सरकार की योजना थी कि हर गाँव में हर घर के लोग शौचालय बनवाए और इसके लिए सरकार ने नगद रूपयों के अनुदान का प्रावधान रखा था. हर जगह हर कोई इस योजना का जमकर प्रचार-प्रसार करता था क्योकि इसके दो फायदे थे एक तो नगद नारायण का जुगाड हो जाता था और कभी किसी गाँव को पुरस्कार मिल गया तो उस सरपंच के साथ एक लाख से लेकर पांच लाख लेने दिल्ली जाने की गोटी फिट हो जाती थी, बस नाम और यश अलग था. आज भी एक ऐसे ही कार्यक्रम में गधा प्रसाद को अतिथि बुलाया गया था, सामने जिले के युवा बैठे थे, बच्चे थे, सरकारी- गैर सरकारी कर्मचारी थे, बस गधा प्रसाद पेलने लगा कि हम सब माननीय मुख्यमंत्री जी के आदेश का पालन कर रहे है यह मर्यादा कार्यक्रम बड़ा जोरदार है. हम हर गाँव को निर्मल बनाना चाहते है, हर ब्लाक को और अपने जिले को प्रदेश का पहला निर्मल जिला बनाना चाहते है और इस तरह से सिक्किम की तरह पुरे प्रदेश को निर्मल प्रदेश बनाना चाहते है. और इसके लिए हम बच्चों को तैयार कर रहे है ये बच्चे जिसके घर में शौचालय नहीं होगा उसके घर के आगे बोम पीटेंगे, रैली निकालेंगे, हम शासन की ओर से हर गाँव में निर्मल बहने बनाएंगे, निर्मल पंचा...
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