20 फरवरी 15 को ओव्हर नाईट एक्सप्रेस में इंदौर से जबलपुर की ट्रेन में एक दुखद अनुभव
जबलपुर जा रहा हूँ II AC के कोच में इंदौर से पता नहीं कहाँ के 5-6 जज साहेबान बैठे है.हाई कोर्ट में कोई परीक्षा देने जा रहे है. छह बजे से अभी तक जिस भयानक आवाज, मस्ती और मजाक में IPC और CRPC का मख़ौल उड़ा रहे है, किस तरह से संविधान की हंसी उड़ा रहे है, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट, बाबू राज में सेटिंग, वकीलों से सांठ-गाँठ के किस्से चल रहे है, विधायक के केस, पुलिस से लेन देन और सही भाव, जमानत और पेरोल के रेट्स, उससे मेरा सर शर्म से झुक गया. और तो और एक जवान है पुलिस का जिससे बारी बारी से सबने चाय पानी की सेवा तो करवाई साथ में अपनी मोटी चर्बी की मालिश भी करवा ली. वीभत्स सामन्तवादी मानसिकता. रहने वाले छतरपुर, खरगोन , शाजापुर, रीवा, सतना और बालाघाट के है भाषा से स्पष्ट हो जाता है, जैसे "आंगे". सब अंगरेजी ना आने दुखी है, एक कोई बी ए पास लग रहा है जो सबको सुप्रीम कोर्ट की रपट बांचकर और भयानक शैली में व्यंग्यात्मक अनुवाद में समझा रहा है. बीच बीच में वाट्स अप के "श्लील वीडियो" भी देखे जा रहे है। सबकी उम्र लगभग पचास है और बीस से पच्चीस साला अनुभव है क्योकि बातचीत में 91, 94 का या 87, 89 का जिक्र आ रहा है.
थोड़ा बहुत जो विश्वास न्याय पालिका में था , इन्हें देखकर वो भी ख़त्म हो रहा है. हे भगवान् अब समझा कि कैसे ये लोग कल्लू मामाओं की पैरवी करके कोर्ट में जाते है प्रमोट होते है या अभिषेक मनु सिंघवी जैसे लोग सामने आते है। पर समझ यह आया कि जैसा समाज होगा वैसे ही ये होंगे ना, बेचारे मंगल गृह से थोड़े ही आये है !!!
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