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न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिल नवाजी की
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज नजरो से
मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाएं तेरी बातों पर
न जाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज नजरों से
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग ये कहते हैं कि जलवे पराए हैं
मेरे हमराह की रुसवाइयां है मेरे माजी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई यादों के साएं में
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम
ताल्लुफ रोग हो जाए तो उसे भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए उसे तोड़ना अच्छा
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुन्किन
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं
(साहिर लुधियानवी)

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