बारहवीं में सभी पास हुए है और भरपूर नम्बरों से पास हुए है, मेहरबानी करके भौंडा प्रदर्शन कर किशोरावस्था के उन बच्चों को नीचा ना दिखाये जो इन सारी "सुख सुविधाओं " के बाद कम अंक ला पाये और माड़साब लोगों की जलन, ट्यूशन की आपसी होड़ और गुड़ मॉर्निंग सीधे मुंह ना बोलने के कारण इनका जीवन मात्र 70 -80 % प्राप्तांक पर अटक गया हैं, जितना सोशल मीडिया माड़साब ने यूज किया, लाइव कविताएँ पेली, बकवास किस्म के लेक्चर झिलवाये, यायावरी की और हरामखोरी की फोकट वाली तनख्वाह इन सबने ली उसको इतिहास में याद रखा जायेगा
बाल मनोविज्ञान के तो आप सब ज्ञाता है ही पोस्ट डॉक्टरेट भी है, अब किशोरावस्था के मनोविज्ञान में भी एक ठों पीएचडी कर लीजिए और याद रखिये कि हम सारे विद्यार्थी इस समय में दिल खोलकर पूरी मस्ती में नक़ल करके ही पास हो रहें है - शेखी बघारने से कुछ नही होगा - कोरोना माता जो जल चढ़ाइये और मस्त रहिये चुपचाप
इस सरकार को शिक्षा की अर्थी निकालने का सदोष अपराधी माना जाये और सज़ा यूँ दी जाये कि ये सब अगले जन्म में अनपढ़ निरक्षर और गंवार रहें, इनके ऊपरी माले खाली रहें
हमें मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
#खरी_खरी
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