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कुछ एनजीओ, मीडिया, साहित्य और कुछ विकास के कामों से जुड़े मित्रों को समर्पित - दिल से 1 Dec 2018


कुछ एनजीओ, मीडिया, साहित्य और कुछ विकास के कामों से जुड़े मित्रों को समर्पित - दिल से

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सबसे खतरनाक होता है किसानों का सरकार पर से विश्वास उठ जाना
[ पाश से मुआफ़ी सहित]


इस शुरुवात होती सदी की सबसे बड़ी त्रासदी और भयानक किस्म का अपराध है

"सवाल पूछना"
इससे ज्यादा बड़ी ना समस्या है और ना कोई विपदा और इसका जवाब भी इतना सरल है कि सवाल पूछने वाले को आप पर्याप्त सम्मान देकर बायपास कर सकते है , साइड लाईन कर सकते है
ध्यान रहें जो लोग भी समस्याओं के समाधान के लिए, जन समस्याओं , भूख, गरीबी, समता, गैर बराबरी या बड़े मुद्दों के लिए काम कर रहें हैं - वे मात्र "इवेंट मैनेजर" है, इन सबके ताकि वे इस इवेंट को निपटाकर कल फिर दिल्ली, बम्बई, अमेरिका, ब्राजील या किसी दूर आदिवासी गांव में जा सकें - यह इवेंट कुछ भी हो सकता है - साहित्यिक आयोजन, धरना, प्रदर्शन, रैली या जुगाड़ी गई फेलोशिप के तहत किया गया व्यर्थ का दो कौड़ी का जमीनी स्तर से अर्जित ज्ञान, आंकड़ों की बकर या लंबे आलेख
यह दुखद है कि जो लोग बर्तन भांडे बेचकर , बकरियां पालकर या सूअरों - गधों- घोड़ों की लीद या पोट्टी बेच रहे थे, सैप्टिक टैंक के पानी से गंगाजल का व्यापार कर रहे थे - वे आज विकास, जल- जंगल -जमीन, वैश्विक भ्रातृत्व, जेंडर, शिक्षा और स्वास्थ्य के झंडाबरदार है, जिन असामाजिक मूल्यों और निषिद्ध परम्पराओं से लड़ने का नाटक करके उस मकाम पर पहुँचे - वहां वे उन्ही सामंती, पूंजीपति और जनविरोधी शोषक मूल्यों के नियंत्रक और पैरोकार बन गए
याद रखिये पुनः कि "सवाल पूछना इस सदी का सबसे बड़ा अपराध है"
आपको तय करना है कि आप क्या करना चाहते हों अपने जीवन के शेष समय में, अपनी रीढ़ जब सीधी करें तो सोचिएगा एक बार, जब दिन में भले ही एक बार आईना देखते हो -सोचिएगा कि अपनी ही आँखें क्या मैं कल अपने अक्स से मिला सकुंगा
मेहरबानी करके मुझे किसी भी प्रकार का सम्मान ना दीजिये - अगर दे सकते हो तो मेरे सवालों के जवाब दे दीजिये और नही तो आपको आपकी दुनिया मुबारक
नमस्ते
[ जिसे समझे वही कुछ बोलें बाकी जवाब देना मुझे आता है ]

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