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Posts of 26 Aug_15



देश जल रहा है महंगाई, आरक्षण और प्रतिशोध में और देश के प्रधानमंत्री को रक्षा बंधन पर गरीब की जेब से बारह, दो सौ या तीन सौ रूपये छिनने में शर्म नहीं आ रही, अम्बानी और अडानी और बिरला के लिए बटोर रहे है कि अपनी पुश्तों का कर्ज मानो चुकाना हो.....

विज्ञापनों का मायाजाल - बचो - बचो, इनसे बचो.............

मै देश के सत्रह मुख्यमंत्री, बीस राज्यपाल, एक प्रधानमंत्री, सत्तर प्रतिशत केबिनेट मंत्रीमंडल, सभी राज्यों में अस्सी प्रतिशत मंत्रीमंडल, आधे से ज्यादा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में बैठे बेंच में न्यायाधीशों में और राष्ट्रपति पद के लिए इस महान भारत देश में आरक्षण की मांग करता हूँ.


विचित्र देश है आपका महाराज, जो आग लगाता है वही शान्ति की अपील भी करता है .......
ॐ शान्ति शान्ति शान्ति ..



शर्म आती है कि हमें सबको आरक्षण चाहिए ना अपनी योग्यता बढ़ाना चाहते है ना दक्षता ना कौशल बस घटियापन से सड़कों पर उतर आते है, जिन्हें आरक्षण मिल चुका है वे भी दशकों से ले रहे है इसका फ़ायदा और फिर भी अभी पीढी दर पीढी इसे भकोसना चाहते है, कुल मिलाकर सत्ता की गुलामी करके वही के वही रहेंगे दो कौड़ी के चापलूस मक्कार और अनैतिक. ना आत्मसम्मान है ना इज्जत ना मान अपमान का घूँट सहने समझने की शक्ति बेशर्मों की तरह से आज हर आदमी अपना ज्ञान और योग्यता बढाने के बजाय बैसाखी लेना चाहता है कैसे समाज में हम रह रहे है और क्या पा लिया है सत्तर सालों में ? कभी सोचा है कि इसी फूट का फ़ायदा हर कोई उठाना चाहता है अम्बानी हो अडानी ओबामा या अजीम प्रेम या कोई ओवैसी. दुर्भाग्य कि सरकार में बैठे निठल्ले भी सब एक सुर से इसको दबाने की बात कर रहे है मूल मुद्दे पर ध्यान नहीं है......



Behind Hardik Patel's movement it is assumed that Arvind Kejriwal is playing tricks to down the current CM/PM and their Lobby and raising unecessary voices for reservations and all. It might be a mess and complete wash off........but what is harm in it even if kejriwal or any one is behind the scene? problem is that you can nt resist any more pressure and the Indian Govt is uselsss and lost completely......this is the high time to take a stock of all deeds done by govt and plan for remaining 3 and half years else we are in either vain or gone...........as simple as any thing can be.....

देश के हालात ठीक नहीं है और हर व्यक्ति आरक्षण का नाम और चादर ओढ़कर देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहा है. हार्दिक तो मात्र एक बहाना है, गुर्जर आन्दोलन, जमीनी आन्दोलन, नक्सलवाद, काश्मीर में आन्दोलन, पूर्व में, दक्षिण में तेलंगाना अभी ठंडा नहीं हुआ है,, दलित आन्दोलन, शहरों में भीड़, आतंकवाद, अपराध, कीमतों में बढ़ौत्री, किसानों की आत्महत्या, बलात्कार, अत्याचार, व्यापम और भ्रष्टाचार में डूबे मंत्री सांसद और मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र से लेकर सारे राज्य अस्थिर और दुखद स्थिति में और बाकी सारी जगहों पर भी ...अन्तर्रष्ट्रीय स्तर पर लगातार पिछड़ना - पाकिस्तान से बातचीत फेल, ओबामा का पलटना,
आखिर क्या किया साहेब डेढ़ साल में ऐसा जादू कि आपकी लहर ही खत्म हो गयी, इलाहाबाद में युवा कहते है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सबसे ज्यादा सांसद भाजपा के होकर भी निकम्मे साबित हो रहे है और हमने गलती की जो भाजपा को वोट दिया अबकी बार बहनजी को वोट देंगे..........
सवाल यह है कि क्या हम अब राज्यविहीन सरकार या तानाशाही की ओर बढ़ रहे है? अफसोस यह है कि जिस चुनी हुई सरकार से उम्मीदें थी वह बेअसर हो गयी है और अपना जनमत खो चुकी है, मोदी हार गए है और देश उनके काबू से बाहर हो गया है ना अर्थ की समझ इस आदमी को ना सत्ता की ना समाज की और ना राजनीती की तो सवाल यह है कि अब देश क्या करें, जिस तरह से प्याज के बहाने से मार्केट का कबाड़ा हुआ या परसों शेयर मार्केट ने पलटी खाई वह मनमोहन या कांग्रेस के राज्य में कभी नहीं हुआ हाँ हर्षद मेहता तब भी थे और आज दुर्भाग्य से जेटली जैसे लोग खुद हर्षद बने हुए है जो पिछले दरवाजे की इंट्री है..............जिस सरकार के मुखिया को अपने ही देश के लोगों की भलाई के लिए वोटों की खातिर गिडगिडा पड़े और किसी राज्य की बेशर्मों की तरह बोली लगाना पड़े उसकी क्या समझ और क्या नीति?
पता नहीं क्यों सुप्रीम कोर्ट चुप है और गुजरात का महानायक.......हां हां हां देख रहे है ना क्या सत्यानाश किया है दस सालों का फोड़ा अब फूटा है और अभी तो मवाद निकलना बाकी है साहेब..............देखते रहिये..........!!!!

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