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ये है श्याम लाल अमरकंटक एक्सप्रेस में एसी कोच की देखरेख करते है। कल इन्होने बताया कि लोग कम्बल नेपकिन और सफ़ेद चादरे चुरा ले जाते है फलस्वरूप इनके छह हजार वेतन से हर माह ठेकेदार पंद्रह सौ काट लेता है। इन्होने कहा कि ये दुर्ग के पास एक गाँव में रहते है बहुत गरीब परिवार है चार हजार में गुजारा भत्ता कैसे होगा। यह सोचना ही मुश्किल है। 

एक सवाल बड़ी मासूमियत से श्यामलाल यादव ने पूछा कि आप लोग जो एक-दो हजार का टिकिट खरीदते है रेलवे के कम्बल और नेपकिन क्यों उठा ले जाते है । अगर यही आपका दांत मांजने का ब्रश भी आप बेसिन पर भूल जाते है तो चोरी का इल्जाम हम जैसे गरीबों पर लग जाता है। रात को हमें रूपये देकर सिगरेट दारु माँगते है। कैसे बड़े लोग एसी में आते है और आपकी नियत कितनी खराब होती है। जितनी गन्दगी आप लोग करके जाते है उतनी तो हम भी नहीं करते भले झोपड़ियों में रहते हो। 


श्यामलाल ने कहा कि हमें आपके जैसे बड़े लोगों से नफ़रत है जो देश चलाने का काम करते है। गरीबों की हाय लेकर और रेलवे के नेपकिन चुराकर कौनसा मैदान जीत लोगे आप लोग....


श्यामलाल देर तक बड बड रहा था और मै सोच रहा था कि क्या अब इस चुनाव के बाद हम अपना "नेशनल केरेक्टर" बना पायेंगे कभी या हर गरीब गुर्गा कलपता रहेगा और कोसता रहेगा .


2,200 Likes, 3228 Shared and 300 Comments on Facebook and raised a question in favor of this poor boy Shyamlal. 

A Post of  15 April 2014.

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