सीख रहा हूँ पहाडा इन दिनों
एक धर्म एक दुनिया को
तबाह करने के लिए काफी है
दो से एक मानसिकता का गुणा कर दो
तो हजारों लोग मारे जाते है
एक मूर्ख दस हजार की भीड़ में
दो वाक्य बोलकर लाखों को
बरगला सकता है
एक आदमी
एक सौ पच्चीस करोड़
लोगों को तीन से भाग देकर
पंद्रह का जाल बन सकता है
पहाडा सीख रहा हूँ इन दिनों.
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*संदीप नाईक
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