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मरना शुरू होता है धीरे से
जब तक शुरू ना हो एक यात्रा
शुरू नहीं करते बांचना जीवन का ककहरा
सुनना शुरू नहीं करते जीवन संगीत और अनहद नाद
शुरू नहीं करते पहचानना अपने आपको
इस तरह मरना शुरू करते है धीमे से
मार देते है जब अपने जमीर को
बंद कर देते है दूसरों से मदद लेना अपने लिए
तो मरना शुरू करते हो आप
अपनी बनाई आदतों के गुलाम बनते हुए
एक ही पथ पर चलाते हुए जीवन को
अगर नहीं बदलते ढर्रा अपना रोजमर्रा का
नहीं खोज पाते जीवन के रंग बिरंगी संसार को
मुखातिब नहीं होते अगर अनजान लोगों से
तो यकीन मानिए आप मरना शुरू कर रहे हो
अपनी बनाई आदतों के गुलाम बनते हुए
एक ही पथ पर चलाते हुए जीवन को
अगर नहीं बदलते ढर्रा अपना रोजमर्रा का
नहीं खोज पाते जीवन के रंग बिरंगी संसार को
मुखातिब नहीं होते अगर अनजान लोगों से
तो यकीन मानिए आप मरना शुरू कर रहे हो
जान ना पायें अपने आप को और अनजान रहे अपनी ही प्रकृति से
उद्दाम और अशांत भावों को समझने में असमर्थ
समझाने में उन्हें, जिनको देखकर खुद की ही आँखों में चमक आ जाती है
अपनी तेज साँसों के स्पंदन को ह्रदय में उछलता महसूस करो
तब हो जाता है मरना शुरू
उद्दाम और अशांत भावों को समझने में असमर्थ
समझाने में उन्हें, जिनको देखकर खुद की ही आँखों में चमक आ जाती है
अपनी तेज साँसों के स्पंदन को ह्रदय में उछलता महसूस करो
तब हो जाता है मरना शुरू
असंतुष्टि भी नहीं बदल पाती जीवन का एकाकी राग
पगुराए प्रेम से व्यथित होकर भी नहीं बदलना चाहते
अनिश्चित कल के लिए जोखिम लेने को तत्पर ना हो
दौड़ ना जाएँ एक पनीले स्वप्न के पीछे
भागे ना हो महत्वपूर्ण क्षणों के अवसर पर एक बार भी जीवन में
कुछ ऐसा करने कि जो दिल ने चाहा करें और चाहे
दिमाग कहें कि चढ़ती धुप में एक मदमस्त बेखौफ घोड़े को ना दौडाओ
पगुराए प्रेम से व्यथित होकर भी नहीं बदलना चाहते
अनिश्चित कल के लिए जोखिम लेने को तत्पर ना हो
दौड़ ना जाएँ एक पनीले स्वप्न के पीछे
भागे ना हो महत्वपूर्ण क्षणों के अवसर पर एक बार भी जीवन में
कुछ ऐसा करने कि जो दिल ने चाहा करें और चाहे
दिमाग कहें कि चढ़ती धुप में एक मदमस्त बेखौफ घोड़े को ना दौडाओ
(अंग्रेजी से अनुवाद संदीप नाईक) मूल कविता का सौजन्य Manoj Pande
Ashish Retarekar भाई यह अनुवाद सिर्फ तुम्हारे लिए
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