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सतना को भूला नहीं हूँ आज भी - शुक्रिया कुलदीप 21/8/15



सन 1993-95  की बात है, सतना में अनुपमा एजुकेशन कान्वेंट ने चित्रकूट ग्रामोदय विवि का बी एड का अध्ययन केंद्र लिया था और मै भी बी एड करना चाह रहा था यह दूर वर्ती शिक्षा के माध्यम से होना था और फीस भी कम थी सो प्रवेश ले लिया तब देश बहर से कई लोगों से सम्बन्ध बने थे. नफजगढ़ दिल्ली का एक युवा जो बहुत गुस्सैल था नाम था कुलदीप कुमार जो अपने पिताजी के साथ आया था प्रवेश लेने पर एक डेढ़ साल में ऐसा कुछ रिश्ता बना कि वो भाई मानने लगा. और फिर कोर्स पूरा होने के बाद सब छुट गया. मेरे जीवन में सतना का बड़ा महत्त्व है और यदि कभी ईश्वर ने पूछा कि (यदि ईश्वर है और पुनर्जन्म होता हो तो)  कहाँ जन्म लोगे दोबारा तो कह दूंगा कि अगला जन्म सतना में लूंगा. 

खैर, इस सारे मामले में अच्छी बात यह है कि आज लगभग पच्चीस बरस बाद कुलदीप ने फेस बुक पर मुझे खोज निकाला और एड किया मै देखते ही पहचान गया, कुलदीप ने दो तस्वीरें भेजी की कि मै पहचान लूं, ऐसा हो सकता है कि मै अपने दोस्तों को भूल जाऊं भाईयों को भूल जाऊं. कुलदीप को मैंने तब काम कर रहा था उस संस्था की एक गीतों की किताब भी बहंत की थी जो उसने आजतक सम्हालकर राखी है यह मेरे लिए फक्र की बात है. शुक्रिया Kuldeep Yadav​  बहुत मिस किया तुम्हे इन दिनों. अब शायद मेरा सतना में जो खोया था वो भी मिल जाए तो जीवन में शान्ति से मर सकूं सिर्फ अब एक ही तमन्ना बाकी है.....................कुलदीप ने उस किताब को इतने जतन  से सम्हालकर रखा है और मेरे हस्ताक्षर देखकर भी अचंभित हूँ. ...

सतना को भूला नहीं हूँ आज भी ..........तुम्हारे लिए .............सुन रहे हो ना कहाँ हो तुम...........मिल जाओ अब..................................


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