फराज के कुछ शेर
वो चला गया जहाँ छोड़ के मैं वहाँ से फिर न पलट सका
अब नींद से कह दो हमसे सुलह कर ले फराज
वो दौर चला गया जिसके लिए हम जगा करते थे
अगर मेरे लफ्जो की पहचान वो कर लेते फराज
उन्हें मुझसे नहीं खुद से मुहब्बत हो जाती
इस बारिशो से दोस्ती अच्छी नहीं फराज
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख्याल करो
में बस एक बार लाजवाब हुआ था फराज
जब किसी अपने ने पूछा कौन हो तुम
एक अरसे बाद मिले तो उसने मेरा नाम पूछ लिया फराज
बिछड़ते वक्त जिसने कहा था तुम्हारी बहुत याद आयेगी।
अबकी बार मिलेंगे तो खूब रुलायेंगे उस संगदिल को फराज
सुना है रोते में उनके लिपट जाने की आदत है
वो चला गया जहाँ छोड़ के मैं वहाँ से फिर न पलट सका
अब नींद से कह दो हमसे सुलह कर ले फराज
वो दौर चला गया जिसके लिए हम जगा करते थे
अगर मेरे लफ्जो की पहचान वो कर लेते फराज
उन्हें मुझसे नहीं खुद से मुहब्बत हो जाती
इस बारिशो से दोस्ती अच्छी नहीं फराज
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख्याल करो
में बस एक बार लाजवाब हुआ था फराज
जब किसी अपने ने पूछा कौन हो तुम
एक अरसे बाद मिले तो उसने मेरा नाम पूछ लिया फराज
बिछड़ते वक्त जिसने कहा था तुम्हारी बहुत याद आयेगी।
अबकी बार मिलेंगे तो खूब रुलायेंगे उस संगदिल को फराज
सुना है रोते में उनके लिपट जाने की आदत है
Comments