इस संसार में अपना क्या है, जन्म किसी ने दिया, हमारा शरीर मिट्टी का बना है, हवा, पानी, भोजन सब तो किसी ना किसी का दिया हुआ है, रिश्ते जन्म के पहले तय हो गए थे, यहाँ तक कि आपको नाम भी दूसरों ने ही दिया है तो फिर किस बात का गुमान है इतना, किस बात का गर्व है और अहम है कि मैं, मैं, मैं और आत्म मुग्ध हो अपने आप पर
अरबों मनुष्यों और असँख्य जीव जंतुओं के इस टुच्चे से संसार में चार अनुयायी बन गए, दो लोगों ने तारीफ़ कर दी, छह लोग प्रश्न करने लगे, पाँच मित्रता का दम भरने लगें तुम्हारी, सात लोग जानने लगे तो तुम एकदम से परम ज्ञानी हो गए और ज्ञानी बनकर धूर्त हो गए - यह भी समझे नही, अपने को संसार का मालिक समझ लिया, तुम्हारे भरोसे कोई नही है, प्रकृति में अमीबा भी ज़िंदा है और विशालकाय हाथी भी, कभी सोचा कि क्या ये तुम्हारा लिखा पढ़ते है, तुम्हारे हजार कामों से इनके जीवन पर रत्ती भर भी फर्क पड़ता है, एक नदी की धार को मोड़ने में भी सक्षम है तुम्हारा पद या ताक़त या बुद्धि तो फिर कैसा अहम और किसकी तुष्टि कर रहें हो, यह मत सोचो कि संसार की घड़ियां तुम्हारे कब्जें में है और तुम सब कुछ कर सकते हो, लोगों पर नियंत्रण रखने की चेष्टा ही मनुष्यत्व के ख़िलाफ़ है और यदि यह करके तुम अपना किला अभेद्य करना चाहते हो तो याद रखो कोई किसी को क़ैद नही सकता
बेहतर है कि अपना काम करो और आहिस्ते से विदा ले लो, जो परम ज्ञानी है और रोज़ अपना काम छोड़कर दूसरों के फटे में टाँग अड़ाने के लिये ही पैदा हुए है - उनसे दूरी रखों, यही मूल मंत्र है संसार का, हम सब मानते है कि संसार अनोखे जीव जंतुओं से भरा पड़ा है, किसी ज्ञानी के पास जाने से अच्छा है - एक मकड़ी को देखों, एक जुगनू को, आसमान निहारों, पानी के स्वभाव को समझो, समुद्र की गर्जना में अनहद पहचानो, आरोह- अवरोह के बीच मालकौंस सुनो, एक पगडन्डी पर थोड़ा चलकर देखों कि कैसे जीवन चलता है और सब कुछ नियत है - सुनिश्चित और सम्पूर्ण - तुम्हारी तरह कुछ भी आधा अधूरा, अपरिपक्व, असंतुलित, अबूझ, अकर्मण्यक, अकार, अनावश्यक और उलझा हुआ नही
जो अपना है वो सिर्फ कर्म, यश, आदर, सम्मान और कीर्ति है जो मरने के बाद शेष रह जायेगा संसार में बहुत अल्प समय के लिये और इसे भी मापना मुश्किल है इसलिये इसे क्षणिक ही सही पर कम से कम कपाल क्रिया होने तक या कपाल की मोटी हड्डी गल जाने तक शेष रहें, राख इकठ्ठी करने लायक ठंडी हो जाये और अपना नाम अस्थाई रूप से चंद घड़ियों तक बनाये रखने के लिये अंत तक प्रयास करते रहो - बाकी तो सब माया है - हम जानते ही है
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