शिवेंद्र पाण्डेय यही नाम था उसका, पता नहीं कभी जब मै भोपाल में था पांच बरस पहले तो मिला होगा किसी कार्यशाला में तब से मुझसे फेसबुक पर जुड़ा था, सोशल वर्क में कार्यरत था, पहले एक्शन एड के किसी प्रोजेक्ट में था, फिर महिला मुद्दों पर कम करने वाली संस्था में और हाल ही जब पिछली बात बात की थी तो पता चला आजकल सागर में है.
अभी सन्देश बंसल ने खबर दी उसने कल सागर में आत्म्हत्या कर ली है. समाज सेवा के क्षेत्र में आजकल जिस तरह के दबाव, कम वेतन, और रचनात्मकता को दबाया जा रहा है वह निश्चित ही घातक है. 12 अगस्त को अपना जन्मदिन मनाया था और 14 को अपना फेस बुक अकाउंट और वाट्स अप अकाउंट भी बंद कर सबको सूचना दी थी उसने. एक जिन्दादिल शख्स..........का यूँ खत्म होना बहुत ही दुखद है.
जो युवा इसमें काम कर रहे है या आना चाहते है वे सोच समझकर आये क्योकि अब यह क्षेत्र भी बहुत "रिस्की" और कठिन हो गया है. अगर अपने इमोशंस को आप मैनेज नहीं कर सकते और काम के दबाव, तनाव, आरोप - प्रत्यारोप सह नहीं सकते, और अगर अपनी रचनात्मकता को इस सबके बावजूद बचा नहीं सकते तो बेहतर है आप कुछ और कर लें पर क्षेत्र में ना आये.
शिवेंद्र तुमने मिलने का वादा किया था और सागर आने का सोच भी रहा था पर तुम उसके पहले ही चले गए मित्र, यह ठीक नहीं किया तुमने.........दुनिया बड़ी है , बहुत बड़ी पर सबको अपनी पसंद का काम मिलता भी नहीं है और जिस तरह के समाज में हम रह रहे है वहाँ हमारी व्यक्तिगत खुशियों और जिन्दगी का महत्व भी नहीं है हमारे चारो और हमें मारने के औजार लिए लोग, समाज, तंत्र और व्यवथाएं मौजूद है..........खैर,, तुम्हारा निर्णय सही भी लगा एक दृष्टि से मुझे. खुश रहो जहां भी रहो...........
अच्छा लगा कि तुम आखिर थक हार कर अपना रास्ता बनाते हुए चले गए............ बहुत हिम्मत का काम था यह निर्णय लेना और फिर उस पर अमल करना, बिरले ही होते है बस थोड़ा जल्दी हो गया .कुछ कवितायें तुम्हारी अधूरी है, कुछ लड़ाईयां अधूरी है तुम्हारी और महिलाओं को बराबरी मिलने में बस कुछ ही सदियाँ और लगेंगी............शिवेंद्र, तब तक धीर धर लेते मित्र !!!
अभी सन्देश बंसल ने खबर दी उसने कल सागर में आत्म्हत्या कर ली है. समाज सेवा के क्षेत्र में आजकल जिस तरह के दबाव, कम वेतन, और रचनात्मकता को दबाया जा रहा है वह निश्चित ही घातक है. 12 अगस्त को अपना जन्मदिन मनाया था और 14 को अपना फेस बुक अकाउंट और वाट्स अप अकाउंट भी बंद कर सबको सूचना दी थी उसने. एक जिन्दादिल शख्स..........का यूँ खत्म होना बहुत ही दुखद है.
जो युवा इसमें काम कर रहे है या आना चाहते है वे सोच समझकर आये क्योकि अब यह क्षेत्र भी बहुत "रिस्की" और कठिन हो गया है. अगर अपने इमोशंस को आप मैनेज नहीं कर सकते और काम के दबाव, तनाव, आरोप - प्रत्यारोप सह नहीं सकते, और अगर अपनी रचनात्मकता को इस सबके बावजूद बचा नहीं सकते तो बेहतर है आप कुछ और कर लें पर क्षेत्र में ना आये.
शिवेंद्र तुमने मिलने का वादा किया था और सागर आने का सोच भी रहा था पर तुम उसके पहले ही चले गए मित्र, यह ठीक नहीं किया तुमने.........दुनिया बड़ी है , बहुत बड़ी पर सबको अपनी पसंद का काम मिलता भी नहीं है और जिस तरह के समाज में हम रह रहे है वहाँ हमारी व्यक्तिगत खुशियों और जिन्दगी का महत्व भी नहीं है हमारे चारो और हमें मारने के औजार लिए लोग, समाज, तंत्र और व्यवथाएं मौजूद है..........खैर,, तुम्हारा निर्णय सही भी लगा एक दृष्टि से मुझे. खुश रहो जहां भी रहो...........
अच्छा लगा कि तुम आखिर थक हार कर अपना रास्ता बनाते हुए चले गए............ बहुत हिम्मत का काम था यह निर्णय लेना और फिर उस पर अमल करना, बिरले ही होते है बस थोड़ा जल्दी हो गया .कुछ कवितायें तुम्हारी अधूरी है, कुछ लड़ाईयां अधूरी है तुम्हारी और महिलाओं को बराबरी मिलने में बस कुछ ही सदियाँ और लगेंगी............शिवेंद्र, तब तक धीर धर लेते मित्र !!!
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