात जन्मों के लिए बुकिंग की हुई अर्धांगिनी राह देखते - देखते हाथ - पाँव पर चुपड़ी हुई मेहंदी निहार रही है
[ हकीकत बयां कर रहा हूँ, नाम नही लिख सकता बुजुर्ग आदमी है इज्जत तो करना पड़ेगी ]
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सूचनाओं के आदान प्रदान करने और आपसी सम्बन्ध बनाये रखने के लिए घर - परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों या सहकर्मियों के बने वाट्सएप समूह भी जहर बन गए है, बगैर पढ़े और सोचे - समझे लोग धर्मांध होकर मेसेज ठेलते रहते है और ये सब मेसेज इतने घटिया और जहर भरे होते है कि मन करता है खरी - खरी लिखकर इनकी समझ पर सवाल उठाऊँ , बेरोजगार भाई बहन, दोस्त या बूढ़े, रिटायर्ड और चौबीसों घन्टे घर बैठे परमज्ञानी ये लोग ना मेसेज पढ़ते है - ना समझते है, बस इधर से उधर ठेल दिया और इतनी भी अक्ल नही कि देश मे कुछ कानून है, नियम कायदे है, संविधान है या एक होती है दिमाग़ी शान्ति
हर जगह कूड़ा कचरा है, कम - से - कम मित्र यारो या रिश्तेदारों के समूह तो बख्श दो, और ढेरों प्लेटफॉर्म है ना तुम्हारी सड़ांध फैलाने और गंदगी परोसने को, पर नही - रोज पचास बार वही चूतियापा करेंगे, बचपन से चड्ढी पहनी और मोहल्लों में लाठियां भांजी या मदरसों में गंवार मुल्ले मौलवी से अधकचरा ज्ञान लेकर आये तो वो गन्द निकलेगी कैसे , जब किसी मेसेज का सन्दर्भ या व्याख्या पूछ लो तो इनकी जान निकल जाती है फिर सब बेवकूफों की तरह एक साथ इकठ्ठा होकर गुणगान करने लगते है धर्म संस्कृति और हिन्दू राष्ट्र या पाकिस्तान का - पता नही कैसे ये मूर्ख 70 - 80 वर्ष के हो गए
और तो और वही घटिया मेसेज यहां भी पेल देंगे कमजर्फ कही के
बेहतर है चुप रहना, मरे - खपों की जानकारी यही से मिलती है ना, मजबूरी है वरना तो भाड़ में जाये ये चुगद और आईटी सेल के अंधभक्त
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