देवास में पानी की समस्या हमेशा से रही है और यहाँ पर पदस्थ जिला कलेक्टरों के लिए यह एक बड़ी कमाई का साधन रहा है. देवास शहर के विधायक पिछले तीस बरसों से नर्मदा नायक बनकर चुनाव जीतते रहे है. पर जमीनी हकीकत कुछ और है, टोंक खुर्द ब्लाक में तत्कालीन कलेक्टर श्री उमाकांत उमराव ने 300 के ऊपर बलराम तालाब बनवाये थे परन्तु कालान्तर में ये तालाब महज मखौल बनकर रह गए और अधिकारियों, किसानों और पंचायत कर्मियों ने इस बलराम तालाब का ऐसा भयानक मजाक उड़ाया कि बताया नहीं जा सकता. और तो और देश भर के पत्रकारों ने भी देवास मॉडल पर बहुत लिखा और फेलोशिप जुगाडी, द्नियाभर में घूमते रहे, मैंने दो साल पहले ऐसे ही एक तथाकथित पत्रकार महोदय को इस तरह के फर्जीवाड़े के बारे में आगाह किया था तो वे भिनक गए थे और जोश में बोले कि यदि मेरे लिखे को आप इस तरह कह रहे है तो मै यूनेस्को से मिले करोड़ डालर को ठुकराकर देवास जिले के किसी गाँव में खेती करना शुरू कर दूंगा और समुदाय के लिए काम करूंगा उस राशि से और बाद में वे मुझे ही ब्लाक करके चलते बनें, सुना कि आजकल यूनेस्को में भू-जल के विशेषग्य है.
हाल ही में दिल्ली के एक एनजीओकर्मी इस तरह के काम का बखान करके अपनी दूकान चलाने की कोशिश कर रहे है और बुंदेलखंड में इस मॉडल को "रेप्लीकेट" करने की कोशिश कर रहे है, हमारे अनुज मित्र भी एक किताब लिख रहे है, काम हुआ है, जरुर हुआ है परन्तु इन मामलों को और भ्रष्टाचार को समेटे बिना कोरी किताब लिखने से दुनिया में कोई सबक नहीं जाएगा इस बात पर ध्यान देने की जरुरत है.
नईदुनिया ने आज यह खबर मुख्य पृष्ठ पर छापी है इससे प्रशासन में तो खलबली है, कुछ शूरवीर निलंबित भी हुए है और कुछ पर गाज अभी गिरना बाकी है, तेज तर्राट युवा जिला पंचायत सी ई ओ श्री अभिषेक सिंह और जिलाधीश श्री आशुतोष अवस्थी जी बधाई के पात्र है जिन्होंने एक बड़े मामले पर हाथ डाला और हिम्मत से इस मामले पर कार्यवाही की है, और आगे भी करेंगे, उम्मीद है वे देवास शहर में भी नर्मदा के लाने और पिछले दो दशको से इंदौर से पानी खरीदने की कहानी की हकीकत सामने लायेंगे, पर अब उनका क्या होगा जो बलराम तालाब को मरने तक भुनाने में लगे है और अपना परलोक भी इसी में गोता लगाकर सुधारना चाहते है और तमाम तरह के पोर्टलों पर दूकान चला रहे है?
जागो मोहन प्यारे...........!!!!
सुन रहे हो ना भाई Swatantra Mishra
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