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देवास के बड़े डाकखाने में बदहाल व्यवस्था जिम्मेदार कौन?



आज जीपीओ देवास में गया था, वहाँ अपनी किताब कुछ मित्रों को रजिस्टर्ड डाक से भेजनी थी, भीड़ बहुत थी सो अपनी आदत के मुताबिक़ व्यवस्था समझाने के लिए और "बेचारी निकम्मी, अनपढ़, गंवार, अपने अधिकारों से वंचित, बेबस और मूर्ख" जनता का दुःख दर्द दूर करने के लिए पोस्ट मास्टर को खोजा तो पता चला कि है नहीं कई माहों से और सहायक पोस्ट मास्टर जैन साहब के भरोसे पोस्ट ऑफिस चल रहा है और ये जैन साहब बेचारे बीमार है और पीछे बैठे है - डाक छंटनी कार्यालय में असहाय से. मैंने जाकर उनसे कहा कि भीड़ बहुतहै जैन साहब, एक काउंटर और चालू कर दें तो रोना रोने लगे कि स्टाफ नहीं है, दूसरे स्थानांतरित पोस्ट ऑफिस में प्रिंटर खराब है, सारे कंप्यूटर भी खराब है, नेट की समस्या है, सर्वर डाउन रहता है, मेरी बिल्डिंग में CPWD ने जो शौचालय बनवाये थे वो गल रहे है और पानी पुरी बिल्डिंग में चू रहा है, फिर जब मैंने कहा कि आप क्या कर रहे है तो बोले मै बीमार हूँ इसके बावजूद भी आ रहा हूँ और काम कर रहा हूँ. सात में से पांच लोग छुट्टी पर है, और काम किससे करवाए, थक गया हूँ, आप शिकायत कर दें तो आभारी रहूंगा. मोफसिल से कह दें फोन कर दें, कुछ तो करवा दें. जिला कलेक्टर को कहें ताकि हमें भी तो कुछ राहत मिलें और हम जनता को मदद कर पायें.

ये हालत है जिला मुख्यालय के सबसे बड़े पोस्ट ऑफिस यानी जीपीओ की, जो रोज केंद्र सरकार को रेवेन्यु कमाकर दे रहा है और सच में कर्मचारी है ही नहीं, पोस्ट मास्टर का कमरा खाली कुर्सियां धुल खा रही है, सारे काउंटर बंद और मात्र दो या तीन चालू है और जनता स्पीड पोस्ट से लेकर बचत खाता और तमाम तरह के काम करवाने आ जा रही है. पुराने पोस्ट ऑफिस सारे बंद हो गएक्योकि कीमती बिल्डिंग में CPWD काम नहीं करवा रहा, कोई अधिकारी रूचि नहीं लेता क्योकि मिलता नहीं ना कुछ. शहर के मध्य में स्थित एक बड़े पोस्ट ऑफिस में ये हालत है, पता नहीं हमारे मीडिया के साथी क्या करते रहते है, उनका दर्द भी कभी जाकर बांटे और छापे या कम से कम जिला प्रशासन से बातें करें. और छत चूने की कहानी तो बनती ही है, जो इन सहायक पोस्ट मास्टर को धमकी देकर गया कि मै बड़े बड़े अधिकारियों को जेब में रखता हूँ , तुम चुपचाप बैठे रहो और जो करना हो कर लो. और ये ठेकेदार देवास का ही होगा, जो बैंक नोट प्रेस में स्थित CPWD में पन्जीकृत होगा. राज्य शासन के विभागों के अधिकारियों को तो आप लोग रोज मीडिया में ससम्मान जगह देते ही है !!!! कभी इन पर भी नजर करें.............

क्या होगा इस देश का जो केंद्र सरकार के विभाग है और जिन्हें पब्लिक से रोज़ रोज़ डील करना पड़ता है उनकी ये हालत है, तो कोई राज्य सरकार के निकम्मे विभागों जैसे शिक्षा विभाग, देवास, का क्या उखाड़ लेगा, जिसके अधिकारी सबसे दांत पड़ने के बाद भी मृत कर्मचारी के परिवार को आज तक देयकों का भुगतान नहीं कर पा रहे. तरस आता है इस देश के लोगों पर - जो भीड़ में हिस्सा बनकर तो रहते है चुपचाप, परन्तु बोलते कुछ नहीं और सहते रहते है.

धिक्कार है ऐसे लोगों और देश पर शर्म भी नहीं आती सब कुछ सहते हुए और मूर्ख बनते हुए,  बहरहाल, मेरा काम पोस्ट ऑफिस के एक सज्जन ने ले लिया, सारी किताबें ली और कहा कि आप अभी जाईये, मै सब कार्यवाही करके शाम को आपको बचे रुपये और रसीदें दे दूंगा.

देवास के मीडिया साथी कुछ करेंगे कभी झाकेंगे या अपनी व्यवस्था में ही ताकते रहेंगे .

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