देवास में लम्बे समय बाद कांग्रेस विधायक के जीतने की संभावना बन रही है, भाजपा के सामंती उम्मीदवार ने पहले 30 वर्ष और बाद में उनकी पत्नी ने दस वर्ष से कुछ नही किया, शहर की गुलाम जनता ने सामन्तवादियों और महल से उम्मीदें रखी पर जिस विधायक का 40 वर्षों में शहर में एक दफ्तर नही खुला, महल में लोग समस्या लेकर गए तो विधायक बात करने नीचे नही उतरी वो क्या जाने दुख दर्द जनता के
अच्छी बात यह है कि भाजपा के पदाधिकारी गण, संघ खुद अबकी बार महल को जमीन दिखाएंगे और हरवाएँगे, बेचारे कब तक कमर झुकाकर सलाम बजाते रहें, बूढ़े हो गए भाजपा के नेता पर वंशवाद नही छोड़ पाया इनका पीछा, इसलिये जब ये विधायक हारेगी तभी नई कोंपलें फूटेंगी और नया नेतृत्व उभरेगा, शहर के 18 वार्ड और भाजपा समर्थित पार्षद पूरे मूड में है कि महलों - तख्तों और ताजों की दुनिया को ठोकर मारकर नई पौध उगाई जाये
सवाल कांग्रेस या भाजपा का नही, सवाल सामंतवाद की गुलामी का है, 1947 में सभी पदों का लोप हो गया था पर इस शहर के गुलाम अभी भी "महाराज, महारानी करते नही अघाते है और भुगत रहे है और अब बाजी पलटेगी , सत्यनाश करने वाले और पुत्र मोह में जकड़े लोग अब हारेंगे, शहर को बेरोजगार, उद्योग विहीन और सड़क पानी से महरूम कर दिया, नगर निगम को अड्डा बना दिया, आज 15 % के बिना चपरासी भी काम नही करता, मनमाँगा बेतरतीब विकास कर निगम ने स्मार्ट सिटी को बर्बाद सिटी का दर्जा दिलवा दिया है , दिन दहाड़े चोरी और महिलाओं के साथ हिंसा होना आम है पर विधायक को चिंता है ना नेताओं को - घासलेट से लेकर निर्माण कार्यों में लिप्त ये भ्रष्ट लोग निहायत स्वार्थी और दोयम दर्जे के है
और अबकी बार भाजपा की नही हराया इस अकर्मण्य विधायक को तो अगले चालीस वर्ष फिर गुलाम रहना देवासियों और ये लोग तुम्हे बेच देंगे और पुल बनाकर खा जाएंगे तुम्हारे बच्चे सांस लेने को मोहताज हो जायेंगे
देवास का पूरा मीडिया अपनी जिम्मेदारी भूलकर पिछले 40 वर्षों से चाटुकारिता में लगा है और अपने मूल्य और कर्तव्य भूल गया है जिसका कोई इलाज नही क्योकि मीडिया की आड़ में टेंडर और कई धंधों में लगा है
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