कमज़ोर दिल - दिमाग़ वाले दूर रहें इस पोस्ट से
बेहतर होगा कि यह धन सम्बंधित राज्य के नेता, मुख्य मंत्री, या सम्बंधित विभाग के अधिकारी अपनी जेब या तनख्वाहों से दे "नीरज चोपड़ा" को
उसने गोल्ड मेडल लाया - यह काबिले तारीफ़ है, उसकी हिम्मत, मेहनत और श्रम को सम्मान, नीरज को बहुत प्यार और दुआएँ , पर मेहरबानी करके हम टैक्स पेयर्स का रुपया यूँ एक व्यक्ति को देकर अपना नाम ना करें और ना खुद पूरा क्रेडिट लें , बन्द करें यह घटिया खेल
यह रुपया किसी सरकार या नेता के बाप का नही है जो कभी आप पुरस्कार या कभी आपदा में या दुर्घटना में लूटा देते है, खिलाड़ियों का सम्मान है, मरने वालों के प्रति संवेदना है और लोक कल्याणकारी राज्य होने की नौटँकी दिखाने के पहले अपनी व्यवस्थाएं सुधारे, और जहाँ तक पुरस्कार की बात है वह निजी है
सोचिये क्या रवीश कुमार, कैलाश सत्यार्थी ने या किसी बुकर वाले साहित्यकार ने देश के लोगों को पुरस्कार राशि में से एक धेला भी दिया है और आप अहो - अहो करके अपना रुपया बर्बाद होते देख रहें है, और ताली बजाकर बेवकूफ बन रहे है, कुछ समझ है या सब गिरवी रख दी है - सरकार यह कहें कि यह जनता की ओर से है ना कि कोई नत्थूलाल, अजनलाल या भजनलाल कहें कि "मैं हरियाणा का मुख्यमंत्री 6 करोड़ दे रहा हूँ"
पुनः नीरज से कोई दुश्मनी नही, उसके लिए आपसे ज्यादा सम्मान है कि 138 करोड़ निकम्मों और आलसियों के देश में गोल्ड लेकर आया है , पर यह धनराशि वो भी हम टैक्स पेयर्स की, बड़ी मेहनत का रुपया यूँ बर्बाद होते नही देख सकता, अभी नगद रुपया उसे देने के बजाय 2024 की तैयारी के लिए अकादमियां बनवाओ, ये क्या एक 23 वर्ष के युवा को करोड़ो दे दो और बिगाड़ दो, क्या वह 2024 के ओलम्पिक में 10 और अपनी तरह के खिलाड़ी ले जाएगा
जिन्हें यह निगेटिव सोच लगती है - वे अपना इलाज करवाये, अपने आसपास गरीबी - भुखमरी देख लें, कुपोषण, बेरोजगारी और शिक्षा - स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली देख लें और कुछ नही तो खेल के मैदान जाकर देख लें कि कितनी सुविधाएँ वहां है, कितने खिलाड़ी या फौजी नौकरी या प्रमोशन मिलने के बाद काम करते है या आउट पुट देते है नौकरी में फिर क्यों नौकरी, जहाँ हमारे युवा पीएचडी या पोस्ट डॉक्टरेट कर बैठे है उनका क्या, आप उन्हें दैनिक वेतनभोगी के योग्य भी नही समझ रहे, उन्होंने क्या पाप किया है , इस समय हर तीसरा आदमी बेरोजगार है वहां यह खर्च विशुद्ध ऐय्याशी और बर्बादी है और कोई बड़ा एहसान नही हुआ है देश को इससे क्या मिला, दुनिया भर के युवाओं ने गोल्ड जीता है
फालतू की बहस और पैदल दिमाग वाले, संघी मुसंघी और ज्ञानी यहां अपना कूड़ा - कचरा यहां ना फेंके, खिलाड़ियों को सम्मान दो, सुविधा दो पर जनता का पैसा अपने नाम से बाँटना पाप है
मोदी और राहुल पर मीम बनाने के बजाय और मजे लेने के बजाय गम्भीरता से विचार करें तो कुछ समझ आएगा - बाकी तो जो है हइये है और इसे मोदी से बड़ा फेंकने वाला और भाले के मुंह से सोना निकला टाइप आईटी सेल के षड़यंत्र से दूर हटकर देखें - आईटी सेल आपको बरगला रहा है
सुशीलकुमार की हालत देख ही ली, उसे हत्यारा बना दिया इसी रुपये और अकूत सम्पत्ति ने
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आप पाँच छह वर्षों से जन्मदिन की
बधाई
दें, शुभकामनाएँ दे और अगला पलटकर कभी धन्यवाद नही बोलें, एक - दो साल भूल गया, अपुन को भी विश नही किया, सेलेब्रिटी है - चलो मान लिया, पर लगातार 5 - 6 साल तक नही बोलें ये क्या तमीज़ है इनकी - निकल बैऔर महिलाओं का तो पूछो ही मत - कुछ तो इतनी अशिष्ट है कि वाल बन्द है कमेंट करने को और शुभेच्छा दो मेसेज बॉक्स में तो बदतमीजी करेंगी, निकालो इन कूढ़मगज औरतों को भी, प्रगतिशीलता के नाम पर कलंक कही की, ये फेसबुक पर आ गई है और सीता - गीता, अंजू - मंजू, अनिता - सुनीता टाईप की घसियारिनें और गैंगबाज, चूल्हे चौके से ज्यादा अक्ल नही है, ये चक्की ही पीसती रहेंगी गंवार
आज 25 - 30 मूर्खों को हकाला लिस्ट से
अब से
बधाई
शुभ कामनाएँ उन्हें ही देंगे जो तमीज़दार हो, दो साल में धन्यवाद कहने की औकात रखते हो, वरना लगाओ दो जूते और फेंको बाहर, ससुरे किस काम आ रहे वैसे भी
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