अभी अभी सुना गुजरात के मुख्य मंत्री ने अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले में मारे गए लोगों को 10 लाख और घायलों को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की । बस ड्राइवर सलीम को ब्रेवरी अवार्ड भी दिया जाएगा ।
एक सवाल , कृपया ठंडे दिमाग़ से समझने का प्रयास करें
अपनी नाकामयाबियों का ठीकरा जनता के रुपयों पर क्यों फोड़ा जाए, यात्री क्या सरकार से पूछके पुण्य कमाने गए थे। मुआवजा किसी बात का हल नही है। नाकामयाबी की आड़ में मुआवजा बांटकर सरकार अपने मूल कर्तव्यों से हट रही है और फिर यथास्थिति बनी रहती है। इस पर बाद में कुछ नही होता ।
किसानों की हत्या एक करोड़ का मुआवजा,दुर्घटना लाखो रुपया मुआवजा , तीर्थ यात्रा में मरें मुआवजा। ये उस पार्टी फंड से दिया जाए जो वहां राज कर रही है या व्यक्तिगत तनख्वाहों से दिया जाना चाहिए जो अधिकारी इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते है, सरकार सिर्फ इनका स्थानांतर करके इतिश्री कर लेती है । जनता की मेहनत की कमाई को यूं अपनी छबि बनाने के लिए बर्बाद बिल्कुल नही किया जाना चाहिए।
अब समय आ गया है कि इस मुआवजे पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक समिति बनें जो कब , क्यो , कैसे और कितना दिया जाए साथ ही दोषी सरकार, पार्टी और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें और सख्ती से लागू करवाएं। इन राजनेताओं का बस चलें तो ये लोग राज्य और देश मृतकों के नाम कर दें ।
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कल देवास इंदौर उपनगरीय बस के एक भयानक एक्सीडेंट में 35 से ज्यादा यात्री घायल हो गए। मैंने इसी प्लेटफॉर्म पर कई बार चेताया और इन बसवालों की गुंडागर्दी के खिलाफ लिखा है परंतु प्रशासन यानी कलेक्टर, आर टी ओ या पुलिस कोई कार्यवाही नही करते। देवास से इंदौर के सभी थानों पर हफ्ता जाता है और नेताओं और गुंडे मवालियों की चल रही बसें जो ड्राइवर कंडक्टर चलाते है नियमों को ताक पर रखकर अपनी मनमर्जी से लोगों को हांकते रहते है।
सीटी बस चलाने के लुभावने वायदे हर बार नगरनिगम दिखाता है और निजी बस संचालकों की रिश्वत और दादागिरी के दबाव में हर बार योजना दबा जाता है।
देवास बस स्टैंड पर एजेंट्स की गुंडागर्दी का यह आलम है कि किसी के बाप में हिम्मत नही कि इनके खिलाफ कुछ कर सकें। कई बार बस स्टैंड पर स्थित चौकी पर मैंने शिकायत की पर उपस्थित पुलिस वाले समझा बुझा कर मामला रफा दफा करने की कोशिश करते है।
नवागत कलेक्टर और एस पी से निवेदन है कि हजारों यात्रियों की सुरक्षा के लिए
इन बसों के परमिट की जांच करें
फिटनेस की जांच करें
खटारा बसों को बाहर करें
टिकिट देने को बाध्य करें
ड्राईवर, कंडक्टर को व्यवहार सुधारने की समझाइश दें
इनके मालिको को ठिकाने लगाएं चाहे वो कोई भी हो
निर्धारित रुट चार्ट, किराया और गति के कड़े नियम बनाये
देवास इंदौर के बीच के थानों पर निरीक्षण हो
नगर निगम सीटी बस की पहल शीघ्र करें
हर बस में आर टी ओ, कलेक्टर और एस पी के मोबाइल नम्बर लिखें हो
मीडिया के मित्र इस बात को गम्भीरता से लेकर प्रचार करें
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मप्र शासन निजी विद्यालयों में फीस नियंत्रण के लिए इस मानसून सत्र में एक बिल ला रहा है। यह एक अच्छा प्रयास है । सरकार की सदाशयता पर प्रश्न नही है पर मेरी मंशा है कि इसे ईमानदारी से लागू किया जाये और तुरंत किया जाये।
मेरी ओर से कुछ सुझाव और :----
स्कूल सिर्फ दस माह की ही फीस लें, पिकनिक आदि का आयोजन स्कूल ना करें यदि करें तो पालकों की समिति स्थान, व्यवस्था और शुल्क का निर्धारण करें ना कि स्कूल प्रबंधन
पुस्तकालय, खेल और अन्य कार्यक्रमों का शुल्क ना लें
यदि भोजन दिया जा रहा हो तो केटरिंग की मॉनिटरिंग के लिए शिक्षको के साथ पालकों की समिति बनाई जाए और इसमें प्रबंधन का कोई भी व्यक्ति ना हो। केटरिंग का ठेका पूरी पारदर्शिता से दिया जाये और गुणवत्ता ना होने पर बीच सत्र में ठेका निरस्त करके नए कैटरर्स को काम देने की बात हो
वाहन का शुल्क किलोमीटर के हिसाब से तय किया जाये यदि स्कूल बसें उपलब्ध करवाता है तो और इसमें भी उन बच्चों का बीमा करवाया जाए
गणवेश, किताबों, एप्रन, फाइल्स, स्टेशनरी आदि स्कूल ना बेचें ना ही किसी दुकान विशेष से लेने के लिए दबाव बनायें
स्कूल में सत्र समाप्ति पर विदाई पार्टी, फोटो सेशंस आदि के लिए रुपयों का दबाव ना बनाया जाये
खिलाड़ी बच्चों से बाहर जाने या प्रतिस्पर्धा में जाने के लिए पालकों की भागीदारी से पारदर्शिता पूर्ण खर्च किया जाये
विशेष व्याख्यान, मेडिकल चेक अप, विशेष कक्षाएं आदि के नाम पर लूट ना हो
शिक्षकों को वेतन के साथ सभी भत्ते यथा पी एफ, ग्रेज्युटी, पेंशन, बीमा और मेडिकल कार्ड की सुविधा मिलें
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