★★नेह डोर बंधी रहें★★
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चिरंजीव आदित्य और सौ अश्विनी का विवाह सुख रूप संपन्न हुआ, सभी लोग आए - आप ने आशीर्वाद दिया, पूरे मन से आप 2 दिन साथ रहे हमारे परिवार के साथ और सारे रस्मों और कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की, सारे विवाह संस्कारों को देखा और सराहा । हमारी खुशियों में आपके आने से निश्चित ही चार चांद लगे हैं आपका आशीर्वाद इन दोनों बच्चों के साथ - साथ हमारे परिवार पर भी रहा - यह हम लोगों के लिए गर्व की बात है।
मैं, मेघा और अखिल, साथ ही पूरा धर्माधिकारी परिवार आपके अत्यंत आभारी हैं कि आपने अपने महत्वपूर्ण समय में से 2 दिन हमें दिए और हमारे मांगलिक कार्यों में साथ रहे - आपका यह प्यार और स्नेह हम सब के लिए अमूल्य धरोहर है - हम चाहते हैं कि यह प्रेम, रिश्तो की कोमल डोर, नेह का बंधन हमेशा बना रहे ।
आभार शब्द बहुत छोटा है परंतु फिर भी हम सब आपके आभारी हैं कि आपने जिस उत्साह और जोश के साथ नव दंपत्ति को प्यार दिया, आशीर्वाद दिया और सबसे महत्वपूर्ण हमें समय दिया इसके लिए हम व्यक्तिगत रूप से आपके ऋणी हैं और सदैव रहेंगे
आपका धन्यवाद और बहुत बहुत आभार, हमने कोशिश की थी कि आपका पूरा ध्यान रख पाएं , परंतु यदि फिर भी व्यवस्थाओं में कोई त्रुटि रह गई हो तो हम क्षमा प्रार्थी है आशा करते है कि आप उदार मन से हमें क्षमा कर देंगे।
आपके लिए बहुत स्नेह और मंगलकामनाएं
किशोर एवं सौ मेघा धर्माधिकारी
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◆◆◆ योगक्षेमम व्हामयहम◆◆◆
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प्रिय उदय ,
जिंदगी कभी कभी कितने सहयोग देती है , सुहाने पल देती है कि हमारा जीवन सुखों से और मधुर स्मृतियों से भर कर सम्पूर्ण हो जाता है । अब तो विश्वास करना भी मुश्किल है कि हम लोग एक मजबूत रिश्तो में बंध कर आजीवन के लिए बहुत करीबी रिश्तेदार बन गए हैं - यदि पति पत्नी का रिश्ता सात जन्म का होता है तो समधियों का रिश्ता निश्चित इसके पहले से यानी सात जन्म पूर्व से बना होगा - यह मुझे यकीन होता है। बचपन में हम साथ पढ़े, लगभग साथ नौकरी लगी और ग्वालियर हम पहली बार साथ गए और उसके बाद से लगातार एक ही बैंक के अंब्रेला के नीचे अलग-अलग जगहों पर काम करते रहे परंतु कभी भी दोस्ती में खटास नहीं आई , बल्कि जितना समय बीतता गया मिठास बढ़ती रही।
सबसे ज्यादा सुखद पल तब आएं जब हमने मिलकर के अपनी दोस्ती को एक मजबूत रिश्ते में बांधा - अश्विनी और आदित्य की शादी ने हमें बहुत करीब ला दिया है । हाल ही में संपन्न हुए विवाह के दौरान तुमने, सौ सविता, चिरंजीव अमित और मानसी ने जिस मेहनत लगन, उत्साह और जोश के साथ शादी की सारी रस्में और कार्यक्रमों को संपन्न किया वह काबिले तारीफ है।
तुम्हें पता है कि हम तीनो भाई इंदौर में नहीं है , शादी करना एक बड़ी जिम्मेदारी और बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाला काम होता है, जिस तरह से तुमने पूरी शादी की व्यवस्था , प्रबंधन " योगक्षेमम व्हामयहम" की तरह से अपने ऊपर लिया - वह निश्चित ही प्रशंसनीय है , आज के समय में जब हर तरफ बाजार और आउटसोर्सिंग का जमाना है - तुम लोगों ने सारी व्यवस्थाओं को अपने हाथ में रखा और हर कदम पर तुम , तुम्हारे दोनों भाई, उनके परिवार और बाकी युवा पीढ़ी ने सारा कुछ इतना अच्छे से संभाला कि हमारे परिवार और आए हुए अतिथियों को ऐसा लगा ही नहीं कि वे किसी दूसरी जगह पर है और व्यवस्थाओं में लेश मात्र की भी कमी है - आवभगत से लेकर रहना खाना पीना, विभिन्न प्रकार के सुस्वादु व्यंजन, चाय पानी, रात्रि में रहने की व्यवस्था , ओढ़ने - बिछाने के इंतज़ामात और खासकर के सफाई की व्यवस्था इतनी बेहतरीन थी कि बयान नहीं की जा सकती।
सारी रस्मों को इतने सुंदर, रचनात्मक और शास्त्रोक्त विधि से सम्पन्न किया कि बच्चों के जीवन मे ये संस्कार हमेंशा बने रहेंगे यह हम सबका विश्वास है।
हम सब तुम्हारे परिवार, कुटुंब और मित्रों के हृदय से अत्यंत आभारी है और ऋणी है कि यह बड़ा काम निर्विघ्न सम्पन्न हुआ और सभी लोग खुशी खुशी पूर्णतया संतुष्ट होकर अपने घर लौटे
हमारे सभी मित्रों, परिजनों ने इस पूरे प्रसंग की तारीफ की और किसी ने भी कोई शिकायत या उफ्फ तक नही की इसका पूरा श्रेय तुम्हे जाता है
अश्विनी अब मेरे घर की बेटी है, घर मे बेटी नही थी और यह कमी अश्विनी के आने से पूरी हुई है और अब वह हमारे घर की महत्वपूर्ण जिम्मेदार सदस्य है और हर निर्णय की बराबर भागीदार भी - उसके संस्कार और आचार - विचार परिपूर्ण है और यह गर्व की बात है कि हमें उसके जैसी सुशील, समझदार और जिम्मेदार बेटी मिली है - उसके इस तरह होने में, बनने में तुम दोनों का बहुत बड़ा रोल है यह बात और फक्र करने लायक है
हम आभारी है और सदैव ऋणी रहेंगें , हमारी ओर से या किसी आगन्तुक की ओर से कोई कुछ बोल दिया हो, या किसी ने कोई परेशानी खड़ी की हो तो मैं और अखिल, मेघा व्यक्तिगत रूप से क्षमा प्रार्थी हूँ, बड़ी भीड़ में यह सब होना स्वाभविक है फिर भी हम माफी मांगते है, आशा है इन गलतियों के लिए उदार मन से क्षमा करोगे।
आप सबका पुनः धन्यवाद, आभार और विश्वास है कि नेह की यह डोर बंधी रहेगी और हम आने वाले समय में और मजबूती से इन बच्चों की बेहतरी के लिए काम करेंगे और जुड़े रहेंगे
बहुत स्नेह और मंगलकामनाएं
किशोर एवं सौ मेघा धर्माधिकारी
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