गृह मंत्री इस्तीफ़ा दें
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यह पढ़ने के पहले सँविधान का अनुच्छेद 355, 356 पढ़कर अध्ययन कर लेना - जिसमें लिखा है कि सरकार राज्यों में शांति की स्थापना करेगी, राज्यपाल की अनुशंसा पर राष्ट्रपति शासन लगायेगी, मणिपुर की राज्यपाल लगातार कह रही है कि स्थिति बेकाबू है राज्य में पर सरकार को सत्ता से चिपके रहना है और 2024 के लिये चुनाव जीतने का गंदा खेल खेलना है
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असम के मुख्यमंत्री हेमंत शर्मा या गृह मंत्री अमित शाह की यह नाकामी है और सरकार तो ख़ैर फेल हो ही गई है, जो बड़बोला दुनिया भर की संसद में और भोज चाटने को उत्सुक रहता है वह अपनी ही संसद में बोलने से डर रहा है, बावजूद इसके कि सारी कठपुतलियां उसकी है - दो - चार विपक्षी है जिनके सामने बोलने की हिम्मत नही हो रही
ध्यान दीजिये - अमित शाह के दौरे के बाद स्थिति ज्यादा बिगड़ी है और ना मात्र उत्तर पूर्व, बल्कि पूरे देश में कानून व्यवस्था लचर, नाकारा, कमज़ोर और खत्म हुई है, आतंकवाद को नोटबन्दी से जोड़कर जो भ्रामक प्रचार मोदी ने किया था - वह भी फर्जी साबित हुआ है, ना नोटबन्दी से कुछ हासिल हुआ - ना आतंकवाद खत्म हुआ, बल्कि देश का रुपया लेकर तमाम बड़े लोग भाग गए, पचास दिन चौराहे पर आने का वादा कर जो बन्दा 500 दिनों से दिखा नही सिवाय विदेश यात्राओं के उससे क्या आप विकास और खुशहाली की उम्मीद करते है
महंगाई से लेकर हर मोर्चे पर विफल प्रधानमंत्री में इतना साहस नही उपजा कि कभी देश की संसद में खुलकर बात करें , बजाय भौंडे इशारे करने, सिर्फ़ राहुल को टारगेट करने या प्रेस वार्ता करने या जनता से सीधे बात करने के - हमेशा मन की बात जैसा बकवास कार्यक्रम, अपने पले हुए गोदी मीडिया के छर्रों से या सुरक्षित खोल में रहकर बकबक करने या सिर्फ़ चुनावी जनसभाओं में गैर जिम्मेदारी वाले बयान देकर चुनाव जितवाने का ही काम किया है 2014 से आजतक
गम्भीरता से सोचिए कि जिस देश की एक - एक इंच ज़मीन के लिये हमारे लाखों जवान मर गए, वही इस सरकार के राज में उत्तर पूर्व के सातों राज्य हाथ से निकल गये और चीन ने अरुणाचल में अपनी कॉलोनी बना ली
इस परिस्थिति के लिये गृह मंत्री ज़िम्मेदार है और निश्चित ही पूरी मोदी सरकार भी इस दारुण परिस्थिति के लिये, देश की आधी आबादी को बेशर्मी से उपेक्षित कर अपनी छवि बनाने वाले प्रधान को मणिपुर वाली घटना पर संसद में बयान देने से क्या आपत्ति है
सरकार का यह रवैया दुखद और हास्यास्पद है, अर्थात सीधी बात यह है कि ये दुनियाभर में चिरौरी कर संसद में घुसते है, भोज करते है और अपने देश में अपने वोटर्स के सामने बात करने से डरते है, मणिपुर अभी तक गए नही जबकि दुनिया भर की मस्जिदों में घूम आये, कैसा हिन्दू प्रधान है यह
बेहतर है कि गृह मंत्री इस्तीफ़ा दें, अभी कोई सरकार होती तो ये लोग देश में हंगामा कर देते
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बाढ़ की आपदा देखते हुए लगता है कि हम अभी भी 1947 में ही है, स्मार्ट सीटी के नाम पर जो अरबों रुपया बर्बाद हुआ उसका हश्र यही है तो विकास का कोई अर्थ नही सिर्फ़ स्थानीय कुशासन की इकाइयों के पार्षदों, महापौरों और ठेकेदारों ने कमाया इफ़रात में - जनता को मिला धर्म, भक्ति और बाबाजी का ठेंगा
गुजरात में बाढ़ का पानी देखकर लगता है कि भाजपा ने पिछले 40 वर्षों में क्या ही किया है 30 वर्ष तो महामना प्रमुख रहें और 2014 से अप्रत्यक्ष रूप से काबिज़ है
पसंद है आपकी 2024 सामने है
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